Nepal Parliament May Approve Disputed Map On June 9 – विवादित नक्शे को नौ जून को मंजूरी दे सकती है नेपाल की संसद




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नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा (निचला सदन) ने नए राजनीतिक नक्शे के लिए किए जा रहे संविधान संशोधन पर 9 जून को मुहर लगाने की तैयारी कर ली है। नेपाली मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, संविधान संशोधन के पास होते ही इस विवादित नक्शे को नेपाल के अंदर कानूनी वैधता मिल जाएगी, जिसमें भारत के उत्तराखंड राज्य के तीन इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी नेपाल ने अपना क्षेत्र दिखाया है। भारत इस नक्शे पर आपत्ति जता रहा है।

कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया तुमबाहंगफे ने नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी देने के लिए प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक 31 मई को प्रतिनिधि सभा में पेश किया था। सरकार ने 22 मई को इस विधेयक को पारित करने के लिए सदन की कार्यसूची में शामिल किया था।

इस विधेयक के जरिए नेपाल के राजनीतिक नक्शे को अपडेट करने के लिए संविधान के शेड्यूल-3 में संशोधन की अनुमति मांगी थी। लेकिन निचले सदन में सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई बहुमत नहीं होने के कारण मामला अटक गया था। प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने इस पर चर्चा के लिए समय मांगा था।

इसके बाद केपी शर्मा औली की सरकार ने 27 मई को संविधान संशोधन की योजना को टाल दिया था। लेकिन 30 मई को सदन में 63 सीट रखने वाली नेपाली कांग्रेस ने पलटी मारते हुए अचानक संशोधन प्रस्ताव के समर्थन की घोषणा कर दी थी, जिससे 174 सीटों वाली एनसीपी को आवश्यक दो तिहाई बहुमत हासिल हो गया था और उसने 31 मई को प्रस्ताव पेश कर दिया था। निचले सदन में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद उच्च सदन में इसका पारित होना महज औपचारिकता रह जाएगा, जहां एनसीपी के पास पहले ही दो तिहाई बहुमत मौजूद है।

चीन के इशारे पर उठाया नेपाल ने विवाद
दरअसल, इस सारे विवाद की जड़ में चीन को माना जा रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण के मुद्दे पर दुनियाभर में घिरे चीन ने एकतरफ खुद भारत से लगने वाली सीमाओं पर शिकंजा कसना चालू किया है, वहीं माना जा रहा है कि नेपाल को भी उसी ने विवाद में कूदने का हौसला दिया है।

नेपाल ने यह विवाद तब शुरू किया, जब भारत ने कैलाश-मानसरोवर जाने वाले बीहड़ मार्ग पर सड़क बनाते हुए चीन सीमा तक गाड़ी में पहुंचने की उपलब्धि का उद्घाटन किया था। नेपाल का आरोप है कि भारत ने यह सड़क उसकी संप्रभुता वाले क्षेत्र में बनाई है। हालांकि भारत ने उसके दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है।

नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा (निचला सदन) ने नए राजनीतिक नक्शे के लिए किए जा रहे संविधान संशोधन पर 9 जून को मुहर लगाने की तैयारी कर ली है। नेपाली मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक, संविधान संशोधन के पास होते ही इस विवादित नक्शे को नेपाल के अंदर कानूनी वैधता मिल जाएगी, जिसमें भारत के उत्तराखंड राज्य के तीन इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी नेपाल ने अपना क्षेत्र दिखाया है। भारत इस नक्शे पर आपत्ति जता रहा है।

कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया तुमबाहंगफे ने नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी देने के लिए प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक 31 मई को प्रतिनिधि सभा में पेश किया था। सरकार ने 22 मई को इस विधेयक को पारित करने के लिए सदन की कार्यसूची में शामिल किया था।

इस विधेयक के जरिए नेपाल के राजनीतिक नक्शे को अपडेट करने के लिए संविधान के शेड्यूल-3 में संशोधन की अनुमति मांगी थी। लेकिन निचले सदन में सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई बहुमत नहीं होने के कारण मामला अटक गया था। प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने इस पर चर्चा के लिए समय मांगा था।

इसके बाद केपी शर्मा औली की सरकार ने 27 मई को संविधान संशोधन की योजना को टाल दिया था। लेकिन 30 मई को सदन में 63 सीट रखने वाली नेपाली कांग्रेस ने पलटी मारते हुए अचानक संशोधन प्रस्ताव के समर्थन की घोषणा कर दी थी, जिससे 174 सीटों वाली एनसीपी को आवश्यक दो तिहाई बहुमत हासिल हो गया था और उसने 31 मई को प्रस्ताव पेश कर दिया था। निचले सदन में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद उच्च सदन में इसका पारित होना महज औपचारिकता रह जाएगा, जहां एनसीपी के पास पहले ही दो तिहाई बहुमत मौजूद है।

चीन के इशारे पर उठाया नेपाल ने विवाद
दरअसल, इस सारे विवाद की जड़ में चीन को माना जा रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण के मुद्दे पर दुनियाभर में घिरे चीन ने एकतरफ खुद भारत से लगने वाली सीमाओं पर शिकंजा कसना चालू किया है, वहीं माना जा रहा है कि नेपाल को भी उसी ने विवाद में कूदने का हौसला दिया है।

नेपाल ने यह विवाद तब शुरू किया, जब भारत ने कैलाश-मानसरोवर जाने वाले बीहड़ मार्ग पर सड़क बनाते हुए चीन सीमा तक गाड़ी में पहुंचने की उपलब्धि का उद्घाटन किया था। नेपाल का आरोप है कि भारत ने यह सड़क उसकी संप्रभुता वाले क्षेत्र में बनाई है। हालांकि भारत ने उसके दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है।




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