बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 04 May 2020 12:17 PM IST
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कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में लॉकडाउन जारी है। आज से इसका तीसरा चरण शुरू हो गया है। इसकी वजह से मांग में भारी कमी आई है और साथ ही आपूर्ति भी बाधित हुई है। इन कारकों की वजह से विनिर्माण एवं उत्पादन गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गई।
अब तक का सबसे निचला स्तर
आईएचएस मार्किट ने सोमवार को निक्केई विनिर्माण पीएमआई इंडेक्स जारी किया, जिसके अनुसार भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई घटकर 27.4 पर आ गया, जो मार्च महीने में 51.8 के स्तर पर था। इस सर्वे की शुरुआत मार्च 2005 में हुई थी। उल्लेखनीय है कि उस समय से लेकर अब तक का यह से सबसे निचला स्तर है। रिपोर्ट में इनपुट और आउटपुट कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। इससे मुद्रास्फीति में भारी गिरावट के संकेत मिल रहे हैं।
आ सकती है मंदी
मार्च 2005 के बाद के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, नए ऑर्डर और आउटपुट में गिरावट की वजह से कंपनियों ने सर्वे के इतिहास में सबसे अधिक दर से नौकरियों में छंटनी की है। यह जबरदस्त मंदी की ओर इशारा कर रहा है। कारखाने बंद रहने के चलते कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती की जो सर्वेक्षण के इतिहास में रोजगार में आई सबसे तेज गिरावट है।
मार्च में विनिर्माण गतिविधियां अपेक्षाकृत निष्प्रभावी बनी रहीं, लेकिन अप्रैल में क्षेत्र पर कोरोना वायरस संकट का असर साफ देखा गया। हालांकि रपट में सालभर के लिए मांग में सुधार का परिदृश्य रखा गया है। कोरोना वायरस संकट से उबरने के बाद में बाजार में मांग ठीक होने की उम्मीद जताई गई है।
तीन साल में पहली बार 50 के नीचे
इस सूचकांक में 50 से अधिक अंक विनिर्माण गतिविधियों में बढ़ोतरी को दर्शाता है, जबकि इससे कम संकुचन को दर्शाता है। मालूम हो कि पिछले तीन साल में पहली बार भारत की विनिर्माण गतिविधियां 50 के नीचे आई हैं। इससे पहले लगातार 32 महीनों से विनिर्माण पीएमआई 50 अंकों के निशान से ऊपर बनी हुई थीं।
इस संदर्भ में आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्री इलियट केर्र ने कहा कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हालत मार्च में स्थिति अपेक्षाकृत रूप से बेहतर थी। हालांकि, अप्रैल में इस पर कोरोना वायरस का काफी असर देखने को मिला है। मार्च में उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार में गिरावट दर्ज की गई। इससे मांग में भारी कमी का संकेत मिल रहा है।