न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 13 May 2020 10:10 PM IST
वेंकैया नायडू और ओम बिरला
– फोटो : पीटीआई
उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारत की संसद की प्रथम बैठक के 68वें वर्ष पूरा होने के अवसर बुधवार को संसद भवन का दौरा किया और कहा कि पिछले सात दशकों में अनेक बाधाओं का सामना करते हुए देश में संविधान तथा लोकतांत्रिक शासन प्रणाली मजबूत हुई है। नायडू और बिरला ने इस अवसर पर दोनों सदनों की प्रथम बैठकों से जुड़ी विभिन्न स्मृतियों और अनुभवों के बारे में चर्चा की।
लोकसभा सचिवालय की विज्ञप्ति के अनुसार, भारत की संसद की प्रथम बैठक के 68वें वर्ष के अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, संसदीय कार्य एवं कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा विदेश और संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा और राज्यसभा के चैम्बर्स और ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल का दौरा किया।
इससे पहले बिरला ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई दी और कहा कि आज का दिन भारत के लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बिरला ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार 13 मई, 1952 को संसद की दोनों सभाओं अर्थात लोकसभा और राज्यसभा की बैठक हुई थी। बिरला ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही मजबूत लोकतांत्रिक परंपराएं रही हैं और हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं ने राष्ट्र निर्माण में बहुत योगदान किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि हमारी संसद संविधान के उच्च आदर्शों, सहभागितापूर्ण लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और देशवासियों को उनके उचित आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकार दिलाने के लक्ष्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि पिछले सात दशकों में हमने अनेक बाधाओं का सामना किया है और अपने संविधान तथा लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का सफलतापूर्वक संरक्षण करते हुए इसे और मजबूत बनाया है।
सार
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि जब भी देश को किसी चुनौती का सामना करना पड़ा है, तब लोगों ने मिलकर इसका सामना किया है और इस बार भी देशवासियों के संयुक्त प्रयासों से हम कोविड-19 महामारी पर काबू पाने में सफल होंगे।
विस्तार
उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारत की संसद की प्रथम बैठक के 68वें वर्ष पूरा होने के अवसर बुधवार को संसद भवन का दौरा किया और कहा कि पिछले सात दशकों में अनेक बाधाओं का सामना करते हुए देश में संविधान तथा लोकतांत्रिक शासन प्रणाली मजबूत हुई है। नायडू और बिरला ने इस अवसर पर दोनों सदनों की प्रथम बैठकों से जुड़ी विभिन्न स्मृतियों और अनुभवों के बारे में चर्चा की।
लोकसभा सचिवालय की विज्ञप्ति के अनुसार, भारत की संसद की प्रथम बैठक के 68वें वर्ष के अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, संसदीय कार्य एवं कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा विदेश और संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा और राज्यसभा के चैम्बर्स और ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल का दौरा किया।
इससे पहले बिरला ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई दी और कहा कि आज का दिन भारत के लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बिरला ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार 13 मई, 1952 को संसद की दोनों सभाओं अर्थात लोकसभा और राज्यसभा की बैठक हुई थी। बिरला ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही मजबूत लोकतांत्रिक परंपराएं रही हैं और हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं ने राष्ट्र निर्माण में बहुत योगदान किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि हमारी संसद संविधान के उच्च आदर्शों, सहभागितापूर्ण लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और देशवासियों को उनके उचित आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकार दिलाने के लक्ष्य प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि पिछले सात दशकों में हमने अनेक बाधाओं का सामना किया है और अपने संविधान तथा लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का सफलतापूर्वक संरक्षण करते हुए इसे और मजबूत बनाया है।
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