न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 11 May 2020 12:14 PM IST
प्रवासी कामगार (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
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रेलवे की ओर से जारी आदेश में, रेलवे जोनों को संबंधित राज्यों में गंतव्य के अलावा तीन जगहों पर गाड़ियों के ठहराव के लिये कहा गया है। राज्य सरकारों के आग्रह पर यह निर्णय किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि ट्रेन में यात्रियों को ले जाने की क्षमता उसमें मौजूद शयनयान सीटों की संख्या के बराबर होनी चाहिए।
श्रमिक विशेष गाड़ियों में 24 डिब्बे हैं और प्रत्येक डिब्बे में 72 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। सामाजिक मेल जोल से दूरी के प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए वर्तमान में प्रत्येक डब्बे में 54 यात्रियों को लेकर ले जाया जा रहा है। भरतीय रेल ने एक मई से अब तक पांच लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कदम के बारे में जानकारी देते हुए बताया, ‘रेलवे के पास रोजाना 300 ट्रेनें चलाने की क्षमता है और हम इसे ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं। अगले कुछ दिनों में हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाया जाए और इसके लिए हमने राज्यों से मंजूरी भेजने को कहा है।’
प्रवासियों को यूपी, बिहार लेकर गईं 75 प्रतिशत विशेष ट्रेनें
देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य वापस ले जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। ऐसे में चार में से तीन ट्रेनें प्रवासियों को उत्तर प्रदेश और बिहार लेकर जा रही हैं। इससे इन दो हिंदी पट्टी वाले राज्य से प्रवास की सीमा का पता चलता है।
अब तक 44 प्रतिशत ट्रेन उत्तर प्रदेश और 30 प्रतिशत बिहार पहुंची हैं। रेल मंत्रालय ने कहा कि भारतीय रेलवे ने रविवार दोपहर तक 366 ट्रेनों का संचालन किया है और उनमें से 287 अपने गंतव्य तक पहुंच गईं। मध्यप्रदेश, ओडिशा और झारखंड ऐसे तीन राज्य हैं जिन्हें अन्य राज्यों की तुलना में अधिक ट्रेनें मिली हैं।