सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
21 मई को मुंबई से गोरखपुर जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन ओडिशा के राउरकेला पहुंच गई। इस संबंध में यात्रियों को मार्ग परिवर्तन की कोई जानकारी भी नहीं दी गई। इसके चलते यात्रियों की दुर्दशा का पता उनके द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो से पता चला। हालांकि, रेलवे ने इस संबंध में सफाई दी है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा, उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ ट्रेनों की अधिक संख्या रहती है, ऐसे में इन मार्गों पर भीड़ अधिक होती है। इसी वजह से हमने कुछ ट्रेनों को दूसरे रूट से ले जाने का फैसला किया है और ये अक्सर होता रहता है।
यह एक सामान्य प्रक्रिया है : भारतीय रेलवे
उन्होंने कहा, इस नेटवर्क पर ट्रैफिक जाम हो जाता है, तो उस पर खड़े रहने से अच्छा होता है कि थोड़ा लंबा रूट लेकर तेजी से पहुंच जाएं। ये हमारा एक प्रोटोकॉल होता है। कुछ ट्रेन को हमने डाइवर्ट किया है। हमने पाया कि एक ही रूट पर ट्रेन चलाते रहें तो कोई भी ट्रेन नहीं पहुंच पाएगी।
विनोद कुमार यादव ने आगे कहा, ‘इसलिए हमने उस ट्रेन को दूसरे रूट पर डाला। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे आम दिनों में भी अपनाया जाता है। यादव ने कहा कि थोड़ा लंबा रूट है, लेकिन ट्रेन अपने गंतव्य पर जरूर पहुंचेगी और यात्रियों को पहुंचाएगी। हम आपको इस बात का भरोसा दिलाते हैं।
भारतीय रेलवे के इतिहास में ऐसा पहली बार
भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब चलती हुई ट्रेन का मार्ग बदल दिया गया हो और यात्रियों को इसकी जानकारी न दी गई हो। बता दें कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन भारत सरकार द्वारा शुरू की गई सेवा है जिसके माध्यम से विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया जा रहा है।
यात्रियों का आरोप, रेलवे ने कुछ नहीं बताया
ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों ने यह आरोप भी लगाया कि रेलवे ने न तो मार्ग में परिवर्तन के बारे में जानकारी दी और न ही यात्रा के समय के बारे में बताया। एक यात्री ने एक वीडियो संदेश में कहा, अब ट्रेन ओडिशा में रुकी है और लोग कह रहे हैं कि ड्राइवर रास्ता भूल गया है।
कुछ यात्री अपनी समस्या को ट्विटर पर ले गए। एक यात्री ने लिखा, ‘हम 21 मई को गोरखपुर वापस जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुए थे। 23 घंटे की यात्रा के बाद भी हम महाराष्ट्र में हैं। हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है और न ही पानी है। ट्रेन भुसावल से नागपुर की ओर क्यों जा रही है।’
अभी तक वापस लाए गए 31 लाख मजदूर
रेलवे के आधिकारिक डाटा के मुताबिर एक मई से 2,317 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 31 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया जा चुका है। रेलवे के मुताबिक हमने अभी तक अनुमान से करीब सात लाख ज्यादा श्रमिकों को घर पहुंचाया है जो 24 लाख था।
21 मई को मुंबई से गोरखपुर जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन ओडिशा के राउरकेला पहुंच गई। इस संबंध में यात्रियों को मार्ग परिवर्तन की कोई जानकारी भी नहीं दी गई। इसके चलते यात्रियों की दुर्दशा का पता उनके द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किए गए वीडियो से पता चला। हालांकि, रेलवे ने इस संबंध में सफाई दी है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा, उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ ट्रेनों की अधिक संख्या रहती है, ऐसे में इन मार्गों पर भीड़ अधिक होती है। इसी वजह से हमने कुछ ट्रेनों को दूसरे रूट से ले जाने का फैसला किया है और ये अक्सर होता रहता है।
यह एक सामान्य प्रक्रिया है : भारतीय रेलवे
उन्होंने कहा, इस नेटवर्क पर ट्रैफिक जाम हो जाता है, तो उस पर खड़े रहने से अच्छा होता है कि थोड़ा लंबा रूट लेकर तेजी से पहुंच जाएं। ये हमारा एक प्रोटोकॉल होता है। कुछ ट्रेन को हमने डाइवर्ट किया है। हमने पाया कि एक ही रूट पर ट्रेन चलाते रहें तो कोई भी ट्रेन नहीं पहुंच पाएगी।
विनोद कुमार यादव ने आगे कहा, ‘इसलिए हमने उस ट्रेन को दूसरे रूट पर डाला। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे आम दिनों में भी अपनाया जाता है। यादव ने कहा कि थोड़ा लंबा रूट है, लेकिन ट्रेन अपने गंतव्य पर जरूर पहुंचेगी और यात्रियों को पहुंचाएगी। हम आपको इस बात का भरोसा दिलाते हैं।
भारतीय रेलवे के इतिहास में ऐसा पहली बार
भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब चलती हुई ट्रेन का मार्ग बदल दिया गया हो और यात्रियों को इसकी जानकारी न दी गई हो। बता दें कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन भारत सरकार द्वारा शुरू की गई सेवा है जिसके माध्यम से विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया जा रहा है।
यात्रियों का आरोप, रेलवे ने कुछ नहीं बताया
ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों ने यह आरोप भी लगाया कि रेलवे ने न तो मार्ग में परिवर्तन के बारे में जानकारी दी और न ही यात्रा के समय के बारे में बताया। एक यात्री ने एक वीडियो संदेश में कहा, अब ट्रेन ओडिशा में रुकी है और लोग कह रहे हैं कि ड्राइवर रास्ता भूल गया है।
कुछ यात्री अपनी समस्या को ट्विटर पर ले गए। एक यात्री ने लिखा, ‘हम 21 मई को गोरखपुर वापस जाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुए थे। 23 घंटे की यात्रा के बाद भी हम महाराष्ट्र में हैं। हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है और न ही पानी है। ट्रेन भुसावल से नागपुर की ओर क्यों जा रही है।’
अभी तक वापस लाए गए 31 लाख मजदूर
रेलवे के आधिकारिक डाटा के मुताबिर एक मई से 2,317 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 31 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया जा चुका है। रेलवे के मुताबिक हमने अभी तक अनुमान से करीब सात लाख ज्यादा श्रमिकों को घर पहुंचाया है जो 24 लाख था।
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