वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क
Updated Mon, 01 Jun 2020 10:37 PM IST
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : पेक्सेल्स
फार्मास्यूटिकल कंपनी एली लिली एंड कंपनी (Eli Lilly and Co) ने कहा कि इसका संभावित इलाज को; जिसे LY-CoV555 कहा गया है; उन मरीजों के प्लाज्मा में मिली एंटीबॉडी से तैयार किया है जो कोरोना वायरस बीमारी से ठीक हुए हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाज में प्लाज्मा का प्रयोग नहीं किया गया है बल्कि एंटीबॉडीज के क्लोन का इस्तेमाल किया गया है।
इस इलाज को इस तरह तैयार किया गया है कि वायरस के कांटे के आकार वाले प्रोटीन स्ट्रक्चर को निशाना बनाए और वायरस द्वारा मानव कोशिका को संक्रमित करने से रोके। इस तरह यह थेरेपी वायरस को बेअसर कर सकती है। कंपनी का कहना है कि अगर यह दवा सुरक्षित सिद्ध होती है तो वह उन मरीजों के संभावित इलाज पर अध्ययन शुरू करेगी जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं।
कंपनी के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डेनियल स्कोव्रोंस्की ने कहा, ‘हमें वैक्सीन या एंटी वायरल अणुओं के क्षेत्र का ज्यादा अनुभव नहीं है। लेकिन एंटीबॉडी, उनकी इंजीनियरिंग करने में, उनका परीक्षण करने में और उन्हें तैयार करने में हम काफी बेहतर हैं। यह ऐसी क्षमता है जो हममें हैं, इसलिए हमने कोविड-19 के इलाज में एंटीबॉडी पर प्रयोग करने का फैसला किया।’
कंपनी ने कहा कि अध्ययन का पहला चरण इस बात का आकलन किया जाएगा कि दवा कितनी सुरक्षित है और अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के मरीज इसे कितने बेहतर तरीके से सहन कर पाते हैं। कंपनी के मुताबिक अध्ययन के पहले चरण का परिणाम जून के अंत तक आने का अनुमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन उन केंद्रों में से एक है जहां इसके पहले चरण का परीक्षण होगा। यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग और वैक्सीन रिसर्च इकाई के निदेशक डॉ. मार्क जे मुलिगन ने कहा, ‘हम कोविड-19 से पीड़ित मरीजों को एक नये इलाज में भाग लेने का मौका दे रहे हैं। इस उम्मीद के साथ कि इससे उन्हें जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।
सार
जिस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का इलाज खोजने के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं, उसके एंटीबॉडी इलाज का दुनिया का पहला मानव परीक्षण शुरू हो गया है। अमेरिका के राज्य इंडियाना में स्थित एक फार्मास्यूटिकल कंपनी ने सोमवार को एलान किया कि उसने कोरोना वायरस के इलाज के लिए तैयार की गई एक एंटीबॉडी थेरेपी का दुनिया का पहला मानव परीक्षण (ह्यूमन ट्रायल) शुरू कर दिया है।
विस्तार
फार्मास्यूटिकल कंपनी एली लिली एंड कंपनी (Eli Lilly and Co) ने कहा कि इसका संभावित इलाज को; जिसे LY-CoV555 कहा गया है; उन मरीजों के प्लाज्मा में मिली एंटीबॉडी से तैयार किया है जो कोरोना वायरस बीमारी से ठीक हुए हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाज में प्लाज्मा का प्रयोग नहीं किया गया है बल्कि एंटीबॉडीज के क्लोन का इस्तेमाल किया गया है।
इस इलाज को इस तरह तैयार किया गया है कि वायरस के कांटे के आकार वाले प्रोटीन स्ट्रक्चर को निशाना बनाए और वायरस द्वारा मानव कोशिका को संक्रमित करने से रोके। इस तरह यह थेरेपी वायरस को बेअसर कर सकती है। कंपनी का कहना है कि अगर यह दवा सुरक्षित सिद्ध होती है तो वह उन मरीजों के संभावित इलाज पर अध्ययन शुरू करेगी जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं।
कंपनी के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डेनियल स्कोव्रोंस्की ने कहा, ‘हमें वैक्सीन या एंटी वायरल अणुओं के क्षेत्र का ज्यादा अनुभव नहीं है। लेकिन एंटीबॉडी, उनकी इंजीनियरिंग करने में, उनका परीक्षण करने में और उन्हें तैयार करने में हम काफी बेहतर हैं। यह ऐसी क्षमता है जो हममें हैं, इसलिए हमने कोविड-19 के इलाज में एंटीबॉडी पर प्रयोग करने का फैसला किया।’
कंपनी ने कहा कि अध्ययन का पहला चरण इस बात का आकलन किया जाएगा कि दवा कितनी सुरक्षित है और अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के मरीज इसे कितने बेहतर तरीके से सहन कर पाते हैं। कंपनी के मुताबिक अध्ययन के पहले चरण का परिणाम जून के अंत तक आने का अनुमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन उन केंद्रों में से एक है जहां इसके पहले चरण का परीक्षण होगा। यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग और वैक्सीन रिसर्च इकाई के निदेशक डॉ. मार्क जे मुलिगन ने कहा, ‘हम कोविड-19 से पीड़ित मरीजों को एक नये इलाज में भाग लेने का मौका दे रहे हैं। इस उम्मीद के साथ कि इससे उन्हें जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।
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