वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बीजिंग
Updated Sat, 16 May 2020 01:51 AM IST
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बता दें कि बुधवार को पाकिस्तान की सरकार ने चीन की सरकारी कंपनी (चाइना पावर) और पाकिस्तानी सेना की बांध निर्माण से संबंधित कंपनी (फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाईजेशन-एफडबल्यूओ) के बीच 5.8 अरब अमेरिकी डॉलर के संयुक्त करार पर हस्ताक्षर किए थे।
गिलगित-बाल्टिस्तान में बांध के निर्माण के लिए पाकिस्तान की तरफ से अनुबंध दिए जाने पर बृहस्पतिवार को भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने इस मामले पर कहा था कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में ऐसी परियोजनाएं शुरू किया जाना ठीक नहीं है।
पीओके में बांध को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियांग ने कहा, ‘कश्मीर मुद्दे पर चीन का रुख अटल है। चीन और पाकिस्तान आर्थिक विकास को बढ़ाने और स्थानीय आबादी को बेहतर बनाने के लिए आर्थिक सहयोग कर रहे हैं।’
बता दें कि चीन और पाकिस्तान 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का भी निर्माण कर रहे हैं। पीओके से होते हुए जाने वाले इस गलियारे को लेकर भारत कई बार चीन के सामने आपत्ति जता चुका है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था, ‘हमारा रुख अटल और स्पष्ट है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के सभी क्षेत्र भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग रहे हैं और रहेंगे।’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हम पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों में ऐसी सभी परियोजनाओं पर पाकिस्तान और चीन दोनों के सामने अपना विरोध और साझा चिंताएं व्यक्त करते रहे हैं।’