Doctor Died Due To Covid19, Both Sons Wear Ppe Kit In Absence Of Officials To Perform Funeral – पिता के अंतिम संस्कार के लिए बेटों ने पहनी पीपीई किट, मदद नहीं मिलने पर सहायक बनकर पहुंचे श्मशान




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Updated Tue, 26 May 2020 05:05 PM IST

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महाराष्ट्र के घाटकोपर में रविवार को एक बुजुर्ग डॉक्टर की कोरोना से मौत हो गई। इसके बाद सुबह शव को शवदाह गृह तक ले जाने के लिए किसी वाहन और सहायक की व्यवस्था ना होने की वजह से मृतक के दो बेटों ने पीपीई किट पहनी और पिता का अंतिम संस्कार किया। 

इलाके के एक अधिकारी के मुताबिक शनिवार रात को हिंदू महासभा अस्पताल में कोरोना से संक्रमित एक बुजुर्ग डॉक्टर को इलाज के लिए कोविड-19 देखभाल केंद्र में भर्ती करवाया गया था, लेकिन उनकी स्थिति बिगड़ गई और रविवार को उनकी मौत हो गई। इसके बाद शव को शवदाह गृह तक ले जाने के लिए किसी वाहन और सहायक की व्यवस्था ना होने की वजह से मृतक के एक डॉक्टर बेटे ने शव ले जाने वाले वाहन की व्यवस्था करने की कोशिश की लेकिन सोमवार तड़के तक कोई वाहन उपलब्ध नहीं होने के कारण उसे स्थानीय पार्षद अर्चना भालेराव को फोन करना पड़ा।

हालांकि जब वाहन पहुंचा तो उसमें शव को रखने और बाद में उसे श्मशान घाट तक ले जाने के लिए कोई सहायक नहीं था। फिर मृतक के दोनो बेटों को ही पीपीई किट पहनने पर मजबूर होना पड़ा और पिता के शव को पूर्वी घाटकोपर बस्ती में शवदाह गृह तक ले जाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा।

अधिकारी ने बताया कि मानक प्रक्रिया के अनुसार, एक सहायक को शव वाहन और बाद में श्मशान घाट के भीतर शव को ले जाने के लिए पीपीई किट पहननी होती है। उन्होंने बताया कि कोई समाधान न दिखने पर मृतक के बेटों ने अपने दोस्त और वाहन चालक के साथ पीपीई किट पहनी और शव को श्मशान घाट ले गए जहां सुबह 10 बजे अंतिम संस्कार किया गया

महाराष्ट्र के घाटकोपर में रविवार को एक बुजुर्ग डॉक्टर की कोरोना से मौत हो गई। इसके बाद सुबह शव को शवदाह गृह तक ले जाने के लिए किसी वाहन और सहायक की व्यवस्था ना होने की वजह से मृतक के दो बेटों ने पीपीई किट पहनी और पिता का अंतिम संस्कार किया। 

इलाके के एक अधिकारी के मुताबिक शनिवार रात को हिंदू महासभा अस्पताल में कोरोना से संक्रमित एक बुजुर्ग डॉक्टर को इलाज के लिए कोविड-19 देखभाल केंद्र में भर्ती करवाया गया था, लेकिन उनकी स्थिति बिगड़ गई और रविवार को उनकी मौत हो गई। इसके बाद शव को शवदाह गृह तक ले जाने के लिए किसी वाहन और सहायक की व्यवस्था ना होने की वजह से मृतक के एक डॉक्टर बेटे ने शव ले जाने वाले वाहन की व्यवस्था करने की कोशिश की लेकिन सोमवार तड़के तक कोई वाहन उपलब्ध नहीं होने के कारण उसे स्थानीय पार्षद अर्चना भालेराव को फोन करना पड़ा।

हालांकि जब वाहन पहुंचा तो उसमें शव को रखने और बाद में उसे श्मशान घाट तक ले जाने के लिए कोई सहायक नहीं था। फिर मृतक के दोनो बेटों को ही पीपीई किट पहनने पर मजबूर होना पड़ा और पिता के शव को पूर्वी घाटकोपर बस्ती में शवदाह गृह तक ले जाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा।

अधिकारी ने बताया कि मानक प्रक्रिया के अनुसार, एक सहायक को शव वाहन और बाद में श्मशान घाट के भीतर शव को ले जाने के लिए पीपीई किट पहननी होती है। उन्होंने बताया कि कोई समाधान न दिखने पर मृतक के बेटों ने अपने दोस्त और वाहन चालक के साथ पीपीई किट पहनी और शव को श्मशान घाट ले गए जहां सुबह 10 बजे अंतिम संस्कार किया गया




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