Cyber Crime Increased Upto 10 Percent During Lockdown Says Cyber Police – लॉकडाउन में 10 फीसदी तक बढ़े साइबर अपराध, ऐसे रहें ऑनलाइन सुरक्षित




ख़बर सुनें

लॉकडाउन में साइबर अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है। इस बात से साइबर पुलिस और साइबर एक्सपर्ट दोनों सहमत हैं। लॉकडाउन में बढ़े साइबर क्राइम का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सिक्योरिटी फर्म बाराकुडा नेटवर्क के अनुसार एक मार्च से 23 मार्च के बीच 4,67,825 पिशिंग ई-मेल भेजे गए जिनमें 9,116 कोरोना से संबंधित हैं, जबकि फरवरी में कोरोना को लेकर 1,188 और जनवरी में सिर्फ 137 ई-मेल भेजे गए थे। कोरोना वायरस से संबंधित ई-मेल भेजकर लोगों की निजी जानकारी चोरी की जा रही है और उनके सिस्टम में मैलवेयर इंस्टॉल करवाया जा रहा है।

पुणे के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर जयराम पायगुडे का भी कहना है कि लॉकडाउन की आड़ में हैकर्स लोगों को लूटने की फिराक में बैठे हैं। उन्होंने अपने एक बयान में कहा, ‘लॉकडाउन पीरियड में साइबर अपराध बढ़ गए हैं। पहले पांच महीने में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत साइबर अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। ज्यादातर मामले सोशल मीडिया अकाउंट हैक करने और मानहानि के लिए भेजे मैसेज से जुड़े हैं।’

आजकल हैकर्स का नया ठीकाना फेसबुक हो गया है। हैकर्स सबसे पहले उन यूजर्स की लिस्ट बनाते हैं जिनका अकाउंट मोबाइल नंबर से बनाया गया है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जिन लोगों ने मोबाइल नंबर से अकाउंट बनाया, उनमें से अधिकतर लोगों ने पासवर्ड में भी मोबाइल नंबर ही डाल रखा है। इसका फायदा हैकर्स उठा रहे हैं। मोबाइल नंबर की मदद से वे फेसबुक अकाउंट में लॉगिन कर रहे हैं और फिर आपके परिवार के सदस्यों और करीबों लोगों को मैसेज करके पैसे मांग रहे हैं। ये हैकर्स आपके जानने वालों को मैसेज करके कहते हैं कि आपका या आपके किसी बहुत ही करीबी दोस्त का एक्सिडेंट हो गया है और वह अस्पताल में, उसके इलाज के लिए आपको पैसे चाहिए। ऐसे में लोगों के पास आपकी आईडी से मैसेज जा रहा है, जबकि आपने कोई मैसेज ही नहीं भेजा है। 

स्कैम ई-मेल के जरिए लोगों को फ्री मास्क, फ्री सैनिटाइजर देने के दावे वाले ई-मेल भेजे जाते हैं। इसके अलावा लोगों को ऐसे ई-मेल भी भेजे जाते हैं जिनमें वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में निवेश करने को कहा जाता है, जबकि वास्तव में ये कंपनियां फर्जी होती हैं। इसके अलावा लोगों से फर्जी डोनेशन भी मांगे जाते हैं। वहीं चैरिटी वाले ई-मेल भी आते हैं।

हाल ही में सामने आई कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों को कोरोना वायरस से संबंधित ई-मेल में कई तरह के मैलवेयर एक मीडिया फाइल के जरिए भेजे जा रहे हैं। उदाहरण से समझें तो आपके पास ऐसा कोई ईमेल आ सकता है जिसमें एक फाइल अटैच होगी और उसे डाउनलोड करने को कहा जा रहा होगा। फाइल को डाउनलोड करते ही आपके सिस्टम के हैक होने की संभावना है। इस तरीके से आपके फोन में बैकिंग मैलवेयर इंस्टॉल किए जा सकते हैं और शिकार बनाया जा सकता है।

पहला तरीका यह है कि अपने जीमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स में टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन रखें। इसके बाद यदि कोई आपका अकाउंट लॉगिन करेगा तो आपको उसका नोटिफिकेशन मिलेगा। इसके अलावा किसी भी ऐसे ई-मेल में दिए गए अटैचमेंट पर क्लिक ना करें जो कोरोना वायरस से संबंधित हो या फिर अंजान ई-मेल आईडी से आया हो। इसके अलावा किसी भी ई-मेल के साथ आए लिंक को ओपन ना करें और मीडिया फाइल को भी डाउनलोड ना करें। दूसरा तरीका है कि ऐसे ई-मेल को ब्लॉक करें, फ्लैग करें या फिर स्पैम मार्क कर दें।

सार

  • लॉकडाउन का भरपूर फायदा उठा रहे हैकर्स
  • साइबर अटैक में भारी इजाफा
  • लगातार हैक हो रहे सोशल मीडिया अकाउंट्स

विस्तार

लॉकडाउन में साइबर अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है। इस बात से साइबर पुलिस और साइबर एक्सपर्ट दोनों सहमत हैं। लॉकडाउन में बढ़े साइबर क्राइम का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सिक्योरिटी फर्म बाराकुडा नेटवर्क के अनुसार एक मार्च से 23 मार्च के बीच 4,67,825 पिशिंग ई-मेल भेजे गए जिनमें 9,116 कोरोना से संबंधित हैं, जबकि फरवरी में कोरोना को लेकर 1,188 और जनवरी में सिर्फ 137 ई-मेल भेजे गए थे। कोरोना वायरस से संबंधित ई-मेल भेजकर लोगों की निजी जानकारी चोरी की जा रही है और उनके सिस्टम में मैलवेयर इंस्टॉल करवाया जा रहा है।


आगे पढ़ें

क्या कहती है साइबर पुलिस?






Source link

Leave a comment