लॉकडाउन में हुए घाटे को पाटने के लिए तेल विपणन कंपनियां जून में पेट्रोल-डीजल के दाम 5 रुपये तक बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा कंपनियां अगले महीने से कीमतों में रोजाना बदलाव की व्यवस्था को दोबारा बहाल करने की भी तैयारी में हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन में कम बिक्री के साथ सरकारों ने भी टैक्स बढ़ा दिया जिससे लागत और बिक्री में काफी अंतर आ गया है।
सरकारी तेल विपणन कंपनी (ओएमसी) के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह सभी खुदरा तेल विक्रेताओं ने बैठक कर मौजूदा स्थिति का आकलन किया है और लॉकडाउन के बाद कीमतों में रोजाना बदलाव की व्यवस्था शुरू करने का रोडमैप तैयार किया है। अगर लॉकडाउन को 5वीं बार बढ़ाया जाता है, तो भी सरकार से मंजूरी लेकर इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। पिछले दो महीने मेें तेल की बेहद कम बिक्री से कंपनियों को बड़ा घाटा हुआ है।
एक सरकारी तेल कंपनी के अधिकारी ने कहा कि पिछले महीने के मुकाबले ब्रेंट क्रूड की कीमत 50 फीसदी बढ़कर 30 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई है। यही स्थिति रही तो जून से पेट्रोल-डीजल की मौजूदा कीमत पर नुकसान होना शुरू हो जाएगा। ऐसे में प्रतिदिन 40-50 पैसे की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी।
लगातार दो हफ्ते तक बढ़ेंगे दाम
कंपनियों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल में लागत और बिक्री का अंतर पहले ही 4-5 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। ऐसे में वैश्विक कीमतों को देखते हुए घाटे को पूरा करने के लिए लगातार दो सप्ताह तक 40-50 पैसा प्रतिदिन दाम बढ़ाना पड़ेगा। हालांकि, सरकार के सूत्रों का कहना है कि कीमतों में रोजाना बदलाव की व्यवस्था बहाल होने के बावजूद पेट्रोल-डीजल के मूल्य को सीमा से अधिक बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
लिहाजा कंपनियां पेट्रोलियम उत्पादों पर रोजाना 20-40 पैसे या इससे भी कम की बढ़ोतरी कर सकेंगी। यह बढ़ोतरी भी तभी तक लागू रहेगी जब तक कंपनियां लागत और बिक्री के अंतर को खत्म करने में सक्षम नहीं हो जाती हैं।
सरकारों ने अंधाधुंध बढ़ाया टैक्स
तेल विपणन कंपनियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान बिक्री 90 फीसदी तक गिर गई। हालांकि, वैश्विक कीमतों में बड़ी गिरावट से इसकी भरपाई में मदद मिली थी। लेकिन केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया जिससे कंपनियों का प्रति लीटर मुनाफा 12-18 रुपये से गिरकर 4-5 रुपये पर आ गया।
इसके बाद वैश्विक बाजार में क्रूड महंगा भी होने लगा, जिससे कीमतों को लेकर दबाव बढ़ गया है। दिल्ली में 5 मई को वैट बढ़ाए जाने के बाद पेट्रोल की कीमत 71.26 रुपये लीटर व डीजल 69.39 रुपये लीटर हो गई है, जो 16 मई से पहले क्रमश: 69.59 रुपये और 62.28 रुपये थी।
सार
- तेल कंपनियां घाटा पाटने के लिए उठाएंगी कदम, फिर रोजाना बदलेगी कीमत
- 50 पैसा प्रतिदिन तक बढ़ाई जा सकती हैं तेल की कीमतें
- लगातार दो हफ्ते तक बढ़ते रहेंगे तेल के दाम
विस्तार
लॉकडाउन में हुए घाटे को पाटने के लिए तेल विपणन कंपनियां जून में पेट्रोल-डीजल के दाम 5 रुपये तक बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा कंपनियां अगले महीने से कीमतों में रोजाना बदलाव की व्यवस्था को दोबारा बहाल करने की भी तैयारी में हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन में कम बिक्री के साथ सरकारों ने भी टैक्स बढ़ा दिया जिससे लागत और बिक्री में काफी अंतर आ गया है।
सरकारी तेल विपणन कंपनी (ओएमसी) के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह सभी खुदरा तेल विक्रेताओं ने बैठक कर मौजूदा स्थिति का आकलन किया है और लॉकडाउन के बाद कीमतों में रोजाना बदलाव की व्यवस्था शुरू करने का रोडमैप तैयार किया है। अगर लॉकडाउन को 5वीं बार बढ़ाया जाता है, तो भी सरकार से मंजूरी लेकर इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। पिछले दो महीने मेें तेल की बेहद कम बिक्री से कंपनियों को बड़ा घाटा हुआ है।
एक सरकारी तेल कंपनी के अधिकारी ने कहा कि पिछले महीने के मुकाबले ब्रेंट क्रूड की कीमत 50 फीसदी बढ़कर 30 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई है। यही स्थिति रही तो जून से पेट्रोल-डीजल की मौजूदा कीमत पर नुकसान होना शुरू हो जाएगा। ऐसे में प्रतिदिन 40-50 पैसे की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी।
लगातार दो हफ्ते तक बढ़ेंगे दाम
कंपनियों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल में लागत और बिक्री का अंतर पहले ही 4-5 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। ऐसे में वैश्विक कीमतों को देखते हुए घाटे को पूरा करने के लिए लगातार दो सप्ताह तक 40-50 पैसा प्रतिदिन दाम बढ़ाना पड़ेगा। हालांकि, सरकार के सूत्रों का कहना है कि कीमतों में रोजाना बदलाव की व्यवस्था बहाल होने के बावजूद पेट्रोल-डीजल के मूल्य को सीमा से अधिक बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
लिहाजा कंपनियां पेट्रोलियम उत्पादों पर रोजाना 20-40 पैसे या इससे भी कम की बढ़ोतरी कर सकेंगी। यह बढ़ोतरी भी तभी तक लागू रहेगी जब तक कंपनियां लागत और बिक्री के अंतर को खत्म करने में सक्षम नहीं हो जाती हैं।
सरकारों ने अंधाधुंध बढ़ाया टैक्स
तेल विपणन कंपनियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान बिक्री 90 फीसदी तक गिर गई। हालांकि, वैश्विक कीमतों में बड़ी गिरावट से इसकी भरपाई में मदद मिली थी। लेकिन केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया जिससे कंपनियों का प्रति लीटर मुनाफा 12-18 रुपये से गिरकर 4-5 रुपये पर आ गया।
इसके बाद वैश्विक बाजार में क्रूड महंगा भी होने लगा, जिससे कीमतों को लेकर दबाव बढ़ गया है। दिल्ली में 5 मई को वैट बढ़ाए जाने के बाद पेट्रोल की कीमत 71.26 रुपये लीटर व डीजल 69.39 रुपये लीटर हो गई है, जो 16 मई से पहले क्रमश: 69.59 रुपये और 62.28 रुपये थी।
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