उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के आधार पर पूरा उत्तराखंड ऑरेंज जोन में आ गया है। रविवार को प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमित मिलने पर ग्रीन जोन में शामिल सात जिलों को भी ऑरेंज जोन घोषित कर दिया है। इस संबंध में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने आदेश जारी कर दिए हैं।
लॉकडाउन 4.0 शुरू होने से पहले प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की गाइडलाइन के आधार पर जिलों का जोन तय किया था। उस समय प्रदेश के छह पर्वतीय जिले टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला नहीं था। जिससे ये जनपद ग्रीन जोन में ही थे।
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वहीं, हरिद्वार जिले को रेड जोन से हटा कर ग्रीन जोन में रखा था। जबकि ऊधमसिंहनगर, पौड़ी और उत्तरकाशी जिले को ग्रीन जोन से बाहर कर ऑरेंज जोन घोषित किया गाय था। देहरादून, ऊधमसिंह नगर और अल्मोड़ा जिले ऑरेंज जोन में रखे गए थे।
रविवार को सरकार ने ग्रीन जोन में शामिल सात जिलों को भी ऑरेंज जोन में शामिल कर दिया। जबकि छह जनपद पहले से ही ऑरेंज जोन में थे। पूरा प्रदेश अब ऑरेंज जोन में आ गया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश में सभी जिलों के निर्देश दिए गए कि जोन के हिसाब से लॉकडाउन के लिए तय मानकों का पालन करें।
कोरोना मरीजों की रफ्तार बढ़ने से प्रदेश में संक्रमित मरीज दोगुने होने की दर में भारी कमी आई है। रविवार को संक्रमण की डबलिंग रेट 4.18 दिन पहुंच गई है। वहीं, सैंपल जांच के आधार पर संक्रमण 1.75 प्रतिशत हो गया।
प्रदेश में रविवार को 73 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं। उस गति से ठीक होने वाले मरीजों की रफ्तार नहीं है। पिछले एक सप्ताह में संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण डबलिंग रेट में अब तक की सबसे ज्यादा कमी आई है। राष्ट्रीय स्तर पर डबलिंग रेट का औसत 12.92 दिन है। जबकि उत्तराखंड में यह दर 4.18 दिन पर पहुंची गई है।
अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि कोरोना संक्रमित मामले लगातार बढ़ने से डबलिंग रेट में कमी आई है। वहीं, रिकवरी दर भी 18.86 प्रतिशत है। केंद्र सरकार ने संक्रमित मरीज के डिस्चॉर्ज करने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। जिससे आने वाले दिनों में प्रदेश की रिकवरी दर बढ़ेगी।
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पिछले एक सप्ताह में सैंपलिंग तो बढ़ा दी है, लेकिन पर्वतीय जिलों में अभी भी सैंपल लेने की रफ्तार सुस्त है। रविवार को अकेले हरिद्वार जिले से पांच सौ से अधिक सैंपल जांच के लिए भेजे गए। वहीं, बागेश्वर जिले से एक भी सैंपल नहीं लिया गया है।
कोविड 19 जांच का दायरा बढ़ाने से प्रदेश में संक्रमण का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले एक सप्ताह में सैंपलिंग में तेजी आई है। लेकिन पहाड़ों में अभी भी सैंपलिंग को लेकर सिस्टम की सुस्त चाल है। रविवार को पूरे प्रदेश से 1120 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। इसमें 504 सैंपल हरिद्वार, 107 नैनीताल, 97 देहरादून जनपद के शामिल हैं। पर्वतीय जिलों से सैंपलों की संख्या देखी जाए तो बागेश्वर से एक भी सैंपल नहीं लिया गया। जबकि चमोली से छह, चंपावत से मात्र दो सैंपल लिए गए हैं।
अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत का कहना है कि सभी जिलों को सैंपलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सप्ताह में कम से कम दो सौ सैंपलों की जांच अनिवार्य रूप से की जाए। पहले की तुलना में प्रदेश में जांच के लिए भेजे जाने वाले सैंपलों की संख्या बढ़ी है। वहीं, लैब में पूल टेस्टिंग होने से प्रतिदिन आठ सौ से एक हजार तक सैंपलों की रिपोर्ट मिल रही है।
सार
- ग्रीन जोन में शामिल सात जिले भी ऑरेंज जोन में शामिल
- डबलिंग रेट 4.18 दिन और सैंपल जांच में संक्रमण की दर 1.75 प्रतिशत पहुंची
- संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर भी 18.86 प्रतिशत पर आई
- पहाड़ों में लगातार बढ़ रहा संक्रमण, सुस्त है सैंपलिंग की रफ्तार
विस्तार
उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के आधार पर पूरा उत्तराखंड ऑरेंज जोन में आ गया है। रविवार को प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमित मिलने पर ग्रीन जोन में शामिल सात जिलों को भी ऑरेंज जोन घोषित कर दिया है। इस संबंध में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने आदेश जारी कर दिए हैं।
लॉकडाउन 4.0 शुरू होने से पहले प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की गाइडलाइन के आधार पर जिलों का जोन तय किया था। उस समय प्रदेश के छह पर्वतीय जिले टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला नहीं था। जिससे ये जनपद ग्रीन जोन में ही थे।
यह भी पढ़ें: Coronavirus: उत्तराखंड में आज मिले 73 कोरोना पॉजिटिव मरीज, कुल संक्रमितों की संख्या हुई 317
वहीं, हरिद्वार जिले को रेड जोन से हटा कर ग्रीन जोन में रखा था। जबकि ऊधमसिंहनगर, पौड़ी और उत्तरकाशी जिले को ग्रीन जोन से बाहर कर ऑरेंज जोन घोषित किया गाय था। देहरादून, ऊधमसिंह नगर और अल्मोड़ा जिले ऑरेंज जोन में रखे गए थे।
रविवार को सरकार ने ग्रीन जोन में शामिल सात जिलों को भी ऑरेंज जोन में शामिल कर दिया। जबकि छह जनपद पहले से ही ऑरेंज जोन में थे। पूरा प्रदेश अब ऑरेंज जोन में आ गया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश में सभी जिलों के निर्देश दिए गए कि जोन के हिसाब से लॉकडाउन के लिए तय मानकों का पालन करें।
उत्तराखंड में संक्रमित दोगुने होने की दर में भारी गिरावट
कोरोना मरीजों की रफ्तार बढ़ने से प्रदेश में संक्रमित मरीज दोगुने होने की दर में भारी कमी आई है। रविवार को संक्रमण की डबलिंग रेट 4.18 दिन पहुंच गई है। वहीं, सैंपल जांच के आधार पर संक्रमण 1.75 प्रतिशत हो गया।
प्रदेश में रविवार को 73 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं। उस गति से ठीक होने वाले मरीजों की रफ्तार नहीं है। पिछले एक सप्ताह में संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण डबलिंग रेट में अब तक की सबसे ज्यादा कमी आई है। राष्ट्रीय स्तर पर डबलिंग रेट का औसत 12.92 दिन है। जबकि उत्तराखंड में यह दर 4.18 दिन पर पहुंची गई है।
अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि कोरोना संक्रमित मामले लगातार बढ़ने से डबलिंग रेट में कमी आई है। वहीं, रिकवरी दर भी 18.86 प्रतिशत है। केंद्र सरकार ने संक्रमित मरीज के डिस्चॉर्ज करने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। जिससे आने वाले दिनों में प्रदेश की रिकवरी दर बढ़ेगी।
पहाड़ों में सुस्त है सैंपलिंग की रफ्तार
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पिछले एक सप्ताह में सैंपलिंग तो बढ़ा दी है, लेकिन पर्वतीय जिलों में अभी भी सैंपल लेने की रफ्तार सुस्त है। रविवार को अकेले हरिद्वार जिले से पांच सौ से अधिक सैंपल जांच के लिए भेजे गए। वहीं, बागेश्वर जिले से एक भी सैंपल नहीं लिया गया है।
कोविड 19 जांच का दायरा बढ़ाने से प्रदेश में संक्रमण का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले एक सप्ताह में सैंपलिंग में तेजी आई है। लेकिन पहाड़ों में अभी भी सैंपलिंग को लेकर सिस्टम की सुस्त चाल है। रविवार को पूरे प्रदेश से 1120 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। इसमें 504 सैंपल हरिद्वार, 107 नैनीताल, 97 देहरादून जनपद के शामिल हैं। पर्वतीय जिलों से सैंपलों की संख्या देखी जाए तो बागेश्वर से एक भी सैंपल नहीं लिया गया। जबकि चमोली से छह, चंपावत से मात्र दो सैंपल लिए गए हैं।
अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत का कहना है कि सभी जिलों को सैंपलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सप्ताह में कम से कम दो सौ सैंपलों की जांच अनिवार्य रूप से की जाए। पहले की तुलना में प्रदेश में जांच के लिए भेजे जाने वाले सैंपलों की संख्या बढ़ी है। वहीं, लैब में पूल टेस्टिंग होने से प्रतिदिन आठ सौ से एक हजार तक सैंपलों की रिपोर्ट मिल रही है।