Coronavirus In Punjab News In Hindi: Case Of Big Negligence In Jalandhar Civil Hospital – लापरवाही: दो कोरोना पॉजिटिव को अस्पताल ने किया डिस्चार्ज, एक का फूल बरसाकर स्वागत




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मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को जालंधर की सिविल सर्जन गुरिंदर कौर चावला से वीडियो कॉल कर उनकी पीठ थपथपाई। इसके चंद घंटे बाद ही सिविल अस्पताल प्रशासन ने घोर लापरवाही कर दी। कोरोना पॉजिटिव दो मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

हालांकि इनकी रिपोर्ट मंगलवार को भी पॉजिटिव आई थी। जब गलती का पता चला तो हाथ-पैर फूलने लगे और आनन-फानन में दोबारा सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया। एक मरीज का तो इलाके में लोगों ने फूल बरसाकर स्वागत किया।

मंगलवार देर रात को एक पीड़ित को फोन कर बुलाया गया। वह खुद ही बाइक पर सवार होकर अस्पताल आकर दोबारा भर्ती हुआ। इस बीच वह कई लोगों से मिल चुका था। वहीं, दूसरा पीड़ित सिविल अस्पताल में ही सो गया था। उनके पास घर जाने के लिए कोई वाहन नहीं था और उसकी बेटी भी कोरोना संक्रमित थी। सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने मंगलवार को दोनों पीड़ितों से बिना पीपीई किट के मुलाकात की थी और उनको ठीक होने पर बधाई भी दी। 

सिविल अस्पताल प्रशासन की ओर से मंगलवार को तीन मरीजों को छुट्टी दी गई थी। पता चला है कि कोरोना का इलाज करने वाला एक सीनियर डॉक्टर ड्यूटी पर था। दूसरा सीनियर डॉक्टर अंदर तैनात था। सिविल अस्पताल में जब कोरोना के मरीजों की रिपोर्ट आई तो अंदर बैठे सीनियर चिकित्सक ने दोनों पीड़ितों की पुरानी रिपोर्ट पर ही नजर मारी, उसमे दोनों निगेटिव थे। 

नई रिपोर्ट पर गौर ही नहीं फरमाया गया, जिसमें दोनों पॉजिटिव थे। इसके बाद करतारपुर के एक मरीज और एक अन्य को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। इन्हीं में से एक घर जाकर अपने परिवारवालों और रिश्तेदारों से भी मिला था। वह इलाके में मोटरसाइकिल पर गलियों में भी घूमा था। ठीक होने पर उसके दोस्तों ने फूल बरसाकर नारे भी लगाए। 

इसी तरह दूसरे पीड़ित को निगेटिव बताकर घर जाने को कहा था। उसकी रिपोर्ट भी देर रात पॉजिटिव ही आई थी। राजा गार्डन के रहने वाले इस पीड़ित की बेटी भी अस्पताल में दाखिल थी। पीड़ित को घर छोड़ने के लिए रात को एंबुलेंस भी नहीं मिली, जिस कारण वह अस्पताल में ही सो गया।

बुधवार सुबह पुलिस और सेहत विभाग की टीम देर रात उसे लेने घर पहुंच गई। वहां पता चला कि वह तो घर आया ही नहीं, अस्पताल में है। विभाग की लापरवाही के चलते इलाके में अफरा-तफरी मच गई। पीड़ित का मोबाइल भी बंद जा रहा था। जब मोबाइल ऑन हुआ तो प्रशासन ने बात की। पीड़ित ने बताया कि वह तो अस्पताल में ही है।

उसके बाद उसे आइसोलेशन वार्ड में दोबारा दाखिल कर इलाज शुरू किया गया। सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदर कौर ने कहा कि मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच में लापरवाही कहां और किससे हुई है, इसका पता चलेगा और उसके बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। 

अपनी गलती का ठीकरा लोगों पर थोपने लगा स्वास्थ्य विभाग
विभाग की घोर लापरवाही का ठीकरा सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदर कौर चावला आम जनता पर थोपने की बात कर रही हैं। मामला दो कोरोना पीड़ितों को अस्पताल से छुट्टी देने का है। सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदर चावला ने कहा कि पीड़ित अगर अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ था तो उसे 14 दिन के लिए घर पर रहने के आदेश थे। 

उसने उल्लंघन किया है। उस पर केस दर्ज होना चाहिए। इलाके के लोगों को हिदायत थी कि वह घरों से नहीं निकलेंगे। स्वागत करने वालों पर केस दर्ज होना चाहिए। हालांकि सिविल सर्जन गुरिंदर चावला ने एक बार भी यह नहीं कहा कि प्राथमिक जांच में कौन सा चिकित्सक दोषी है और विभाग क्या कार्रवाई करने जा रहा है। इस बारे में  डिप्टी कमिशनर वरिंदर कुमार शर्मा को फोन किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। 

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को जालंधर की सिविल सर्जन गुरिंदर कौर चावला से वीडियो कॉल कर उनकी पीठ थपथपाई। इसके चंद घंटे बाद ही सिविल अस्पताल प्रशासन ने घोर लापरवाही कर दी। कोरोना पॉजिटिव दो मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

हालांकि इनकी रिपोर्ट मंगलवार को भी पॉजिटिव आई थी। जब गलती का पता चला तो हाथ-पैर फूलने लगे और आनन-फानन में दोबारा सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया। एक मरीज का तो इलाके में लोगों ने फूल बरसाकर स्वागत किया।
मंगलवार देर रात को एक पीड़ित को फोन कर बुलाया गया। वह खुद ही बाइक पर सवार होकर अस्पताल आकर दोबारा भर्ती हुआ। इस बीच वह कई लोगों से मिल चुका था। वहीं, दूसरा पीड़ित सिविल अस्पताल में ही सो गया था। उनके पास घर जाने के लिए कोई वाहन नहीं था और उसकी बेटी भी कोरोना संक्रमित थी। सिविल अस्पताल के चिकित्सकों ने मंगलवार को दोनों पीड़ितों से बिना पीपीई किट के मुलाकात की थी और उनको ठीक होने पर बधाई भी दी। 

सिविल अस्पताल प्रशासन की ओर से मंगलवार को तीन मरीजों को छुट्टी दी गई थी। पता चला है कि कोरोना का इलाज करने वाला एक सीनियर डॉक्टर ड्यूटी पर था। दूसरा सीनियर डॉक्टर अंदर तैनात था। सिविल अस्पताल में जब कोरोना के मरीजों की रिपोर्ट आई तो अंदर बैठे सीनियर चिकित्सक ने दोनों पीड़ितों की पुरानी रिपोर्ट पर ही नजर मारी, उसमे दोनों निगेटिव थे। 




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