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सार
- ट्रंप और बाइडेन के अभियानों को हैक करने की कोशिश
- हैकिंग के लिए फिशिंग तरीके का हुआ इस्तेमाल
विस्तार
हंटली ने कहा कि चीन के समूह ‘हरकेन पैंडा’ ने ट्रंप के अभियान के सदस्यों और ईरान के समूह ‘चार्मिंग किटन’ ने बाइडन के अभियान के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने की कोशिश की। इस तरह के ‘फ़िशिंग’ (हैक करने के) प्रयासों में आमतौर पर फर्जी ई-मेल शामिल होते हैं, जिसमें ‘मैलवेयर’ के जरिए पासवर्ड चुराने या यंत्रों को दूषित करने कोशिश की जाती है।
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‘मैलवेयर’ एक प्रकार का वायरस है, जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर पर किसी की पहचान चोरी करने या गोपनीय जानकारी में सेंध लगाने के लिए किया जाता है। कंपनी के बयान के अनुसार दोनों अभियान से जुड़े लोगों के निजी ई-मेल अकाउंट पर सेंध लगाने की कोशिश की गई। गूगल के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह हाल ही में किया गया है और दोनों अभियानों से जुड़े कुछ लोगों को निशाना बनाया गया।
गूगल ने कहा कि उसने लक्षित उपयोगकर्ताओं को सतर्क किया और मामले को संघीय कानून प्रवर्तन को सौंप दिया। अटलांटिक काउंसिल के डिजिटल फोरेंसिक रिसर्च लैब के निदेशक ग्राहम ब्रूकी ने इस घोषणा को साइबर की मदद से अभियान को प्रभावित करने संबंधी एक प्रमुख खुलासा बताया, जैसा कि 2016 में देखा गया था।
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उनका इशारा डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी और हिलेरी क्लिंटन के 2016 के राष्ट्रपति अभियान को रूस द्वारा हैक किए जाने की ओर था, जिसके खुलासे के बाद 2016 राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप और ट्रंप की जीत पर कई सवाल उठे। ट्रंप और बाइडेन की ओर से हैकिंग के इस हालिया प्रयास पर कोई टिप्पणी नहीं की गयी है।