Emphasis On Increasing Jobs Through Investment In Msmes, It Will Open The Way For The Stock Market – एमएसएमई में निवेश के जरिये नौकरियां बढ़ाने पर जोर, खुलेगा शेयर बाजार का रास्ता




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अर्थव्यवस्था की सुस्त गति और बेरोजगार जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने छोटे और मझोले उद्योगों पर बड़ा दांव लगाया है। वित्तमंत्री की ओर से पिछले महीने पेश एमएसएमई का दायरा बढ़ाकर नौकरियां पैदा करने के रोडमैप को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को मंजूरी दे दी। इसके तहत मझोले उद्योगों का टर्नओवर 50 गुना बढ़ा दिया गया है।

सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि ऐसी कंपनियों में निवेश का दायरा बढ़ाने से क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी। अभी इसके दायरे में आने वाली कंपनियों की संख्या बेहद सीमित है। सरकार के फैसले से एमएसएमई क्षेत्र में दर्जनों नई कंपनियां शामिल होंगी जिन्हें प्रोत्साहन का लाभ मिलेगा। मौजूदा समय में यह क्षेत्र 11 करोड़ लोगों को रोजगार देता है।

जब इसमें शामिल कंपनियों की संख्या बढ़ेगी तो, यहां बड़ी संख्या में नई नौकरियों का सृजन भी होगा। जीडीपी में 40 फीसदी योजना देने वाले एमएसएमई क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। अगर यह क्षेत्र कोरोना संकट से उबर जाए तो भारत की विकास दर में तेज उछाल आ सकता है।
 
सरकार इस बात को बहुत अच्छे से जानती है कि रूस्रूश्व सेक्टर को मजबूत किए बगैर देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाना संभव नहीं है। यह एक ऐसा सेक्टर है जिसका देश की जीडीपी में योगदान करीब 30 फीसदी, निर्यात में 45 फीसदी और 11-12 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। लोगों को रोजगार मिलेगा तो डिमांड बनी रहेगी।

खुले बाजार से जुटाएंगे पैसे
सरकार ने एमएसएमई को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराने के लिए 50 हजार करोड़ का फंड्स ऑफ फंड दिया है। पहले यह रकम 10 हजार करोड़ बताई थी, जिसे पांच गुना बढ़ा दिया है। एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने के बाद क्षेत्र को खुले बाजार और खुदरा निवेशकों से भी पैसे जुटाने में मदद मिलेगी। वहीं एमएसएमई की शिकायतों का तीन दिन में निपटारा शुरू हो जाएगा। जिससे व्यापारियों को फायदा मिलने वाला है।

एमएसएमई क्षेत्र की हर इकाई की मदद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को चैंपियन्स पोर्टल लांच किया। इसे क्षेत्र की इकाइयों के लिए वन स्टॉप सॉल्यूसंश माना जा रहा है, जहां अधिकारियों को शिकायतों की फाइल पर तीन दिन में काम शुरू करना होगा।

देश का पहला पोर्टल होगा जो मुख्य केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली यानी सीपी ग्राम्स से जुड़ा है। इसका मतलब है कि सीपी ग्राम्स पर की गई शिकायत सीधे चैंपियन्स पोर्टल पर आएगी और मंत्रालय की सीधी नजर रहेगी जिससे निपटाने में तेजी आएगी। यह पोर्टल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, डाटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग जैसी आधुनिक तकनीक से लैस है, जिससे कारोबारियों की शिकायत के बिना भी समस्याओं की स्वत: पहचान कर उसका निपटारा किया जा सकेगा।

यानी अगर कोई एक बैंक कारोबारियों के लोन आवेदन को बार-बार रद्द कर रहा है या किसी एक क्षेत्र में एक ही तरह की समस्या ज्यादा हो रही है तो एआई की मदद से यह पोर्टल पर स्वत: दिखने लगेगी। इस तरह पोर्टल क्षेत्र की प्रशासनिक बाधाओं को दूर करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। अब तक राज्यों में स्थानीय स्तर के नियंत्रण कक्ष बनाए जा चुके हैं, जिन्हें इस पोर्टल के सिस्टम से जोड़ दिया गया है। इस पूरी प्रणाली को 9 दिन में बनाकर इसका ट्रायल शुरू कर दिया गया है।
 
ये समस्याएं होंगी दूर

  • चैंपियन्स पोर्टल के जरिए सेक्टर की कई तरह की समस्याओं की शिकायतों का निवारण किया जाएगा। कोरोना के दौरान पूंजी की कमी, कामगारों की किल्लत, जरूरी अनुमतियों जैसी समस्या निपटाई जा सकेगी। 
  • नए अवसर जैसे पीपीई किट बनाना, मास्क बनाना और विदेशी बाजारों में सप्लाई करने में भी मदद की जाएगी। ये पोर्टल उन इकाइयों की पहचान करेगा जिन्हें प्रोत्साहन देकर वैश्विक स्तर पर चैंपियन बनाया जा सकता है।

किसी भी सिस्टम की कामयाबी उसके चलाने वालों की नीयत पर बहुत हद तक निर्भर करती है। ऐसे में इस पोर्टल के लॉन्च होने के साथ ही सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि कोई भी फाइल 72 घंटे से ज्यादा समय तक उनके पास ना रहे। उन्हें जो भी फैसला लेना है वो फैसला लें पर ये फाइल 3 दिन से ज्यादा अटकी नहीं रहनी चाहिए।

गांधी की राह पर मोदी सरकार

गांधी जी मानते थे कि भारत का विकास उनके गांव की स्थिति तय करेंगे। वो विकेंद्रीकरण और क्षेत्रीय आत्मनिर्भरता से जोड़ने के हामी थे जिसके लिए एमएसएमई सेक्टर एक महत्वपूर्ण कड़ी है। चैंपियन्स पोर्टल अगर इस सेक्टर को चैंपियन बना सका तो ये कई विभागों, मंत्रालयों के लिए नज़ीर बन सकता है।

सार

  • 50 गुना बढ़ गया है मझोले उद्योगों के कारोबार का आकार
  • 66 करोड़ लोगों पर असर डालेगा कैबिनेट में लिया गया फैसला

विस्तार

अर्थव्यवस्था की सुस्त गति और बेरोजगार जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने छोटे और मझोले उद्योगों पर बड़ा दांव लगाया है। वित्तमंत्री की ओर से पिछले महीने पेश एमएसएमई का दायरा बढ़ाकर नौकरियां पैदा करने के रोडमैप को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को मंजूरी दे दी। इसके तहत मझोले उद्योगों का टर्नओवर 50 गुना बढ़ा दिया गया है।

सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि ऐसी कंपनियों में निवेश का दायरा बढ़ाने से क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी। अभी इसके दायरे में आने वाली कंपनियों की संख्या बेहद सीमित है। सरकार के फैसले से एमएसएमई क्षेत्र में दर्जनों नई कंपनियां शामिल होंगी जिन्हें प्रोत्साहन का लाभ मिलेगा। मौजूदा समय में यह क्षेत्र 11 करोड़ लोगों को रोजगार देता है।

जब इसमें शामिल कंपनियों की संख्या बढ़ेगी तो, यहां बड़ी संख्या में नई नौकरियों का सृजन भी होगा। जीडीपी में 40 फीसदी योजना देने वाले एमएसएमई क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। अगर यह क्षेत्र कोरोना संकट से उबर जाए तो भारत की विकास दर में तेज उछाल आ सकता है।

 
सरकार इस बात को बहुत अच्छे से जानती है कि रूस्रूश्व सेक्टर को मजबूत किए बगैर देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाना संभव नहीं है। यह एक ऐसा सेक्टर है जिसका देश की जीडीपी में योगदान करीब 30 फीसदी, निर्यात में 45 फीसदी और 11-12 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। लोगों को रोजगार मिलेगा तो डिमांड बनी रहेगी।

खुले बाजार से जुटाएंगे पैसे
सरकार ने एमएसएमई को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराने के लिए 50 हजार करोड़ का फंड्स ऑफ फंड दिया है। पहले यह रकम 10 हजार करोड़ बताई थी, जिसे पांच गुना बढ़ा दिया है। एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने के बाद क्षेत्र को खुले बाजार और खुदरा निवेशकों से भी पैसे जुटाने में मदद मिलेगी। वहीं एमएसएमई की शिकायतों का तीन दिन में निपटारा शुरू हो जाएगा। जिससे व्यापारियों को फायदा मिलने वाला है।


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