गुंजन कुमार, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 28 May 2020 05:54 AM IST
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फाइल फोटो)
– फोटो : Twitter
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर कायम तनातनी के बीच भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन का सामरिक साझेदार पाकिस्तान भी अपने मोर्चे खोल सकता है। एलएसी पर सड़क और अन्य निर्माण को लेकर भारत के आक्रामक रुख ने इस बार चीन को कई तरह की चुनौतियां दी है।
कोविड 19, ताईवान, हांगकांग और दक्षिण चीन सागर को लेकर चौतरफा घिर रहा चीन भारत को अपना रुख ढीला करने पर मजबूर कर विश्व बिरादरी को अपने बर्चस्व का संकेत देना चाह रहा है। इसके लिए वह पाकिस्तान और नेपाल को मोहरा बनाकर नया पासा फेंक सकता है।
भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों की दिल्ली में शुरू हुई तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में चीन के साथ संभावित कई पहलुओं पर मंत्रणा हुई। उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी समेत सेना के सभी कमान के कमांडरों ने मौजूदा हालात से निबटने के लिए प्रेजेंटेशन दिया। इनमें कूटनीतिक पहलुओं को भी शामिल किया गया है।
पूर्वी लद्दाख का क्षेत्र लेफ्टिनेंट जनरल जोशी के कमान में ही है। चीन के साथ पाकिस्तान को देखते हुए पश्चिमी और उत्तरी कमान के प्रमुख प्रेजेंटेशन देंगे। चीनी मामलों के विशेषज्ञ सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे सम्मेलन की अगुवाई कर रहे हैं। इसमें सेना के प्रशासनिक और नीतिगत स्तर के कई फैसले लिए जाएंगे।
मिट्टी ढोने वाले भारी ट्रकों से सैनिकों को सीमा पर लाया चीन
पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव के बीच चीन ने मिट्टी ढोने वाले भारी ट्रकों से अपने सैनिकों को सीमा तक पहुंचाया है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने उन ट्रकों का इस्तेमाल किया जो नागरिक हवाई क्षेत्र को सैन्य क्षेत्र में बदलने के लिए मिट्टी लाने के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। सेना ने हाल ही इस हवाई अड्डे को अपने कब्जे में लिया है।
चीन लंबे समय से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास सड़क का निर्माण कर रहा है, ताकि जरूरत पर सेना तेजी से मोर्चे पर पहुंचाई जा सके। शुरुआती दौर में चीन ने पश्चिमी राजमार्ग का प्रयोग अपने सैनिकों को भेजने के लिए किया। जब भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हुए तो चीनी सैनिकों की संख्या ज्यादा थी। चीन सेना ने निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले भारी वाहनों से अपने सैनिकों को भेज दिया था। कुछ दशकों से चीन ने सीमावर्ती क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है।
सार
- शीर्ष सैन्य कमांडरों की कॉन्फ्रेंस में हुई चीन मामले पर मंथन
- सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे सम्मेलन की कर रहे हैं अगुवाई
- पाकिस्तान भी भारत पर दबाव बना सकता है
विस्तार
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर कायम तनातनी के बीच भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन का सामरिक साझेदार पाकिस्तान भी अपने मोर्चे खोल सकता है। एलएसी पर सड़क और अन्य निर्माण को लेकर भारत के आक्रामक रुख ने इस बार चीन को कई तरह की चुनौतियां दी है।
कोविड 19, ताईवान, हांगकांग और दक्षिण चीन सागर को लेकर चौतरफा घिर रहा चीन भारत को अपना रुख ढीला करने पर मजबूर कर विश्व बिरादरी को अपने बर्चस्व का संकेत देना चाह रहा है। इसके लिए वह पाकिस्तान और नेपाल को मोहरा बनाकर नया पासा फेंक सकता है।
भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों की दिल्ली में शुरू हुई तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में चीन के साथ संभावित कई पहलुओं पर मंत्रणा हुई। उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी समेत सेना के सभी कमान के कमांडरों ने मौजूदा हालात से निबटने के लिए प्रेजेंटेशन दिया। इनमें कूटनीतिक पहलुओं को भी शामिल किया गया है।
पूर्वी लद्दाख का क्षेत्र लेफ्टिनेंट जनरल जोशी के कमान में ही है। चीन के साथ पाकिस्तान को देखते हुए पश्चिमी और उत्तरी कमान के प्रमुख प्रेजेंटेशन देंगे। चीनी मामलों के विशेषज्ञ सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे सम्मेलन की अगुवाई कर रहे हैं। इसमें सेना के प्रशासनिक और नीतिगत स्तर के कई फैसले लिए जाएंगे।
मिट्टी ढोने वाले भारी ट्रकों से सैनिकों को सीमा पर लाया चीन
पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव के बीच चीन ने मिट्टी ढोने वाले भारी ट्रकों से अपने सैनिकों को सीमा तक पहुंचाया है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने उन ट्रकों का इस्तेमाल किया जो नागरिक हवाई क्षेत्र को सैन्य क्षेत्र में बदलने के लिए मिट्टी लाने के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। सेना ने हाल ही इस हवाई अड्डे को अपने कब्जे में लिया है।
चीन लंबे समय से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास सड़क का निर्माण कर रहा है, ताकि जरूरत पर सेना तेजी से मोर्चे पर पहुंचाई जा सके। शुरुआती दौर में चीन ने पश्चिमी राजमार्ग का प्रयोग अपने सैनिकों को भेजने के लिए किया। जब भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हुए तो चीनी सैनिकों की संख्या ज्यादा थी। चीन सेना ने निर्माण कार्य में प्रयोग होने वाले भारी वाहनों से अपने सैनिकों को भेज दिया था। कुछ दशकों से चीन ने सीमावर्ती क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है।
Source link