अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Updated Fri, 22 May 2020 06:39 AM IST
लद्दाख और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन की सेना के बीच तनातनी खत्म करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की कोशिश की जा सकती है। चर्चा है कि सैन्य के बजाय कूटनीतिक स्तर पर बातचीत से सुलह का प्रयास हो सकता है। शीर्ष स्तर पर बातचीत का फिलहाल कोई मंच तैयार नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बातचीत की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
कुछ दिनों में फ्लैग मीटिंग और हॉटलाइन पर बातचीत के कई दौर चले हैं। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक लद्दाख के चुसूल और दौलत बेग ओल्डी सीमा पर मंगलवार और बुधवार को ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत भी हुई, लेकिन नतीजा नहीं निकला। दरअसल, 3,488 किलोमीटर की साझी सीमा वाले दोनों देश अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं। चीन की शिकायत है कि भारत उसके इलाके में सड़क और अन्य निर्माण कर रहा है।
जबकि भारतीय सेना का कहना है कि वह अपने इलाके में काम कर रहा है। इस बीच, दोनों तरफ से सेना की तैनाती और गश्त बढ़ा दी गई है। बीते शनिवार को सिक्किम के नाकूला में भी दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई, जिसमें दोनों ओर के 11 सैनिक घायल हुए थे।
- भारत पीछे हटने को तैयार नहीं
सूत्रों के मुताबिक इस बार भारतीय सेना अपनी जगह से टस से मस होने का तैयार नहीं है। यह बात चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को खल रही है। लद्दाख के पैंग्लोंग झील, डेमचक और गलवां घाटी में अप्रैल के मध्य से तनाव बढ़ गया था। गलवां में भारतीय सीमा में निर्माण के विरोध में चीनी सेना ने सीमा से सटकर करीब 200 टेंट गाड़कर गश्त शुरू कर दी। सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना इस बार किसी सूरत में चीनी सेना के दबाव में नहीं आएगी।
सार
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बातचीत की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं
- सैन्य के बजाय कूटनीतिक स्तर पर बातचीत से सुलह का हो सकता है प्रयास
- भारतीय सेना पीछे हटने को नहीं है तैयार
विस्तार
लद्दाख और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन की सेना के बीच तनातनी खत्म करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर बातचीत की कोशिश की जा सकती है। चर्चा है कि सैन्य के बजाय कूटनीतिक स्तर पर बातचीत से सुलह का प्रयास हो सकता है। शीर्ष स्तर पर बातचीत का फिलहाल कोई मंच तैयार नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बातचीत की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
कुछ दिनों में फ्लैग मीटिंग और हॉटलाइन पर बातचीत के कई दौर चले हैं। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक लद्दाख के चुसूल और दौलत बेग ओल्डी सीमा पर मंगलवार और बुधवार को ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत भी हुई, लेकिन नतीजा नहीं निकला। दरअसल, 3,488 किलोमीटर की साझी सीमा वाले दोनों देश अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं। चीन की शिकायत है कि भारत उसके इलाके में सड़क और अन्य निर्माण कर रहा है।
जबकि भारतीय सेना का कहना है कि वह अपने इलाके में काम कर रहा है। इस बीच, दोनों तरफ से सेना की तैनाती और गश्त बढ़ा दी गई है। बीते शनिवार को सिक्किम के नाकूला में भी दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई, जिसमें दोनों ओर के 11 सैनिक घायल हुए थे।
- भारत पीछे हटने को तैयार नहीं
सूत्रों के मुताबिक इस बार भारतीय सेना अपनी जगह से टस से मस होने का तैयार नहीं है। यह बात चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को खल रही है। लद्दाख के पैंग्लोंग झील, डेमचक और गलवां घाटी में अप्रैल के मध्य से तनाव बढ़ गया था। गलवां में भारतीय सीमा में निर्माण के विरोध में चीनी सेना ने सीमा से सटकर करीब 200 टेंट गाड़कर गश्त शुरू कर दी। सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना इस बार किसी सूरत में चीनी सेना के दबाव में नहीं आएगी।
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