कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने पोल्ट्री उद्योग की कमर तोड़ दी है। देश में 1.20 लाख करोड़ के पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े करीब 10 करोड़ किसानों की पूंजी खत्म हो चुकी है। किसान और कारोबारी कर्ज में दबे हैं । चिकन-अंडा खाने से संक्रमण और लॉकडाउन से पोल्ट्री व्यवसाय को 20,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचा है। इस झटके से उबरने में इस उद्योग को संभलने में कई साल लग जाएंगे। ताजा हालात पर मनीष मिश्र की रिपोर्ट…
पोल्ट्री उत्पादन में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का हरियाणा और पश्चिम बंगाल के बाद तीसरा नंबर आता है। यहां हर रोज तीन करोड़ अंडों की खपत है, जिसमें से 1.7 करोड़ अंडों का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है, और 1.3 करोड़ अंडों को हर रोज पंजाब-हरियाणा से आयात किया जाता है। इसी तरह हर महीने चिकन की खपत लगभग तीन लाख मीट्रिक टन है।
अंडे और चिकन की इस मांग को पूरा करने के लिए पोल्ट्री व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ा और इसका गढ़ बना पूर्वांचल। लेकिन किसानों और व्यापारियों को हुए नुकसान ने इसे कई सालों पीछे कर दिया है, छोटे फार्म वाले सबसे ज्यादा संकट में हैं। उत्तर प्रदेश कुक्कुट निदेशालय के निदेशक डॉ. टोडरमल बताते हैं, हर रोज 1.70 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है, अगर एक अंडे की कीमत 4 रुपये रखी जाए तो सिर्फ अंडा उत्पादन को हर रोज 6.8 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जो कि महीने में 204 करोड़ रुपये है।
इसी तरह, चिकन के कारोबार में भी हर महीने 2000 से 2500 करोड़ का नुकसान हो रहा है। इस तरह से यूपी में अंडा और चिकन के कारोबार को पिछले दो महीनों में करीब 5400 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उन्नाव जिले के गांव फरहदपुर में छोटे-बड़े 50 फार्म थे, जो आज बंद पड़े हैं। मुर्गी पालक विमल सिंह कहते हैं, दिसंबर में जब माल तैयार हुआ तो मंडी गिर गई। कंपनियों से मिलने वाला फीड महंगा हो गया। हमारा करीब 4 से पांच लाख का नुकसान हो गया है। निर्यात न हो पाने से दक्षिण के राज्यों को भी काफी नुकसान हुआ है।
हैदराबाद के जहीराबाद में रहने वाले वसीम अहमद ने बताया कि एक किलो चिकन को तैयार करने में 70 रुपये लागत आई और उसे 10 रुपये प्रति किलो बेचने से 27 लाख रुपये का नुकसान हुआ। वहीं नवाब अली अकबर कहते हैं, यूपी में 99 प्रतिशत फार्म लोन पर थे, इस पर 10 प्रतिशत ब्याज पड़ता है, अगर आगे सही नहीं हुआ तो किसान कैसे भरपाई करेगा? वहीं, हरियाणा के करनाल में रहने वाले लकी लाथर का 1.5 लाख मुर्गियों का फार्म था, लेकिन पिछले दो महीने में 60 से 70 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। यूपी के ही अनीश ने 6.25 लाख रुपये खर्च किया, लेकिन बाजार में चिकन का भाव 30 रुपये प्रति किलो होने से कमाई 2.40 लाख ही रह गई।
ऐसे समझिए नुकसान का गणित…
केन्द्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार भारत हर रोज 25 करोड़ अंडे और 1.3 करोड़ मुर्गे-मुर्गियों का उत्पादन करता है। दो महीने में 1500 करोड़ अंडों की कीमत प्रति अंडा चार रुपये मानें तो यह 6000 करोड़ होती है, इसी तरह ब्रायलर (मांस का उत्पादन) को देखें तो 1.3 करोड़ पक्षियों का हर रोज उत्पादन होने से दो महीनों में कुल 156 करोड़ किलोग्राम मांस तैयार होता है, जिसकी कीमत 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 15,600 करोड़ रुपये होती है। इस तरह से कुल 21,600 करोड़ का नुकसान तो सीधे तौर पर दिखता है।
कर्ज में दो साल को रियायत दी जाए
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख कर कई सहूलियतें मांगी हैं। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश खत्री ने बताया, हमने मांग की है कि लोन में दो साल का मोरेटोरियम दिया जाए, प्रति मुर्गा 100 रुपये की मदद दी जाए और पहले दो साल में ब्याज न लिया जाए, तभी पोल्ट्री इंडस्ट्री को बचाया जा सकता है। यूपी पोल्ट्री फार्मर एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अकबर कहते हैं, हमारी सरकार से मांग है कि मुर्गी पालन में लगे किसानों को कृषि रेट पर बिजली दी जाए।
जैसे सब्जी बिक रही, वैसे ही पोल्ट्री उत्पाद भी बिकवाए सरकार
रमेश खत्री कहते हैं, पॉल्ट्री उद्योग की क्षमता जीरो हो गई है, अभी कई जगहों पर मुर्गा फ्री में उठवाया गया। दुकानें बंद हैं, और पुलिस खोलने नहीं दे रही। सरकार जैसे शहरों में सब्जी बिकवा रही है, वैसे ही चिकन की दुकानें भी खुलवाए।
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने पोल्ट्री उद्योग की कमर तोड़ दी है। देश में 1.20 लाख करोड़ के पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े करीब 10 करोड़ किसानों की पूंजी खत्म हो चुकी है। किसान और कारोबारी कर्ज में दबे हैं । चिकन-अंडा खाने से संक्रमण और लॉकडाउन से पोल्ट्री व्यवसाय को 20,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान पहुंचा है। इस झटके से उबरने में इस उद्योग को संभलने में कई साल लग जाएंगे। ताजा हालात पर मनीष मिश्र की रिपोर्ट…
पोल्ट्री उत्पादन में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का हरियाणा और पश्चिम बंगाल के बाद तीसरा नंबर आता है। यहां हर रोज तीन करोड़ अंडों की खपत है, जिसमें से 1.7 करोड़ अंडों का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है, और 1.3 करोड़ अंडों को हर रोज पंजाब-हरियाणा से आयात किया जाता है। इसी तरह हर महीने चिकन की खपत लगभग तीन लाख मीट्रिक टन है।
अंडे और चिकन की इस मांग को पूरा करने के लिए पोल्ट्री व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ा और इसका गढ़ बना पूर्वांचल। लेकिन किसानों और व्यापारियों को हुए नुकसान ने इसे कई सालों पीछे कर दिया है, छोटे फार्म वाले सबसे ज्यादा संकट में हैं। उत्तर प्रदेश कुक्कुट निदेशालय के निदेशक डॉ. टोडरमल बताते हैं, हर रोज 1.70 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है, अगर एक अंडे की कीमत 4 रुपये रखी जाए तो सिर्फ अंडा उत्पादन को हर रोज 6.8 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जो कि महीने में 204 करोड़ रुपये है।
इसी तरह, चिकन के कारोबार में भी हर महीने 2000 से 2500 करोड़ का नुकसान हो रहा है। इस तरह से यूपी में अंडा और चिकन के कारोबार को पिछले दो महीनों में करीब 5400 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उन्नाव जिले के गांव फरहदपुर में छोटे-बड़े 50 फार्म थे, जो आज बंद पड़े हैं। मुर्गी पालक विमल सिंह कहते हैं, दिसंबर में जब माल तैयार हुआ तो मंडी गिर गई। कंपनियों से मिलने वाला फीड महंगा हो गया। हमारा करीब 4 से पांच लाख का नुकसान हो गया है। निर्यात न हो पाने से दक्षिण के राज्यों को भी काफी नुकसान हुआ है।
हैदराबाद के जहीराबाद में रहने वाले वसीम अहमद ने बताया कि एक किलो चिकन को तैयार करने में 70 रुपये लागत आई और उसे 10 रुपये प्रति किलो बेचने से 27 लाख रुपये का नुकसान हुआ। वहीं नवाब अली अकबर कहते हैं, यूपी में 99 प्रतिशत फार्म लोन पर थे, इस पर 10 प्रतिशत ब्याज पड़ता है, अगर आगे सही नहीं हुआ तो किसान कैसे भरपाई करेगा? वहीं, हरियाणा के करनाल में रहने वाले लकी लाथर का 1.5 लाख मुर्गियों का फार्म था, लेकिन पिछले दो महीने में 60 से 70 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। यूपी के ही अनीश ने 6.25 लाख रुपये खर्च किया, लेकिन बाजार में चिकन का भाव 30 रुपये प्रति किलो होने से कमाई 2.40 लाख ही रह गई।
ऐसे समझिए नुकसान का गणित…
केन्द्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार भारत हर रोज 25 करोड़ अंडे और 1.3 करोड़ मुर्गे-मुर्गियों का उत्पादन करता है। दो महीने में 1500 करोड़ अंडों की कीमत प्रति अंडा चार रुपये मानें तो यह 6000 करोड़ होती है, इसी तरह ब्रायलर (मांस का उत्पादन) को देखें तो 1.3 करोड़ पक्षियों का हर रोज उत्पादन होने से दो महीनों में कुल 156 करोड़ किलोग्राम मांस तैयार होता है, जिसकी कीमत 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 15,600 करोड़ रुपये होती है। इस तरह से कुल 21,600 करोड़ का नुकसान तो सीधे तौर पर दिखता है।
कर्ज में दो साल को रियायत दी जाए
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख कर कई सहूलियतें मांगी हैं। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश खत्री ने बताया, हमने मांग की है कि लोन में दो साल का मोरेटोरियम दिया जाए, प्रति मुर्गा 100 रुपये की मदद दी जाए और पहले दो साल में ब्याज न लिया जाए, तभी पोल्ट्री इंडस्ट्री को बचाया जा सकता है। यूपी पोल्ट्री फार्मर एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अकबर कहते हैं, हमारी सरकार से मांग है कि मुर्गी पालन में लगे किसानों को कृषि रेट पर बिजली दी जाए।
जैसे सब्जी बिक रही, वैसे ही पोल्ट्री उत्पाद भी बिकवाए सरकार
रमेश खत्री कहते हैं, पॉल्ट्री उद्योग की क्षमता जीरो हो गई है, अभी कई जगहों पर मुर्गा फ्री में उठवाया गया। दुकानें बंद हैं, और पुलिस खोलने नहीं दे रही। सरकार जैसे शहरों में सब्जी बिकवा रही है, वैसे ही चिकन की दुकानें भी खुलवाए।