Covid 19 University Of Oxford Scientists Claim Potential Corona Vaccine Will Be Available By September Trials Started  – ब्रिटिश वैज्ञानिकों का दावा: सितंबर में आ जाएगा कोरोना का टीका, ट्रायल शुरू




वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Updated Sat, 18 Apr 2020 12:10 PM IST

सितंबर तक आ जाएगा कोरोना का टीका (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

ख़बर सुनें

दुनिया के लगभग सभी देशों को प्रभावित कर चुके कोरोना वायरस से 22 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। जबकि डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई देश इस बीमारी का इलाज करने के लिए शोध कर रहे हैं। वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में शामिल ब्रिटेन भी उन देशों में शामिल है जिसके वैज्ञानिक कोरोना का उपचार ढूंढने के लिए शोध में जुटे हुए हैं।  

ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी विभाग की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने का दावा किया है। पत्रकारों से शुक्रवार को बात करते हुए गिलबर्ट ने सितंबर तक कोरोना का टीका आने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि हम महामारी का रूप लेने वाली एक बीमारी पर काम कर रहे थे जिसे एक्स का नाम दिया गया था। इसके लिए हमें योजना बनाकर काम करने की जरुरत थी।

उन्होंने कहा कि सीएचएडीओएक्स1 तकनीक के साथ इसके 12 परीक्षण किए जा चुके हैं। हमें इसके एक डोज से ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने के परिणाम मिले हैं। वहीं आरएनए और डीएनए तकनीक में इसके दो या दो से ज्यादा डोज की जरुरत होती है। प्रोफेसर गिल्बर्ट ने जानकारी दी कि इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है। इसकी सफलता पर विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि सितंबर तक इसके 10 लाख डोज उपलब्ध हो जाएंगे।

ऑक्सफोर्ड की टीम को इस टीके पर इतना विश्वास है कि उसने क्लिनिकल ट्रायल से पहले ही इसका उत्पादन शुरू कर दिया है। इस बारे में प्रोफेसर एड्रियन हिल का कहना है कि टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है। वे सितंबर तक क्लिनिकल ट्रायल का इंतजार नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि हमने जोखिम के साथ बड़ी तादाद में वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कुल सात निर्माताओं के साथ इसका उत्पादन किया जा रहा है।

प्रोफेसर हिल का कहना है कि सात निर्माताओं में से तीन ब्रिटेन, दो यूरोप, एक चीन और एक भारत से हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल सितंबर या साल के अंत तक इस टीके के 10 लाख डोज उपलब्ध हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि 510 वॉलंटियर्स के साथ तीन चरणों के ट्रायल की शुरुआत हो गई है। उम्मीद है कि तीसरे चरण में 5000 वॉलंटियर्स हमसे जुड़ेंगे।

दुनिया के लगभग सभी देशों को प्रभावित कर चुके कोरोना वायरस से 22 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। जबकि डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई देश इस बीमारी का इलाज करने के लिए शोध कर रहे हैं। वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में शामिल ब्रिटेन भी उन देशों में शामिल है जिसके वैज्ञानिक कोरोना का उपचार ढूंढने के लिए शोध में जुटे हुए हैं।  

ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी विभाग की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने का दावा किया है। पत्रकारों से शुक्रवार को बात करते हुए गिलबर्ट ने सितंबर तक कोरोना का टीका आने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि हम महामारी का रूप लेने वाली एक बीमारी पर काम कर रहे थे जिसे एक्स का नाम दिया गया था। इसके लिए हमें योजना बनाकर काम करने की जरुरत थी।

उन्होंने कहा कि सीएचएडीओएक्स1 तकनीक के साथ इसके 12 परीक्षण किए जा चुके हैं। हमें इसके एक डोज से ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने के परिणाम मिले हैं। वहीं आरएनए और डीएनए तकनीक में इसके दो या दो से ज्यादा डोज की जरुरत होती है। प्रोफेसर गिल्बर्ट ने जानकारी दी कि इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है। इसकी सफलता पर विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि सितंबर तक इसके 10 लाख डोज उपलब्ध हो जाएंगे।

ऑक्सफोर्ड की टीम को इस टीके पर इतना विश्वास है कि उसने क्लिनिकल ट्रायल से पहले ही इसका उत्पादन शुरू कर दिया है। इस बारे में प्रोफेसर एड्रियन हिल का कहना है कि टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है। वे सितंबर तक क्लिनिकल ट्रायल का इंतजार नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि हमने जोखिम के साथ बड़ी तादाद में वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कुल सात निर्माताओं के साथ इसका उत्पादन किया जा रहा है।

प्रोफेसर हिल का कहना है कि सात निर्माताओं में से तीन ब्रिटेन, दो यूरोप, एक चीन और एक भारत से हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल सितंबर या साल के अंत तक इस टीके के 10 लाख डोज उपलब्ध हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि 510 वॉलंटियर्स के साथ तीन चरणों के ट्रायल की शुरुआत हो गई है। उम्मीद है कि तीसरे चरण में 5000 वॉलंटियर्स हमसे जुड़ेंगे।




Source link

Leave a comment