हिंदी पट्टी के दर्शकों को अब भी निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म रावण की में दिखी प्रियमणि खूब याद हैं। चेन्नई एक्सप्रेस में शाहरुख खान के साथ वह कमाल का नाची थीं। और, हाल ही में बिहार के लाला मनोज बाजपेयी के साथ प्राइम वीडियो की कमाल की सीरीज द फैमिली मैन में भी खूब जंची थीं। जल्द ही वह इसके दूसरे सीजन में दिखेंगी और अजय देवगन के साथ फिल्म मैदान में भी नजर आएंगी, ये सब किस्सा यहां इसलिए क्योंकि प्रियमणि जैसी हीरोइन की वैकेंसी हिंदी सिनेमा में हमेशा से खाली रही है। वैजयंतीमाला के जमाने से लेकर श्रीदेवी तक। हिंदी सिनेमा के दर्शकों की इन्हीं ख्वाहिशों को कैश कराने की कोशिश है जी5 पर रिलीज हुई फिल्म अतीत।
फिल्म का नाम अतीत है और इसके तीन मुख्य किरदारों में से एक का नाम भी। जाहिर है किसी इंसान का नाम अतीत जितना अजीब लगता है, उतना ही अजीब है इस फिल्म का ऐसा नामकरण। राजकपूर की फिल्म संगम जिन लोगों ने देखी होगी, उन्हें याद होगा कि किसी फौजी को मरा हुआ मान लेने के बाद उसकी बीवी अगर किसी दूसरे से शादी कर ले और फौजी फिर लौट आए तो क्या होता है। कारगिल की लड़ाई के दौरान घटी ऐसी ही एक घटना पर प्रभाकर शुक्ला ने भी एक संवेदनशील फिल्म बनाई, कहानी गुड़िया की।
यहां गुड़िया जैसी हालत में प्रियमणि हैं। अतीत उनके पिछले पति का नाम है और बिस्वा आज के पति का। एक बिटिया भी है। कहानी का पेंच वैसा ही है जैसा संगम में था, बस यहां निर्देशक तनुज ने इस पर हॉरर थ्रिलर के भ्रमर गुंजा दिए हैं। लेकिन, फिल्म दर्शकों को डराने की कोशिश नहीं करती। न ही इसके मेकर्स के पास इतना बजट दिखा जो डराने वाले स्पेशल इफेक्ट्स बना सकें। फिल्म तकनीकी तौर तो बहुत उम्दा नहीं है और न ही संजय सूरी और राजीव खंडेलवाल की बेहतरीन फिल्मों में ही इसकी गिनती कभी होगी। दोनों ने अपना काम जैसे तैसे निपटा दिया है।
फिल्म अतीत पूरे दो घंटे देखी जा सकती है तो सिर्फ और सिर्फ प्रियमणि के लिए। उनके चेहरे पर लगातार बना रहने वाला तनाव हालांकि कुछ दृश्यों में टाला जा सकता था लेकिन उन्होंने वही किया जो उनसे निर्देशक ने करवाया। फिल्म मे यासिर देसाई का गाया गाना, मोहब्बत कर रहे थे हम, जुदा भी हमको होना था, आपको राहत फतेह अली खान के गाने बिछड़ना भी जरूरी था की याद दिला सकता है। फिल्म की लंबाई काफी ज्यादा है, डिजिटल रिलीज के हिसाब से इसे डेढ़ घंटे का किया जाता तो ये बेहतर फिल्म हो सकती थी।
सार
Movie Review: अतीत
कलाकार: प्रियमणि, राजीव खंडेलवाल, संजय सूरी, विपिन शर्मा आदि।
निर्देशक: तनुज भ्रमर
ओटीटी: जी5
रेटिंग: **
विस्तार
हिंदी पट्टी के दर्शकों को अब भी निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म रावण की में दिखी प्रियमणि खूब याद हैं। चेन्नई एक्सप्रेस में शाहरुख खान के साथ वह कमाल का नाची थीं। और, हाल ही में बिहार के लाला मनोज बाजपेयी के साथ प्राइम वीडियो की कमाल की सीरीज द फैमिली मैन में भी खूब जंची थीं। जल्द ही वह इसके दूसरे सीजन में दिखेंगी और अजय देवगन के साथ फिल्म मैदान में भी नजर आएंगी, ये सब किस्सा यहां इसलिए क्योंकि प्रियमणि जैसी हीरोइन की वैकेंसी हिंदी सिनेमा में हमेशा से खाली रही है। वैजयंतीमाला के जमाने से लेकर श्रीदेवी तक। हिंदी सिनेमा के दर्शकों की इन्हीं ख्वाहिशों को कैश कराने की कोशिश है जी5 पर रिलीज हुई फिल्म अतीत।
फिल्म का नाम अतीत है और इसके तीन मुख्य किरदारों में से एक का नाम भी। जाहिर है किसी इंसान का नाम अतीत जितना अजीब लगता है, उतना ही अजीब है इस फिल्म का ऐसा नामकरण। राजकपूर की फिल्म संगम जिन लोगों ने देखी होगी, उन्हें याद होगा कि किसी फौजी को मरा हुआ मान लेने के बाद उसकी बीवी अगर किसी दूसरे से शादी कर ले और फौजी फिर लौट आए तो क्या होता है। कारगिल की लड़ाई के दौरान घटी ऐसी ही एक घटना पर प्रभाकर शुक्ला ने भी एक संवेदनशील फिल्म बनाई, कहानी गुड़िया की।
अतीत
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
यहां गुड़िया जैसी हालत में प्रियमणि हैं। अतीत उनके पिछले पति का नाम है और बिस्वा आज के पति का। एक बिटिया भी है। कहानी का पेंच वैसा ही है जैसा संगम में था, बस यहां निर्देशक तनुज ने इस पर हॉरर थ्रिलर के भ्रमर गुंजा दिए हैं। लेकिन, फिल्म दर्शकों को डराने की कोशिश नहीं करती। न ही इसके मेकर्स के पास इतना बजट दिखा जो डराने वाले स्पेशल इफेक्ट्स बना सकें। फिल्म तकनीकी तौर तो बहुत उम्दा नहीं है और न ही संजय सूरी और राजीव खंडेलवाल की बेहतरीन फिल्मों में ही इसकी गिनती कभी होगी। दोनों ने अपना काम जैसे तैसे निपटा दिया है।
फिल्म अतीत पूरे दो घंटे देखी जा सकती है तो सिर्फ और सिर्फ प्रियमणि के लिए। उनके चेहरे पर लगातार बना रहने वाला तनाव हालांकि कुछ दृश्यों में टाला जा सकता था लेकिन उन्होंने वही किया जो उनसे निर्देशक ने करवाया। फिल्म मे यासिर देसाई का गाया गाना, मोहब्बत कर रहे थे हम, जुदा भी हमको होना था, आपको राहत फतेह अली खान के गाने बिछड़ना भी जरूरी था की याद दिला सकता है। फिल्म की लंबाई काफी ज्यादा है, डिजिटल रिलीज के हिसाब से इसे डेढ़ घंटे का किया जाता तो ये बेहतर फिल्म हो सकती थी।
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