अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू
Updated Sat, 16 May 2020 12:45 AM IST
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सार
- नई डीपीआर की मंजूरी से अब पाकिस्तान का पानी रोकने का रास्ता भी साफ हो गया है
- संशोधित डीपीआर में उज्ज नदी का सारा पानी रोक कर इसे जम्मू-कश्मीर समेत दूसरे राज्यों में भेजने की योजना शामिल है
- जम्मू कश्मीर की पहली मल्टीपर्पज परियोजना से कंडी की सूखी जमीनों को आने वाले कुछ वर्षों में ही पानी से तर किया जा सकेगा
विस्तार
संशोधित डीपीआर में उज्ज नदी का सारा पानी रोक कर इसे जम्मू-कश्मीर समेत दूसरे राज्यों में भेजने की योजना शामिल है। 9167 करोड़ लागत से तैयार होने वाली वाली इस परियोजना की डीपीआर को मंजूरी की जानकारी जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग की सलाहकार समिति की बैठक में दी गई।
समिति की 144वीं बैठक में सचिव यूपी सिंह ने कहा कि वर्ष 2008 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था। 2013 में केंद्रीय जल आयोग के इंडस बेसिन संगठन द्वारा उज्ज बहुउद्देशीय परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। समिति की 131 वीं बैठक में डीपीआर पर विचार किया गया था। इसके बाद परियोजना की डीपीआर को संशोधित किया गया।
आपको बता दें कि उज्ज दरिया पर बनने वाली जम्मू कश्मीर की पहली मल्टीपर्पज परियोजना से कंडी की सूखी जमीनों को आने वाले कुछ वर्षों में ही पानी से तर किया जा सकेगा।
इस परियोजना से सिंचाई और पेयजल दोनों की आपूर्ति हो सकेगी। उज्ज मल्टीपर्पज परियोजना से सांबा और कठुआ जिले के कंडी इलाकों की 24 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। पहले जहां 16 हजार हेक्टेयर की सिंचाई का प्रावधान था वहीं अब इसे आठ हजार हेक्टेयर बढ़ा दिया गया है।
बिजली प्रोजेक्ट में पानी रोकने पर फोकस
उज्ज प्रोजेक्ट न सिर्फ राष्ट्रीय परियोजना है बल्कि इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी खास दिलचस्पी दिखाई है। सूत्रों ने बताया कि किसी भी बिजली परियोजना में सस्ती बिजली तैयार करने पर ध्यान दिया जाता है, लेकिन उज्ज परियोजना में पानी रोकने पर ज्यादा जोर दिया गया। इसी के चलते संशोधित डीपीआर का ज्यादा ध्यान पानी की बूंद-बूंद रोकने की व्यवस्था की गई है।