वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Updated Wed, 03 Jun 2020 01:55 AM IST
ख़बर सुनें
नासा ने इस उल्का पिंड का नाम रॉक-163348 (2002 एनएन4) रखा है। यह करीब 5.2 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से बढ़ा चला आ रहा है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि यह 6 जून को धरती की सतह के बहुत पास से गुजरेगा।
बताया जा रहा है कि इसकी लंबाई 250 मीटर और 570 मीटर (820 फीट और 1870 फीट) के बीच हो सकती है। जबकि, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग की लंबाई (443 मीटर या 1453 फीट) और लंदन आई की लंबाई (135 मीटर या 443 फीट) है। ऐसे में यह उल्का पिंड इन दोनों ही इमारतों से लंबा है।
नासा ने इस उल्का पिंड को एटेन एस्ट्रयड के रूप में वर्गीकृत किया है, जो कि सूरज के पास से गुजरता हुआ धरती की कक्षा में दाखिल हो रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसे लेकर कोई भी घबराने वाली बात नहीं है। उनका कहना है कि इसकी धरती से टक्कर होने की संभवना नहीं है। हालांकि, वैज्ञानिक इस पर पूरी नजर बनाए हुए हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस पूरी घटना पर पैनी नजर रखी जा रही है। दरअल कई बार गुरुत्वाकर्षण के कारण उल्का पिंड पृथ्वी की कक्षा में आखिरी समय में दाखिल हो जाते हैं।
नासा का कहना है कि रॉक-163348 (2002 एनएन 4) उल्का पिंड रविवार को सुबह 8:20 पर पृथ्वी के पास से निकलेगा। इस उल्का पिंड की रफ्तार 5.2 किलोमीटर प्रति सेकेंड है। यानी यह 11,200 मील प्रति घंटा की रफ्तार से आ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब साल 2024 में ही इतना बड़ा उल्का पिंड पृथ्वी की कक्षा के पास से होकर गुजरेगा।
बता दें कि 21 मई, 2020 को भी 1.5 किलोमीटर लंबा बड़ा उल्का पिंड धरती की कक्षा से काफी करीब होकर निकला था।