न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 05 Jun 2020 12:03 PM IST
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Supreme Court seeks Centre’s response within a week on a PIL seeking to set an upper limit on fees to be charged by private hospitals in treating #COVID19 patients.
— ANI (@ANI) June 5, 2020
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने अभिषेक गोयनका द्वारा निजी अस्पतालों द्वारा कोविड-19 उपचार की ऊपरी सीमा तय करने के लिए दायर जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।
अदालत ने कहा कि जनहित याचिका की प्रति सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को दी जानी चाहिए जो इस मुद्दे पर निर्देश देंगे और एक सप्ताह में कोर्ट को जवाब देंगे। याचिका में संक्रमित लोगों के लिए भुगतान के आधार पर निजी क्वारंटीन केंद्र और अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की गई है और कहा गया है कि वर्तमान में इस तरह का विकल्प मरीजों को नहीं दिया जाता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार को ऐसी सुविधाओं के समान मानकों के लिए उपचार की सांकेतिक दरों को ठीक करने के लिए कहा जाए। याचिका में कहा गया है कि बीमा कंपनियों द्वारा मेडिक्लेम का समयबद्ध निपटान किया जाना चाहिए और सभी बीमा प्राप्त रोगियों को कैशलेस उपचार की सुविधा दी जानी चाहिए।
बता दें कि, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि उन निजी अस्पतालों की पहचान की जाए, जहां कोविड-19 मरीजों का मुफ्त या कम से कम खर्च में इलाज किया जा सके। कोर्ट ने कहा था कि जिन अस्पतालों को मुफ्त या कौड़ियों के भाव में जमीनें दी गई हैं, वहां कोरोना मरीजों का इलाज मुफ्त या नाममात्र दरों पर क्यों नही होना चाहिए।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को एक हफ्ते के भीतर याचिका का जवाब देने को कहा था। कोर्ट वकील सचिन जैन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें देशभर के निजी या कारपोरेट अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए लागत संबंधी नियमों की मांग की गई है।
याचिका में एक न्यूज रिपोर्ट का हवाला देकर निजी अस्पतालों पर भारी भरकम बिल वसूलने का आरोप लगाया गया था। इसमें कहा गया था कि जब देश महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहा है, तब निजी अस्पताल जो सार्वजनिक जमीन पर चल रहे हैं और धर्मार्थ संस्थानों की श्रेणी में हैं, उन्हें इन मरीजों का मुफ्त में इलाज करने के लिए कहा जाना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि अन्य निजी अस्पतालों की दरों को भी सरकार द्वारा ‘निश्चित लागत के आधार’ पर विनियमित किया जाना चाहिए।