न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 08 Jun 2020 07:29 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरियाणा सरकार के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया जिसमें राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में लागू करने को कहा गया था। हरियाणा आधिकारिक भाषा (संशोधन) कानून 2020 को चुनौती देने के लिए कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह संशोधन राज्य की अदालतों और न्यायाधिकरणों में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाता है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायाधीश एएस बोपन्ना व ऋिषिकेश रॉय की पीठ ने ने याचिकाकर्ताओं से सवाल पूछा कि इस कानून के साथ गलत क्या है जब करीब 80 फीसदी वादी अंग्रेजी भाषा ठीक से नहीं समझते। पीठ ने कहा, इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि कुछ राज्यों की अधीनस्थ अदालतों की भाषा अगर हिंदी हो।
ब्रिटिश शासन में भी सबूतों की रिकॉर्डिंग स्थानीय भाषा में ही की जाती थी।
याचिकाकर्ता समीर जैन ने कहा कि वह इस बात के खिलाफ नहीं थे कि कोर्ट की कार्रवाई हिंदी में हो या किसी अन्य भाषा में। बहुराष्ट्रीय कंरनियों को अपने मामलों मं हिंदी में बहस करने में समस्या होगी। इस पर पीठ ने कहा कि यह विचाराधीन कानून अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। पीठ ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर अदालत की अनुमति से कार्रवाई में अंग्रेजी भाषा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरियाणा सरकार के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया जिसमें राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में लागू करने को कहा गया था। हरियाणा आधिकारिक भाषा (संशोधन) कानून 2020 को चुनौती देने के लिए कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह संशोधन राज्य की अदालतों और न्यायाधिकरणों में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाता है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायाधीश एएस बोपन्ना व ऋिषिकेश रॉय की पीठ ने ने याचिकाकर्ताओं से सवाल पूछा कि इस कानून के साथ गलत क्या है जब करीब 80 फीसदी वादी अंग्रेजी भाषा ठीक से नहीं समझते। पीठ ने कहा, इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि कुछ राज्यों की अधीनस्थ अदालतों की भाषा अगर हिंदी हो।
ब्रिटिश शासन में भी सबूतों की रिकॉर्डिंग स्थानीय भाषा में ही की जाती थी।
याचिकाकर्ता समीर जैन ने कहा कि वह इस बात के खिलाफ नहीं थे कि कोर्ट की कार्रवाई हिंदी में हो या किसी अन्य भाषा में। बहुराष्ट्रीय कंरनियों को अपने मामलों मं हिंदी में बहस करने में समस्या होगी। इस पर पीठ ने कहा कि यह विचाराधीन कानून अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। पीठ ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर अदालत की अनुमति से कार्रवाई में अंग्रेजी भाषा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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