अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई, Updated Tue, 12 May 2020 10:31 AM IST
भारत में ओटीटी के चलन के बाद फिल्मों और वेब सीरीजों में गाली-गलौज का चलन बहुत बढ़ गया है। चूंकि वहां भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड की नहीं चलती है, इसलिए निर्माता और निर्देशक अपनी भरपूर मनमानी करते हैं। अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए अनावश्यक तौर पर गालियों का इस्तेमाल किया जाना एक फैशन सा बन गया है। हिंदी सिनेमा की युवा अभिनेत्री कीर्ति कुल्हारी का इस पर मत है कि अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए जैसा पहले फिल्मों में होता था उन्हें वह भी तरीका पसंद था। और जिस तरह से आज की फिल्मों और वेब सीरीजों में दिखाया जाता है, उन्हें वह तरीका भी पसंद है। वह अमर उजाला से कहती हैं, ‘जितनी घटनाएं भारत में बंद दरवाजों में, शहरों में, समाज में, गली-कूचों में होती हैं, उसकी तुलना में तो हम कुछ नहीं दिखाते। अगर हम पूरी सच्चाई को दिखाने लग जाएं तो लोग उसे बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।’