Special Editorial On Rishi Kapoor S Life Bollywood Career Films And Indian Cinema – ऋषि कपूर: वे किसी से कम नहीं !




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दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर आखिरी सांस तक जिंदगी से मोहब्बत करते रहे। हिंदी सिनेमा का यह वह भंवरा रहा, जिसने पूरा जीवन सिर्फ फूल खिलाने पर फोकस किया, फूल को राजकंवर ले जाए या कोई और, उन्होंने न परवाह की और न ही कभी इस बात का गम किया। उनकी सारी फिल्में सफल ही रही हों, ऐसी बात भी नहीं, लेकिन उनकी हर फिल्मों के बाद लोगों ने जरूर कहा…

अपने हीरो को एक जगह खड़े खड़े, किसी स्टूल पर बैठे या फिर ड्राइविंग सीट पर स्टीयरिंग थामे-थामे पूरा गाना फिल्मा देने का खतरा इससे पहले निर्देशकों ने या तो देव आनंद के साथ उठाया था या फिर राजेश खन्ना के साथ। रूमानियत का ये नया राजकुमार था, ऋषि कपूर। एक ऐसा सितारा जिसे फिल्म इंडस्ट्री में शायद ही किसी ने इस नाम से बुलाया हो, वह सबके प्यारे चिंटू या चिंटू जी ही रहे। ‘बॉबी’ में वह खड़े-खड़े मोहब्बत के सबक सुना देते हैं, ‘सागर’ में स्टूल पर बैठे-बैठे अपनी माशूक से सारे सवाल पूछ लेते हैं और ‘दामिनी’ में स्टीरयिंग पकड़े-पकड़े मीनाक्षी शेषाद्रि से रोमांस कर डालते हैं।

ऋषि कपूर को रोमांस का राजकुमार इसलिए भी कहा गया कि उन्होंने डिंपल कपाड़िया से शुरू करके नीतू सिंह, मौसमी चटर्जी, शोमा आनंद, संगीता बिजलानी, विनीता गोयल, राधिका, अश्विनी भावे, हेमामालिनी, श्रीदेवी, जयाप्रदा और दिव्या भारती तक करीब 50 हीरोइनों के साथ परदे पर रोमांटिक गाने गाए हैं। इसमें तीन पीढ़ियों की वे अभिनेत्रियां भी शामिल हैं, जो अपने-अपने समय में नंबर वन हीरोइनें कहलाईं। एक खास बात थी उनका किसी वाद्य यंत्र के साथ शूटिंग करना। ‘कर्ज’ में जब वह गिटार की ट्यून बजाते हैं तो उनकी अंगुलियां गिटार के तारों पर बिल्कुल किसी साजिंद जैसी ही चलती हैं, या फिर ‘सरगम’ का वह गाना, ‘ढपली वाले ढपली बजा’। गाने के शुरू होने से पहले जया प्रदा कन्हैया की प्रतिमा से एक माला निकालकर ऋषि कपूर के गले में डालती हैं। ऋषि कपूर की सिनेमा में बरसों की मेहनत को जानने, समझने और समझाने का सारा काम निर्देशक के. विश्वनाथ ने बस 30 सेकंड में कर दिखाया। ‘बॉबी’ से लेकर ‘दीवाना’ तक वह हिंदी सिनेमा के कन्हैया ही बने रहे।

और, जब कंस बनने की चुनौती सामने आई तो ऋषि कपूर ने वह भी करके दिखाया। अमिताभ बच्चन की ‘अग्निपथ’ का जब करण जौहर ने रीमेक किया तो उसमें एक नए किरदार का प्रवेश हुआ, रऊफ लाला। आंखों में सुरमा, पठानी सूट और हाथ में लंबा रूमाल, कोई सोच भी नहीं सकता था कि शाहरुख खान जैसे सितारों को बाहें फैलाकर और शरीर को एक तरफ झुकाकर संवाद बोलने वाली अदाएं सिखाने वाला कलाकार ऋषि कपूर, लोगों के मन में अपने लिए नफरत भी जगा सकता है। क्योंकि, ऋषि कपूर को तो लोगों ने एक ‘चादर मैली सी’ में भी प्यार किया और ‘जहरीला इंसान’ में भी।

लेकिन, हिंदी सिनेमा का यह वह भंवरा रहा, जिसने पूरा जीवन सिर्फ फूल खिलाने पर फोकस किया, फूल को राजकंवर ले जाए या कोई और, उसने न परवाह की और न ही कभी इस बात का गम किया। तब भी, जब कॉमेडी के तमाम दृश्यों में बराबर की साझेदारी के बावजूद तालियां अमिताभ बच्चन को मिलीं और तब भी जब 102 साल के पिता के जिद्दी बेटे के रूप में शानदार काम करने के बावजूद पुरस्कारों की लिस्ट में उनका नाम तक न दिखा। ऋषि कपूर ने अपने सुपरस्टारडम के दिनों में भी कभी मल्टीस्टारर फिल्मों से परहेज नहीं किया। करियर के दूसरे साल में ही वह राकेश रोशन के साथ फिल्म ‘खेल खेल में’ कर रहे थे। इसी फिल्म से ऋषि कपूर से हुई दोस्ती, नीतू सिंह को एक दिन नीतू कपूर बनाकर कपूर खानदान में ले आई। ऋषि कपूर की तमाम मल्टीस्टारर फिल्मों में से अमिताभ बच्चन के साथ बनी सारी फिल्में सुपरहिट रहीं। फिल्म ‘कभी कभी’ से शुरू हुआ यह साथ, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘नसीब’ और ‘कुली’ जैसी फिल्मों में इतना गाढ़ा हुआ कि अमिताभ को ही गुरुवार की सुबह अपने ट्विटर पर यह लिखना पड़ा- ही इज गॉन!

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दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर आखिरी सांस तक जिंदगी से मोहब्बत करते रहे। हिंदी सिनेमा का यह वह भंवरा रहा, जिसने पूरा जीवन सिर्फ फूल खिलाने पर फोकस किया, फूल को राजकंवर ले जाए या कोई और, उन्होंने न परवाह की और न ही कभी इस बात का गम किया। उनकी सारी फिल्में सफल ही रही हों, ऐसी बात भी नहीं, लेकिन उनकी हर फिल्मों के बाद लोगों ने जरूर कहा…

अपने हीरो को एक जगह खड़े खड़े, किसी स्टूल पर बैठे या फिर ड्राइविंग सीट पर स्टीयरिंग थामे-थामे पूरा गाना फिल्मा देने का खतरा इससे पहले निर्देशकों ने या तो देव आनंद के साथ उठाया था या फिर राजेश खन्ना के साथ। रूमानियत का ये नया राजकुमार था, ऋषि कपूर। एक ऐसा सितारा जिसे फिल्म इंडस्ट्री में शायद ही किसी ने इस नाम से बुलाया हो, वह सबके प्यारे चिंटू या चिंटू जी ही रहे। ‘बॉबी’ में वह खड़े-खड़े मोहब्बत के सबक सुना देते हैं, ‘सागर’ में स्टूल पर बैठे-बैठे अपनी माशूक से सारे सवाल पूछ लेते हैं और ‘दामिनी’ में स्टीरयिंग पकड़े-पकड़े मीनाक्षी शेषाद्रि से रोमांस कर डालते हैं।




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