अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Updated Tue, 12 May 2020 02:59 AM IST
लंबित मुकदमों के जल्द निपटारे की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए सुप्रीमकोर्ट ने जमानत और ट्रांसफर मामलों की सुनवाई एकल पीठ के समक्ष करने का निर्णय लिया है। बुधवार से यह नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
यह पहली बार होगा जब सुप्रीमकोर्ट में एकल पीठ बैठेगी और मामलों का निपटारा करेगी। अब तक सुप्रीमकोर्ट में कम से कम दो सदस्यीय पीठ बैठती थी। सुप्रीमकोर्ट द्वारा सर्कुलर जारी कर यह जानकारी दी गई है। बुधवार से एकल पीठ जमानत से जुड़ी उन तमाम विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करेगी जिन अपराधों में अधिकतम सजा 7 वर्ष तक है।
एकल पीठ अग्रिम जमानत की याचिका पर भी सुनवाई करेगी। साथ ही सुप्रीमकोर्ट की एकल पीठ किसी मुकदमे को एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर के मामलों को भी सुनेगी। सनद रहे कि गत वर्ष 17 सितंबर को ही अधिसूचना जारी कर सुप्रीम कोर्ट में एकलपीठ के बैठने का निर्णय लिया गया था। अब सुप्रीमकोर्ट ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए इसे अमली जामा पहना दिया।
- पुनर्विचार याचिका पर गौर करते हुए कानूनी सवाल को रेफर करने में बाधा नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करते हुए भी कुछ कानूनी सवालों के मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने में किसी प्रकार का बंधन नहीं है। यह कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने सबरीमाला के फैसले के बाद सभी धर्मों एवं मान्यताओं के अधिकार को लेकर दिए गए अपने निर्णय पर विस्तृत तर्क दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि सबरीमाला मामले में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करते हुए इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेज दिया था। पीठ ने कहा था कि बड़ी पीठ केवल सबरीमाला मामले पर नहीं, बल्कि मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश, पारसी महिलाओं का किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के बाद अग्नि मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी और दाउदी बोहरा समुदाय की महिलाओं के खतने जैसे मुद्दे पर विचार करेगी।
इसके बाद नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि पुनर्विचार याचिका पर विचार करते हुए भी कोई कानूनी सवाल खड़ा होने पर मामले को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता और अनुच्छेद 26 का सही परीक्षण जरूरी है। पीठ ने कहा कि यह दोनों ही अनुच्छेद बेहद अहम हैं।
लंबित मुकदमों के जल्द निपटारे की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए सुप्रीमकोर्ट ने जमानत और ट्रांसफर मामलों की सुनवाई एकल पीठ के समक्ष करने का निर्णय लिया है। बुधवार से यह नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
यह पहली बार होगा जब सुप्रीमकोर्ट में एकल पीठ बैठेगी और मामलों का निपटारा करेगी। अब तक सुप्रीमकोर्ट में कम से कम दो सदस्यीय पीठ बैठती थी। सुप्रीमकोर्ट द्वारा सर्कुलर जारी कर यह जानकारी दी गई है। बुधवार से एकल पीठ जमानत से जुड़ी उन तमाम विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करेगी जिन अपराधों में अधिकतम सजा 7 वर्ष तक है।
एकल पीठ अग्रिम जमानत की याचिका पर भी सुनवाई करेगी। साथ ही सुप्रीमकोर्ट की एकल पीठ किसी मुकदमे को एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर के मामलों को भी सुनेगी। सनद रहे कि गत वर्ष 17 सितंबर को ही अधिसूचना जारी कर सुप्रीम कोर्ट में एकलपीठ के बैठने का निर्णय लिया गया था। अब सुप्रीमकोर्ट ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए इसे अमली जामा पहना दिया।
- पुनर्विचार याचिका पर गौर करते हुए कानूनी सवाल को रेफर करने में बाधा नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करते हुए भी कुछ कानूनी सवालों के मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने में किसी प्रकार का बंधन नहीं है। यह कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने सबरीमाला के फैसले के बाद सभी धर्मों एवं मान्यताओं के अधिकार को लेकर दिए गए अपने निर्णय पर विस्तृत तर्क दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि सबरीमाला मामले में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करते हुए इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेज दिया था। पीठ ने कहा था कि बड़ी पीठ केवल सबरीमाला मामले पर नहीं, बल्कि मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश, पारसी महिलाओं का किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के बाद अग्नि मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी और दाउदी बोहरा समुदाय की महिलाओं के खतने जैसे मुद्दे पर विचार करेगी।
इसके बाद नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि पुनर्विचार याचिका पर विचार करते हुए भी कोई कानूनी सवाल खड़ा होने पर मामले को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता और अनुच्छेद 26 का सही परीक्षण जरूरी है। पीठ ने कहा कि यह दोनों ही अनुच्छेद बेहद अहम हैं।
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