न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 23 May 2020 06:25 PM IST
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : पेक्सेल्स
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कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच कई दवाओं क्लीनिकल ट्रायल के दौर में हैं। इनमें से रीमेडिविर दवा, जिसका पांच साल पहले इबोला वायरस के इलाज में ट्रायल किया गया था, प्रमुख दवा के रूप में सामने आ सकती है। इसके क्लीनिकल ट्रायल में कोरोना मरीजों के ठीक होने में तेजी देखी गई है।
अमेरिका के एक स्वतंत्र आर्थित थिंक टैंक मिल्केन इंस्टीट्यूट के अनुसार, कोविड-19 को लेकर 130 से ज्यादा दवाओं पर प्रयोग किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ दवाएं कोरोना को प्रभावी तरीके से रोकने में सक्षम हो सकती हैं जबकि बाकी अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाने वाली अति सक्रिय प्रतिक्रियाओं को शांत करने में मदद कर सकती हैं।
वहीं, जम्मू स्थित सीएसआईआर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिसिन के निदेशक राम विश्वकर्मा ने कहा, ‘अभी केवल एक तरीका है जो अन्य बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के पुनर्उपयोग के लिए है, इसका एक उदाहरण रीमेडिविर दवा है।’
उन्होंने कहा, यह एंटीवायरल रीमेडिविर दवा लोगों को कोरोना से तेजी से ठीक होने में मदद कर रही है और गंभीर स्थिति वाले मरीजों की मृत्यु दर भी कम रही है। उन्होंने कहा कि यह दवा इस समय जीवन बचाने वाली दवा साबित हो सकती है।
विश्वकर्मा ने कहा, हमारे पास नई दवा विकसित करने का समय नहीं है। इसमें पांच से 10 साल का समय लग सकता है इसलिए हम मौजूदा दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं और इनका प्रभाव जांचने के लिए क्लीनिकल ट्रायल करा रहे हैं।