सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : फाइल फोटो
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बयान के अनुसार इस नए रसायन में कोरोना वायरस के मरीजों में एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम के साथ-साथ सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम को ठीक करने की भी क्षमता होगी।
शोधकर्ताओं ने नए रसायनों को के लिए भारत में अंतिम पेटेंट दायर कर दिया है। अब अणु की खोज के लिए जांच को अगले चरण में ले जाया जा रहा है, जहां इसका परीक्षण जानवरों पर किया जाएगा।
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह थेरेपी न केवल कोरोना मरीज के फेफड़ों को प्रभावित करने से रोकेगी, बल्कि वायरस की वजह से फेफड़ो में जो परेशानी पहले आ चुकी है उससे निपटने में भी सहायता करेगी। जिन मामलों में वेंटिलेटर द्वारा आराम नहीं मिल पा रहा है या वेंटिलेटर उपल्ब्ध नहीं हैं, वहां एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम के मरीजों को इससे राहत मिलेगी।
शोधकर्ताओं के दल का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर सुभब्रत सेन ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारा चिकित्सीय दृष्टिकोण एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से जुड़ी विकृतियों के खिलाफ समाधान लाएगा। हमारा उद्देश्य इस वर्ष के अंत तक प्रीक्लिनिकल अध्ययनों को समाप्त करना है, जिसके बाद नया कंपाउंड ह्यूमन ट्रायल के लिए तैयार हो जाएगा।