कोरोना महामारी के चलते इस बार ईद का पर्व लोग पुराने कपड़ों में ही मनाएंगे। महामारी के चलते करीब दो महीने से कपड़ा और दर्जी की दुकानें बंद होने के कारण बहुत कम लोग ही नए कपड़े बनवा सके हैं। अधिकांश दुकानें बंद होने के कारण खरीदारी नहीं कर सके। सोमवार को ईद की नमाज भी पुराने लिबास में सोशल डिस्टेंसिंग के बीच घरों में ही अदा की जाएगी। एक दूसरे के घर जाकर सेवई का स्वाद लेने के बजाए लोग मोबाइल पर ही ईद की मुबारकबाद देंगे।
कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए लॉकडाउन लागू है। मुकद्दस रमजान भी लाकडाउन में ही बीत गया। मस्जिदों से लोगों की दूरी रही। पांच वक्त की नमाज के साथ तरावीह व जुमे की नमाज भी लोगों ने अपने घरों में ही अदा की।
मस्जिदों में केवल फर्ज नमाज के अरकान पूरे हुए। इस बार भी ईद की नमाज लोग अपने घरों में सोशल डिस्टेंसिंग के बीच अदा करेंगे। मस्जिदों में केवल इमाम को लेकर पांच लोग ही नमाज अदा कर सकेंगे। इसके लिए प्रशासन व उलेमा ने इजाजत दी है।
शहर के भुलियापुर स्थित ईदगाह में भी केवल ईद की नमाज के अरकान पूरे होंगे। यहां सीमित संख्या में ही लोग नमाज अदा कर सकेंगे। इस बार ईद का पर्व सादगी के साथ मनाया जा रहा है। लोग नए कपड़े नहीं बनवा सके। चूंकि रमजान भी पाबंदियों में बीत गया। लॉकडाउन व हॉटस्पाट के चलते शहर से लेकर ग्रामीण अंचल के बाजारों में भी कपड़े, जूता-चप्पल समेत अन्य आवश्यक सामानों की दुकानें बंद रहीं।
लोग न तो नए कपड़े खरीद सके और न ही सिलवा सके। टेलर की दुकानें भी अभी बंद हैं। यहां तक लोगों ने बच्चों के लिए भी खरीदारी से हाथ पीछे खींच लिया। ऐसे में ईद का पर्व तो मनाया जाएगा, लेकिन बेहद सादगी से। ईद की मुबारकबाद देने के लिए हर साल लोग एक दूसरे के घर जाते थे, लेकिन ऐसा इस बार नहीं हो सकेगा।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोग अपने घरों में परिवार के बीच ईद का पर्व मनाएंगे। करीबियों व रिश्तेदारों को मोबाइल पर वीडियोकालिंग के जरिए मुबारकबाद देंगे। बच्चे भी घरों से बाहर नहीं जा सकेंगे।
मौलाना अब्दुल हादी ने बताया कि कोरोना बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के सुझाव पर लोगों को अमल करना चाहिए। अपने इलाके आलिम व उलेमा से जानकारी करने के बाद घरों में ही नमाज अदा करें। कोशिश करें कि भीड़-भाड़ न होने पाए। ताकि इस बीमारी का सभी मिलकर मुकाबला कर सकें।
भुलियापुर में पसरा रहेगा सन्नाटा, नहीं लगेगा मेला
ईद उल फितर व ईद उल अजहा के मौके पर भुलियापुर स्थित ईदगाह में रौनक देखते ही बनती थी। ईदगाह परिसर में सुबह से मेला लगा रहता था। सड़कों के किनारे जरूरतमंदों की आर्थिक मदद करने के लिए आने जाने वाले अपनी हैसियर के मुताबिक दान भी देते थे। आला अधिकारी भी लोगों को ईद की मुबारकबाद देने के लिए पहुंचते थे। ऐसा पहली बार होगा। जब ईदगाह के बाहर न तो मेला लगेगा और न ही अफसरों व नेताओं का जमघट लगेगा। सादगी के साथ ईद की नमाज अदा होगी।
चांद का हुआ दीदार, ईद आज
मुकद्दस रमजान माह का तीसवां रोजा रविवार को रोजेदारों ने रखा। भोर में सहरी के बाद कुरान पाक की तिलावत का दौर शुरू हुआ। इसके बाद शाम को इफतार का वक्त आया। इसके पहले लोग ईद का चांद देखने के लिए आसमान की ओर देखने लगे। सूरज की लालिमा छंटने के साथ ही चांद का दीद होते ही लोगों ने दुआ मांगी। सोमवार को ईद की नमाज घरों में अदा करने की तैयारियों के बीच खरीदारी करने लोग बाजार की ओर भागे। हालांकि शाम सात बजे तक ही दुकानें खुलने के कारण बहुत से लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा।
कोरोना महामारी के चलते इस बार ईद का पर्व लोग पुराने कपड़ों में ही मनाएंगे। महामारी के चलते करीब दो महीने से कपड़ा और दर्जी की दुकानें बंद होने के कारण बहुत कम लोग ही नए कपड़े बनवा सके हैं। अधिकांश दुकानें बंद होने के कारण खरीदारी नहीं कर सके। सोमवार को ईद की नमाज भी पुराने लिबास में सोशल डिस्टेंसिंग के बीच घरों में ही अदा की जाएगी। एक दूसरे के घर जाकर सेवई का स्वाद लेने के बजाए लोग मोबाइल पर ही ईद की मुबारकबाद देंगे।
कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए लॉकडाउन लागू है। मुकद्दस रमजान भी लाकडाउन में ही बीत गया। मस्जिदों से लोगों की दूरी रही। पांच वक्त की नमाज के साथ तरावीह व जुमे की नमाज भी लोगों ने अपने घरों में ही अदा की।
मस्जिदों में केवल फर्ज नमाज के अरकान पूरे हुए। इस बार भी ईद की नमाज लोग अपने घरों में सोशल डिस्टेंसिंग के बीच अदा करेंगे। मस्जिदों में केवल इमाम को लेकर पांच लोग ही नमाज अदा कर सकेंगे। इसके लिए प्रशासन व उलेमा ने इजाजत दी है।
शहर के भुलियापुर स्थित ईदगाह में भी केवल ईद की नमाज के अरकान पूरे होंगे। यहां सीमित संख्या में ही लोग नमाज अदा कर सकेंगे। इस बार ईद का पर्व सादगी के साथ मनाया जा रहा है। लोग नए कपड़े नहीं बनवा सके। चूंकि रमजान भी पाबंदियों में बीत गया। लॉकडाउन व हॉटस्पाट के चलते शहर से लेकर ग्रामीण अंचल के बाजारों में भी कपड़े, जूता-चप्पल समेत अन्य आवश्यक सामानों की दुकानें बंद रहीं।
लोग न तो नए कपड़े खरीद सके और न ही सिलवा सके। टेलर की दुकानें भी अभी बंद हैं। यहां तक लोगों ने बच्चों के लिए भी खरीदारी से हाथ पीछे खींच लिया। ऐसे में ईद का पर्व तो मनाया जाएगा, लेकिन बेहद सादगी से। ईद की मुबारकबाद देने के लिए हर साल लोग एक दूसरे के घर जाते थे, लेकिन ऐसा इस बार नहीं हो सकेगा।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोग अपने घरों में परिवार के बीच ईद का पर्व मनाएंगे। करीबियों व रिश्तेदारों को मोबाइल पर वीडियोकालिंग के जरिए मुबारकबाद देंगे। बच्चे भी घरों से बाहर नहीं जा सकेंगे।
मौलाना अब्दुल हादी ने बताया कि कोरोना बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के सुझाव पर लोगों को अमल करना चाहिए। अपने इलाके आलिम व उलेमा से जानकारी करने के बाद घरों में ही नमाज अदा करें। कोशिश करें कि भीड़-भाड़ न होने पाए। ताकि इस बीमारी का सभी मिलकर मुकाबला कर सकें।
भुलियापुर में पसरा रहेगा सन्नाटा, नहीं लगेगा मेला
ईद उल फितर व ईद उल अजहा के मौके पर भुलियापुर स्थित ईदगाह में रौनक देखते ही बनती थी। ईदगाह परिसर में सुबह से मेला लगा रहता था। सड़कों के किनारे जरूरतमंदों की आर्थिक मदद करने के लिए आने जाने वाले अपनी हैसियर के मुताबिक दान भी देते थे। आला अधिकारी भी लोगों को ईद की मुबारकबाद देने के लिए पहुंचते थे। ऐसा पहली बार होगा। जब ईदगाह के बाहर न तो मेला लगेगा और न ही अफसरों व नेताओं का जमघट लगेगा। सादगी के साथ ईद की नमाज अदा होगी।
चांद का हुआ दीदार, ईद आज
मुकद्दस रमजान माह का तीसवां रोजा रविवार को रोजेदारों ने रखा। भोर में सहरी के बाद कुरान पाक की तिलावत का दौर शुरू हुआ। इसके बाद शाम को इफतार का वक्त आया। इसके पहले लोग ईद का चांद देखने के लिए आसमान की ओर देखने लगे। सूरज की लालिमा छंटने के साथ ही चांद का दीद होते ही लोगों ने दुआ मांगी। सोमवार को ईद की नमाज घरों में अदा करने की तैयारियों के बीच खरीदारी करने लोग बाजार की ओर भागे। हालांकि शाम सात बजे तक ही दुकानें खुलने के कारण बहुत से लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ा।
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