न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 26 May 2020 11:27 PM IST
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला।
देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 को रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के पहले पांच हफ्तों के दौरान प्रतिबंधों के कथित उल्लंघन के लिए सार्वजनिक रूप से पीटे गए 12 लोगों की मौत हो गई है।
एक गैर-सरकारी संगठन कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर 25 मार्च से 30 अप्रैल तक हुई मौतों के मामले में अध्ययन किया था। इसमें उसने पाया कि 12 में से तीन मौतें आत्महत्या हैं, जो सार्वजनिक पिटाई की वजह से अपमानित महसूस किए जाने के कारण हुईं। इनमें उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में हुई तीन मौत के मामले शामिल हैं। अध्ययन में मध्यप्रदेश में दो जबकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब में एक-एक मौत की जानकारी भी सामने आई।
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में सीएचआरआई के कार्यक्रम प्रमुख (पुलिस सुधार) ने कहा, ‘मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि लॉकडाउन के दौरान कथित तौर पर पुलिस की कार्रवाई के बाद लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इन मौतों की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।’
अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि इन 12 मौतों के अलावा, विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार किए गए तीन अन्य लोगों की भी पुलिस हिरासत में मौत हुई है। यह तीनों मामले क्रमश: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के थे। इन तीन मामलों में से दो में पीड़ित लॉकडाउन से संबंधित अपराधों के लिए हिरासत में लिए गए थे। सीएचआरआई ने इन 15 मौतों की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक याचिका भी भेजी है।
हालांकि इस पूरी रिपोर्ट को अलग-अलग राज्यों की पुलिस ने नकार दिया है और ऐसी किसी भी तरह की घटना से इंकार किया है।
देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 को रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के पहले पांच हफ्तों के दौरान प्रतिबंधों के कथित उल्लंघन के लिए सार्वजनिक रूप से पीटे गए 12 लोगों की मौत हो गई है।
एक गैर-सरकारी संगठन कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर 25 मार्च से 30 अप्रैल तक हुई मौतों के मामले में अध्ययन किया था। इसमें उसने पाया कि 12 में से तीन मौतें आत्महत्या हैं, जो सार्वजनिक पिटाई की वजह से अपमानित महसूस किए जाने के कारण हुईं। इनमें उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में हुई तीन मौत के मामले शामिल हैं। अध्ययन में मध्यप्रदेश में दो जबकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब में एक-एक मौत की जानकारी भी सामने आई।
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में सीएचआरआई के कार्यक्रम प्रमुख (पुलिस सुधार) ने कहा, ‘मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि लॉकडाउन के दौरान कथित तौर पर पुलिस की कार्रवाई के बाद लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इन मौतों की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।’
अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि इन 12 मौतों के अलावा, विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार किए गए तीन अन्य लोगों की भी पुलिस हिरासत में मौत हुई है। यह तीनों मामले क्रमश: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के थे। इन तीन मामलों में से दो में पीड़ित लॉकडाउन से संबंधित अपराधों के लिए हिरासत में लिए गए थे। सीएचआरआई ने इन 15 मौतों की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक याचिका भी भेजी है।
हालांकि इस पूरी रिपोर्ट को अलग-अलग राज्यों की पुलिस ने नकार दिया है और ऐसी किसी भी तरह की घटना से इंकार किया है।
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