डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Updated Sun, 07 Jun 2020 10:51 PM IST
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पाकिस्तान में अब इमरान सरकार के खिलाफ तमाम विपक्षी पार्टियां अब एक मंच पर आने की तैयारी कर रही हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने इसके लिए पहल की है और सभी पार्टियों को एकजुट करने के लिए अगले हफ्ते कराची में एक सम्मेलन करने जा रही है। सिंध प्रांत में पीपीपी की सरकार है और यहीं से इस विपक्षी एकता की शुरुआत हो रही है।
तमाम मोर्चों पर इमरान सरकार की नाकामी और प्रांतीय सरकारों से भेदभाव बरतने जैसे सवालों पर पीपीपी की ओर से इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए तमाम विपक्षी पार्टियों को न्योता भेजा जा रहा है। इस सम्मेलन में पीपीपी ने नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल, जमात-इ-इस्लामी (जेआई), जेयूआई-एफ और अवामी नेशनल पार्टी के नेताओं से शामिल होने की अपील की है। पीपीपी का आरोप है कि इमरान सरकार ने 18वें संशोधन के खिलाफ साजिश की है और नेशनल फाइनेंस कमीशन (एनएफसी) में मनमाने तरीके से प्रशासनिक बदलाव करके प्रांतीय सरकारों की मुश्किलें बढ़ाई हैं और कोविड-19 और टिड्डियों के हमले से बचने में पूरी तरह नाकाम रही है।
पीपीपी के सिंध प्रांत के अध्यक्ष निसार खुहरो ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की है और सिंध की सभी राष्ट्रवादी और सियासी पार्टियों को इसमें शामिल होने का औपचारिक न्योता भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा है कि इस बहुपार्टी सम्मेलन का मकसद 18वें संविधान संशोधन के खिलाफ की जा रही साजिशों का विरोध करने के साथ ही प्रांतीय सरकारों को टिड्डियों के खतरनाक हमले से बचने के लिए केंद्र का सहयोग न मिलना और कोविड-19 से निपटने में नाकामी जैसे तमाम मुद्दे हैं। उनका कहना है कि सभी पार्टियों को साथ मिलकर इन मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।
पीपीपी का कहना है कि इमरान सरकार ने एनएफसी के ढांचे में बदलाव करके प्रांतों को मिलने वाली वित्तीय मदद को रोकने की कोशिश की है। केंद्र तो पहले से ही प्रांतीय सरकारों को लेकर भेदभाव करती रही है और संकट के इस दौर में किसी भी मसले को सुलझाने की बजाय प्रांतीय सरकारों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। वित्तीय मामलों में एनएफसी अवार्ड का शेयर घटा दिया गया है जिसे तत्काल बढ़ाने की मांग उठ रही है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र एनएफसी का गठन कर रही थी तभी सिंध की सरकार ने पत्र लिख कर अपनी आपत्तियां जताई थीं, लेकिन उसका केंद्र ने अबतक कोई जवाब नहीं दिया है। उनका कहना है कि सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को समझना चाहिए कि प्रांतीय सरकारों को नाराज करके कोई भी सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती।
सार
- सिंध से उठी इमरान की नाकामियों के खिलाफ आवाज, पीपीपी ने की विपक्षी एकता की पहल
- इमरान सरकार पर प्रांतीय सरकारों से भेदभाव का आरोप
- 18वें संशोधन और एनएफसी में प्रशासनिक बदलाव को साजिश बताया
- कोविड-19 और टिड्डियों की समस्या से निपटने में पूरी तरह नाकाम रही इमरान सरकार
विस्तार
पाकिस्तान में अब इमरान सरकार के खिलाफ तमाम विपक्षी पार्टियां अब एक मंच पर आने की तैयारी कर रही हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने इसके लिए पहल की है और सभी पार्टियों को एकजुट करने के लिए अगले हफ्ते कराची में एक सम्मेलन करने जा रही है। सिंध प्रांत में पीपीपी की सरकार है और यहीं से इस विपक्षी एकता की शुरुआत हो रही है।
तमाम मोर्चों पर इमरान सरकार की नाकामी और प्रांतीय सरकारों से भेदभाव बरतने जैसे सवालों पर पीपीपी की ओर से इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए तमाम विपक्षी पार्टियों को न्योता भेजा जा रहा है। इस सम्मेलन में पीपीपी ने नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल, जमात-इ-इस्लामी (जेआई), जेयूआई-एफ और अवामी नेशनल पार्टी के नेताओं से शामिल होने की अपील की है। पीपीपी का आरोप है कि इमरान सरकार ने 18वें संशोधन के खिलाफ साजिश की है और नेशनल फाइनेंस कमीशन (एनएफसी) में मनमाने तरीके से प्रशासनिक बदलाव करके प्रांतीय सरकारों की मुश्किलें बढ़ाई हैं और कोविड-19 और टिड्डियों के हमले से बचने में पूरी तरह नाकाम रही है।
पीपीपी के सिंध प्रांत के अध्यक्ष निसार खुहरो ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की है और सिंध की सभी राष्ट्रवादी और सियासी पार्टियों को इसमें शामिल होने का औपचारिक न्योता भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा है कि इस बहुपार्टी सम्मेलन का मकसद 18वें संविधान संशोधन के खिलाफ की जा रही साजिशों का विरोध करने के साथ ही प्रांतीय सरकारों को टिड्डियों के खतरनाक हमले से बचने के लिए केंद्र का सहयोग न मिलना और कोविड-19 से निपटने में नाकामी जैसे तमाम मुद्दे हैं। उनका कहना है कि सभी पार्टियों को साथ मिलकर इन मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।
पीपीपी का कहना है कि इमरान सरकार ने एनएफसी के ढांचे में बदलाव करके प्रांतों को मिलने वाली वित्तीय मदद को रोकने की कोशिश की है। केंद्र तो पहले से ही प्रांतीय सरकारों को लेकर भेदभाव करती रही है और संकट के इस दौर में किसी भी मसले को सुलझाने की बजाय प्रांतीय सरकारों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। वित्तीय मामलों में एनएफसी अवार्ड का शेयर घटा दिया गया है जिसे तत्काल बढ़ाने की मांग उठ रही है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र एनएफसी का गठन कर रही थी तभी सिंध की सरकार ने पत्र लिख कर अपनी आपत्तियां जताई थीं, लेकिन उसका केंद्र ने अबतक कोई जवाब नहीं दिया है। उनका कहना है कि सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को समझना चाहिए कि प्रांतीय सरकारों को नाराज करके कोई भी सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती।
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