गर्लफ्रैंड चोर
– फोटो : अमर उजाला
इस कोरोना सीजन में बिंज वॉच (किसी सीरीज के सारे एपीसोड्स लगातार एक साथ देखना) के लिए सही सीरीज है गर्लफ्रेंड चोर। नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो, हॉटस्टार, वूट सेलेक्ट और जी5 के दौर में एमएक्स प्लेयर की ये टीवीएफ मार्का सीरीज है। टीवीएफ ने अपने कंटेंट को सरल और सहज रखते हुए एक अलग जगह वेब स्पेस में बनाई है। गर्लफ्रेंड चोर शायद उसी स्पेस के चक्कर लगाते लगाते इस्केप वेलॉसिटी को प्राप्त हुई और पॉकेट एसेज के डाइस क्रिएटर नेटवर्क की झोली में आ गिरी। टीवीएफ की कोटा फैक्ट्री वाले मयूर मोरे भी यहां हैं।
सीरीज सिर्फ पांच एपीसोड की है तो फटाफट निकल जाती है। साथ में इसके संवाद ऐसे हैं कि कतई बोर नहीं होने देते। लेकिन डॉयलॉग से पहले स्टोरी समझ लेते हैं। आकाश को नेहा से प्यार है। नेहा का ब्रेकअप होता है और आकाश उससे दिल की बात कह सके, उसके पहले ही वह विशाल को दिल दे बैठती है। विशाल पर रितु को क्रश है। तो इस आयताकार प्रेम कहानी में इश्क की आयतें पढ़ने का जिम्मा उठाते हैं आकाश के माता पिता। दोनों को ऐसे हालात का पुराना एक्सपीरियंस है और आकाश के पिता तो पेश से भी मास्टर हैं।
लेखक, निर्देशक गिरीश जोटवानी ने इस कहानी का हर किरदार मस्त बनाया है। इन्हें कैमरे के सामने निभाने वाले कलाकार भी अलमस्त हैं। नमूना देखिए, जब छोटा भाई बड़े भाई को समझा रहा है, “पापा आदमी अच्छे हैं पर टीचर उतने अच्छे नहीं हैं, उनकी ज्यादा मत सुना करो।” या फिर आकाश अपने मन की बात रितु से कहना चाह रहा है पर कह नहीं पा रहा है, “तेरी मेरी बातों का एक सिलेबस था रितु, वो सिलेबस के बाहर की बात तो कभी हुई ही नहीं।” या फिर आकाश की मम्मी का पूर्व प्रेमी बरसों के बाद मिलने पर अपनी एक्स की खिंचाई कर रहा है, “तूने कयामत से कयामत तक देखी मेरे साथ और मैंने प्यार किया देखी, इसके साथ। बुरा तो लगेगा।”
तो सीरीज के एक और डायलॉग ही तरह ही घर पर रहते हुए हैप्पी होना जरूरी है जो सही हो रहा वह जरूरी नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीरीज में शिशिर शर्मा के अलावा दूसरा कोई चेहरा जाना पहचाना नहीं है। लेकिन, इन नए चेहरों ने जो कमाल का काम किया है वह काबिले तारीफ है। एक टूटा दिल लिए टहलते आशिक के तौर पर मयूर मोरे ने कमाल की एक्टिंग की है। उनके चेहरे के भाव और बोलने का लहजा बिल्कुल किसी टीनएजर के दिल में मचलते तूफान को चेहरे पर आने से रोकने में लगे लड़के वाले हैं। और उनका बिल्कुल बराबर का साथ दिया है रितु के रोल में दीक्षा जुनेजा ने। नए टैलेंट की तलाश में रहने वालों को इन पर नजर डालनी चाहिए। एक्टिंग के मामले में दीक्षा के एक्स्प्रेशन्स अनन्या, जाह्नवी और परिणीति से बेहतर हैं। कुशाग्र और हिमानी ने भी काम अच्छा किया है लेकिन वह बार बार खुद को दोहराते दिखते हैं।
सोनाली सचदेव मराठी बोलते हुए बहुत ही क्यूट लगती हैं और स्पेशल अपीयरेंस में आशीष विद्यार्थी का सुनयना बोलना पैसा वसूल है (हालांकि एमएक्स प्लेयर फ्री वाला ओटीटी है लेकिन टाइम की तो वैल्यू होती है ना)। अब बचे शिशिर शर्मा, तो बड़े परदे पर ज्यादातर तमतमाए चेहरे के साथ दिखने वाले शिशिर यहां बहुत ही कूल डैडी के किरदार में हैं। आजकल के टीनएजर्स को ऐसे ही डैडी चाहिए होते हैं, जो साथ में बीयर भी पी सकें और टूटे दिल का मरहम भी बन सकें। शिशिर का काम शानदार है यहां।
तकनीकी लिहाज से सीरीज थोड़ा कमजोर है। हर एपीसोड के आखिर में बजने वाला गाना थोड़ा और मेलोडी के साथ होता तो अच्छा होता। कैमरावर्क सही है लेकिन एडिटिंग में या तो निर्देशक बता नहीं पाया या फिर एडिटर कट्स समझ नहीं पाया। एक बड़ी गलती कॉन्टीन्यूटी की भी है। विशाल जिस ग्लास में से स्ट्रा के जरिए जूस आधे से ज्यादा पी ले रहा है, उसके अगले कट में आधा भरा ग्लास फिर दिख रहा है। लगता है तकनीशियनों ने डुएट गाने सोलो बहुत गाए हैं और सोलो गाना डुएट गाने का मौका जब तक आया तब तक पहला सीजन निपट गया। इंतजार रहेगा, दूसरे सीजन का।
सार
डिजिटल रिव्यू: गर्लफ्रेंड चोर (वेब सीरीज)
कलाकार: मयूर मोरे, दीक्षा जुनेजा, हिमानी शर्मा, कुशाग्र दुआ, सोनाली सचदेव और शिशिर शर्मा।
लेखक, निर्देशक: गिरीश जोटवानी
ओटीटी: एमएक्स प्लेयर
रेटिंग: ***
विस्तार
इस कोरोना सीजन में बिंज वॉच (किसी सीरीज के सारे एपीसोड्स लगातार एक साथ देखना) के लिए सही सीरीज है गर्लफ्रेंड चोर। नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो, हॉटस्टार, वूट सेलेक्ट और जी5 के दौर में एमएक्स प्लेयर की ये टीवीएफ मार्का सीरीज है। टीवीएफ ने अपने कंटेंट को सरल और सहज रखते हुए एक अलग जगह वेब स्पेस में बनाई है। गर्लफ्रेंड चोर शायद उसी स्पेस के चक्कर लगाते लगाते इस्केप वेलॉसिटी को प्राप्त हुई और पॉकेट एसेज के डाइस क्रिएटर नेटवर्क की झोली में आ गिरी। टीवीएफ की कोटा फैक्ट्री वाले मयूर मोरे भी यहां हैं।
सीरीज सिर्फ पांच एपीसोड की है तो फटाफट निकल जाती है। साथ में इसके संवाद ऐसे हैं कि कतई बोर नहीं होने देते। लेकिन डॉयलॉग से पहले स्टोरी समझ लेते हैं। आकाश को नेहा से प्यार है। नेहा का ब्रेकअप होता है और आकाश उससे दिल की बात कह सके, उसके पहले ही वह विशाल को दिल दे बैठती है। विशाल पर रितु को क्रश है। तो इस आयताकार प्रेम कहानी में इश्क की आयतें पढ़ने का जिम्मा उठाते हैं आकाश के माता पिता। दोनों को ऐसे हालात का पुराना एक्सपीरियंस है और आकाश के पिता तो पेश से भी मास्टर हैं।
गर्लफ्रैंड चोर
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
लेखक, निर्देशक गिरीश जोटवानी ने इस कहानी का हर किरदार मस्त बनाया है। इन्हें कैमरे के सामने निभाने वाले कलाकार भी अलमस्त हैं। नमूना देखिए, जब छोटा भाई बड़े भाई को समझा रहा है, “पापा आदमी अच्छे हैं पर टीचर उतने अच्छे नहीं हैं, उनकी ज्यादा मत सुना करो।” या फिर आकाश अपने मन की बात रितु से कहना चाह रहा है पर कह नहीं पा रहा है, “तेरी मेरी बातों का एक सिलेबस था रितु, वो सिलेबस के बाहर की बात तो कभी हुई ही नहीं।” या फिर आकाश की मम्मी का पूर्व प्रेमी बरसों के बाद मिलने पर अपनी एक्स की खिंचाई कर रहा है, “तूने कयामत से कयामत तक देखी मेरे साथ और मैंने प्यार किया देखी, इसके साथ। बुरा तो लगेगा।”
तो सीरीज के एक और डायलॉग ही तरह ही घर पर रहते हुए हैप्पी होना जरूरी है जो सही हो रहा वह जरूरी नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीरीज में शिशिर शर्मा के अलावा दूसरा कोई चेहरा जाना पहचाना नहीं है। लेकिन, इन नए चेहरों ने जो कमाल का काम किया है वह काबिले तारीफ है। एक टूटा दिल लिए टहलते आशिक के तौर पर मयूर मोरे ने कमाल की एक्टिंग की है। उनके चेहरे के भाव और बोलने का लहजा बिल्कुल किसी टीनएजर के दिल में मचलते तूफान को चेहरे पर आने से रोकने में लगे लड़के वाले हैं। और उनका बिल्कुल बराबर का साथ दिया है रितु के रोल में दीक्षा जुनेजा ने। नए टैलेंट की तलाश में रहने वालों को इन पर नजर डालनी चाहिए। एक्टिंग के मामले में दीक्षा के एक्स्प्रेशन्स अनन्या, जाह्नवी और परिणीति से बेहतर हैं। कुशाग्र और हिमानी ने भी काम अच्छा किया है लेकिन वह बार बार खुद को दोहराते दिखते हैं।
गर्लफ्रैंड चोर
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई
सोनाली सचदेव मराठी बोलते हुए बहुत ही क्यूट लगती हैं और स्पेशल अपीयरेंस में आशीष विद्यार्थी का सुनयना बोलना पैसा वसूल है (हालांकि एमएक्स प्लेयर फ्री वाला ओटीटी है लेकिन टाइम की तो वैल्यू होती है ना)। अब बचे शिशिर शर्मा, तो बड़े परदे पर ज्यादातर तमतमाए चेहरे के साथ दिखने वाले शिशिर यहां बहुत ही कूल डैडी के किरदार में हैं। आजकल के टीनएजर्स को ऐसे ही डैडी चाहिए होते हैं, जो साथ में बीयर भी पी सकें और टूटे दिल का मरहम भी बन सकें। शिशिर का काम शानदार है यहां।
तकनीकी लिहाज से सीरीज थोड़ा कमजोर है। हर एपीसोड के आखिर में बजने वाला गाना थोड़ा और मेलोडी के साथ होता तो अच्छा होता। कैमरावर्क सही है लेकिन एडिटिंग में या तो निर्देशक बता नहीं पाया या फिर एडिटर कट्स समझ नहीं पाया। एक बड़ी गलती कॉन्टीन्यूटी की भी है। विशाल जिस ग्लास में से स्ट्रा के जरिए जूस आधे से ज्यादा पी ले रहा है, उसके अगले कट में आधा भरा ग्लास फिर दिख रहा है। लगता है तकनीशियनों ने डुएट गाने सोलो बहुत गाए हैं और सोलो गाना डुएट गाने का मौका जब तक आया तब तक पहला सीजन निपट गया। इंतजार रहेगा, दूसरे सीजन का।
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