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Millions Of Children At Risk During Covid-19 Pandemic Lockdown – महामारी की सबसे बड़ी कीमत चुकाएंगे बच्चे, लाखों के मौत की आशंका, गरीबी की गर्त में जा सकते हैं 6 करोड़ बच्चे




वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला,संयुक्त राष्ट्र
Updated Sat, 18 Apr 2020 05:23 AM IST

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कोविड-19 महामारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने गंभीर आकलन पेश किया है। इसके मुताबिक, चूंकि महामारी के दौर में कारोबार ठप्प हैं, श्रमिक बेरोजगार हैं और नौकरियां संकट में हैं, ऐसे में आशंका है कि बच्चे इसकी बड़ी कीमत चुकाएंगे। संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक मंदी के चलते दुनिया के 4.2 करोड़ से 6.6 करोड़ बच्चों को गरीबी के गर्त में गिरने का अनुमान जताया है। इनमें लाखों की मौत भी हो सकती है।

संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से फैली महामारी से बच्चे तीन तरह से प्रभावित होंगे। पहला, बच्चे अपने माता-पिता या परिजनों के संक्रमित होने का खामियाजा बुरी सेहत के तौर पर भुगतेंगे।

दूसरा, परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थितियां उन्हें प्रभावित करेंगी। और तीसरे, विकास को लेकर निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति लंबे समय के लिए आगे बढ़ जाएगी, इसका असर वर्षों बाद दिखाई देगा।

इन सबका नतीजा यह होगा कि करीब चार से छह करोड़ बच्चे भयंकर गरीबी में घिर जाएंगे। 2019 में गरीबी के भयंकर हालातों से पहले ही 38 करोड़ से ज्यादा बच्चे प्रभावित थे। इसमें चार से छह करोड़ का और इजाफा होगा।

कोरोना वायरस के कारण दुनिया के 188 देशों में लॉकडाउन के चलते करीब 150 करोड़ बच्चों और युवाओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इससे उनकी शिक्षा व अन्य गतिविधियां प्रभावित होना तय है।

कोविड-19 महामारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने गंभीर आकलन पेश किया है। इसके मुताबिक, चूंकि महामारी के दौर में कारोबार ठप्प हैं, श्रमिक बेरोजगार हैं और नौकरियां संकट में हैं, ऐसे में आशंका है कि बच्चे इसकी बड़ी कीमत चुकाएंगे। संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक मंदी के चलते दुनिया के 4.2 करोड़ से 6.6 करोड़ बच्चों को गरीबी के गर्त में गिरने का अनुमान जताया है। इनमें लाखों की मौत भी हो सकती है।

संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण से फैली महामारी से बच्चे तीन तरह से प्रभावित होंगे। पहला, बच्चे अपने माता-पिता या परिजनों के संक्रमित होने का खामियाजा बुरी सेहत के तौर पर भुगतेंगे।

दूसरा, परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थितियां उन्हें प्रभावित करेंगी। और तीसरे, विकास को लेकर निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति लंबे समय के लिए आगे बढ़ जाएगी, इसका असर वर्षों बाद दिखाई देगा।

इन सबका नतीजा यह होगा कि करीब चार से छह करोड़ बच्चे भयंकर गरीबी में घिर जाएंगे। 2019 में गरीबी के भयंकर हालातों से पहले ही 38 करोड़ से ज्यादा बच्चे प्रभावित थे। इसमें चार से छह करोड़ का और इजाफा होगा।

कोरोना वायरस के कारण दुनिया के 188 देशों में लॉकडाउन के चलते करीब 150 करोड़ बच्चों और युवाओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इससे उनकी शिक्षा व अन्य गतिविधियां प्रभावित होना तय है।




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