पंकज शुक्ल, मुंबई, Updated Thu, 30 Apr 2020 09:26 AM IST
सिनेमा पर लिखने का शौक हो जाए तो दूसरी आदत ये भी हो जाती है कि आपको सिनेमा अकेले देखने में मजा आने लगता है। और, कम ही होता है ऐसा कि आप अकेले ही किसी संवाद को देखकर इतना खुश हो जाए कि तालियां बजा उठें या फिर अनायास मुंह से अपने आप ठहाका निकल जाए। लेकिन, इरफान की फिल्में देखते हुए ऐसा मेरे साथ कई बार हुआ। ताजा उदाहरण अंग्रेजी मीडियम का है जिसमें वह अपनी बेटी को समझाते हुए कहते हैं, ‘बेटा, ये नंबर है खुद लाने पड़ते हैं, विधायक ना कि दूसरों के ले लिए।’ अब संवाद लिखने वाले इरफान की फिल्म है इसलिए ऐसे संवाद लिखते हैं या फिर इरफान ही ऐन मौके पर ये संवाद शूटिंग के वक्त बोल जाते हैं, ये फिल्ममेकिंग की आपसी समझ वाला राज है।