India Raised Issue Before Pakistan Of Kartarpur Sahib Gurudwara Domes Falling – भारत ने पाकिस्तान के सामने उठाया करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के गुंबद गिरने का मामला




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 19 Apr 2020 04:29 PM IST

करतारपुर गुरुद्वारे की गिरी गुंबद
– फोटो : ट्विटर

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पाकिस्तान में स्थित सिखों के धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के गुंबद शनिवार को आई मामूली आंधी में ढह गए थे। इससे पाक का सिख समुदाय तो नाराज है ही भारत ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के गिरने का मुद्दा पाकिस्तान के समक्ष उठाया है। 

भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि इस घटना के बाद से सिख समुदाय में दहशत सी छा गई है। सूत्र ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान से आग्रह किया है कि सिख समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्माण संबंधी कमियों को तुरंत सुधारा जाए। सूत्र के मुताबिक भारत ने पाक से कहा है कि इस पवित्र स्थल को लेकर सिख समुदाय की भावनाओं को समझा जाना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।  

दो साल पहले साल 2018 में इस गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण हुआ था। इस घटना के बाद से इसके निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं। नाराज सिख समुदाय कह रहा है कि इमरान सरकार में किसी अन्य धर्म को सम्मान नहीं मिलता है। लोगों का आरोप है कि इमरान खान के लिए करतारपुर सिर्फ एक सियासी स्टंट था। 

कमजोर फाइबर से हुआ था निर्माण!

इस गुरुद्वारे का पुनरुद्धार दो साल पहले ही 2018 में हुआ था। इमरान सरकार ने यहां जोर-शोर से कार्यक्रम भी आयोजित करवाया था, लेकिन अब पता चला है कि निर्माण की गुणवत्ता कितनी खराब थी कि ये हल्के आंधी-तूफान को ही नहीं झेल सके। बताया जा रहा है कि ये कमजोर फाइबर के बने थे। 

करतारपुर में अंतरध्यान हुए थे नानकदेव

बता दें कि पाकिस्तान में सिखों के दो पवित्र तीर्थ स्थल हैं। पहला ननकाना साहिब जो लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। ये गुरु नानक देव जी का जन्मस्थल है। दूसरा है करतारपुर जहां गुरु नानकदेव अंतरध्यान हुए थे। यह स्थान लाहौर से लगभग 117 किलोमीटर दूर है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरीडोर बनाया गया था।

भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से करतारपुर 3.80 किलोमीटर दूर है। पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने अपने-अपने देशों में इसका उद्घाटन किया था। गुरु नानक देव जी अपनी चार प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद 1522 में परिवार के साथ यहां रहने लगे थे।

सार

  • शनिवार को आई मामूली आंधी में ढह गए थे गुंबद
  • बताया जा रहा कमजोर फाइबर से हुआ था निर्माण
  • सिख समुदाय ने इमरान सरकार पर सवाल उठाए

विस्तार

पाकिस्तान में स्थित सिखों के धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के गुंबद शनिवार को आई मामूली आंधी में ढह गए थे। इससे पाक का सिख समुदाय तो नाराज है ही भारत ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के गिरने का मुद्दा पाकिस्तान के समक्ष उठाया है। 

भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि इस घटना के बाद से सिख समुदाय में दहशत सी छा गई है। सूत्र ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान से आग्रह किया है कि सिख समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्माण संबंधी कमियों को तुरंत सुधारा जाए। सूत्र के मुताबिक भारत ने पाक से कहा है कि इस पवित्र स्थल को लेकर सिख समुदाय की भावनाओं को समझा जाना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।  

दो साल पहले साल 2018 में इस गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण हुआ था। इस घटना के बाद से इसके निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं। नाराज सिख समुदाय कह रहा है कि इमरान सरकार में किसी अन्य धर्म को सम्मान नहीं मिलता है। लोगों का आरोप है कि इमरान खान के लिए करतारपुर सिर्फ एक सियासी स्टंट था। 

कमजोर फाइबर से हुआ था निर्माण!

इस गुरुद्वारे का पुनरुद्धार दो साल पहले ही 2018 में हुआ था। इमरान सरकार ने यहां जोर-शोर से कार्यक्रम भी आयोजित करवाया था, लेकिन अब पता चला है कि निर्माण की गुणवत्ता कितनी खराब थी कि ये हल्के आंधी-तूफान को ही नहीं झेल सके। बताया जा रहा है कि ये कमजोर फाइबर के बने थे। 

करतारपुर में अंतरध्यान हुए थे नानकदेव

बता दें कि पाकिस्तान में सिखों के दो पवित्र तीर्थ स्थल हैं। पहला ननकाना साहिब जो लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। ये गुरु नानक देव जी का जन्मस्थल है। दूसरा है करतारपुर जहां गुरु नानकदेव अंतरध्यान हुए थे। यह स्थान लाहौर से लगभग 117 किलोमीटर दूर है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरीडोर बनाया गया था।

भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से करतारपुर 3.80 किलोमीटर दूर है। पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने अपने-अपने देशों में इसका उद्घाटन किया था। गुरु नानक देव जी अपनी चार प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद 1522 में परिवार के साथ यहां रहने लगे थे।




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