न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 12 May 2020 12:10 AM IST
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आईआईटी गुवाहाटी के सहायक प्रोफेसर पलाश घोष के मुताबिक, किसी एक मॉडल पर आधारित रिपोर्ट हमें गुमराह कर सकती है। इसी आशंका को खत्म करने के लिए हम एसआईएस नाम से मॉडल बनाकर उस पर काम करेंगे। इसके अलावा खुले स्रोत के आंकड़ों का इस्तेमाल कर रोजाना संक्रमण दर निकाली जा रही है। हमने किसी एक मॉडल का इस्तेमाल करने की बजाय सभी मॉडल का संयुक्त रूप से विश्लेषण किया है।
इस मॉडल में मामलों का आकलन लॉजिस्टिक्स और घातांक (हालात गंभीर होने की स्थिति में) दोनों तरीके से किया जाता है। राज्यों को तीन श्रेणियों नियंत्रित, मध्यम और गंभीर में बांटा गया है। यह ग्रीन जोन, ऑरेंज जोन और रेड जोन के वर्गीकरण से अलग है।
टीम के मुताबिक लॉजिस्टिक तरीके से भारत में अगले 30 दिनों में कोविड-19 के डेढ़ लाख मामले होंगे, जबकि घातांक तरीके से मामले साढ़े पांच लाख तक पहुंच जाएंगे। यह रिपोर्ट पिछले दिनों सक्रिय मामलों में बढ़ोतरी के साथ ही हर राज्य में प्रतिदिन की संक्रमण दर पर आधारित है। पूरे देश में कोरोना वायरस संक्रमण के आंकड़ों का एक ही तरह से विश्लेषण सही तस्वीर पेश नहीं करेगा।
ऐसा इसलिए है कि पहला संक्रमण, नई संक्रमण दर, समय के साथ उनमें बढ़ोतरी और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए एहतियाती कदम के अलावा हर राज्य के लोगों की स्थिति भी अलग-अलग है। हमें हर राज्य को अलग तरह से देखने की जरूरत है। इससे सरकार मौजूद सीमित संसाधनों का सही इस्तेमाल करने में सक्षम हो सकेगी।