न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 18 May 2020 08:34 PM IST
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आईसीएमआर ने कहा कि गर्भवती महिलाओं समेत सभी आपात चिकित्सा स्थितियों में देर नहीं होनी चाहिए। अभी तक हॉटस्पॉट या कंटेनमेंट जोन में रहने वाले आईएलआई या एसएआरआई लक्षण वाले लोगों की कोरोना जांच की जा रही थी।
इस संशोधित रणनीति में यह भी उल्लेखित किया गया है कि अस्पताल में भर्ती सभी मरीज जिनमें इंफ्लुएंजा जैसे लक्षण दिख रहे हैं और वायरस के प्रसार को रोकने में लगे सभी फ्रंटलाइन कर्मचारी जिनमें ऐसे लक्षण दिखेंगे उनकी आरटी-पीसीआर माध्यम से कोरोना संक्रमण की जांच की जाएगी।
एसिम्टोमैटिक मरीजों (जिनमें बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं) के अलावा पुष्ट मरीज से सीधे संपर्क में आए लोगों की संपर्क में आने के पांचवे और 10वें दिन जांच सुनिश्चित की जाएगी। अभी तक एसिम्टोमैटिक मरीज के संपर्क में आए लोगों की संपर्क में आने से पांचवें और 14वें दिन पर की जा रही थी।
एक अधिकारी ने कहा, आईसीएमआर ने अपनी रणनीति में संशोधन देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में उछाल आने पर लिया है। नई रणनीति के तहत संक्रमण के प्रसार को और प्रभावी तरीके से रोकने पर और संदिग्ध मरीजों की तेजी से जांच करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
आईसीएमआर ने बताया कि आईएलआई मामले वह होते हैं जिसमें बीमार व्यक्ति को तीव्र श्वसन संक्रमण हो और 38 डिग्री सेल्सियस या इससे ज्यादा का बुखार हो और खांसी की समस्या हो। एसएआरआई (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) के मामले वह हैं जिनमें ये सभी लक्षण हों और व्यक्ति अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति हो।