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Govt May Give Permission To Nasvi To Deliver Street Food Online Thorugh App – पिज्जा की तरह गली के ठेले से भी मंगवा सकेंगे ऑनलाइन चाट, सरकार से मंजूरी का इंतजार




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केंद्र सरकार 20 अप्रैल से कुछ ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों को काम करने की इजाजत दे सकती है। इसके लिए ऐसी गाइडलाइन बनाने की कोशिश हो रही है जिससे फूड डिलीवरी के दौरान कोरोना संक्रमण का खतरा न हो।

ऐसे में स्ट्रीट फूड वैंडर्स की भी मांग है कि पर्याप्त सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी फूड डिलीवरी करने की अनुमति दी जाए। इसके लिए नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट फूड वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI) की तरफ से एक एप तैयार किया गया है जिस पर सभी स्ट्रीट फूड वेंडर्स को जोड़ा जाएगा।

कोई भी व्यक्ति इस पर अन्य फूड डिलीवरी कंपनियों की तरह नासवी के एप पर खाने के सामान का ऑर्डर कर स्थानीय चिंहिंत वेंडर से सुरक्षित खाद्य पदार्थ मंगवा सकेगा। एप का परीक्षण चल रहा है और सरकार से अनुमति के बाद लगभग एक हफ्ते में यह प्रयोग के दौर में आ जाएगा।

ये है बड़ी चुनौती

देश में भारी संख्या में स्ट्रीट फूड वेंडर्स हैं। इनसे संक्रमणमुक्त सुरक्षित भोजन बनाना और उसकी सुरक्षित सप्लाई करना बड़ी चुनौती होगी। सामान्य तौर पर आम लोगों की निगाह में स्ट्रीट फूड को स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अच्छा नहीं माना जाता है।

लेकिन यह भी सच है कि स्ट्रीट फूड खूब लोकप्रिय हैं और भारी संख्या में लोग इनसे खाने-पीने की जरूरतें पूरी करते हैं। स्वाद के साथ-साथ गरीब मजदूर और कामगार लोग ऐसे ही छोटे ठेलों पर लगने वाले वेंडरों से अपने भोजन की जरूरतें भी पूरी करते हैं।

लॉकडाउन में इन लोगों के भोजन की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। अगर वेंडर्स को भी भोजन सप्लाई करने की अनुमति मिल जाती है, तो इससे बड़ी संख्या में लोगों को खाना उपलब्ध कराया जा सकेगा।

वेंडर्स को कर रहे प्रशिक्षित

नासवी के अध्यक्ष अरबिंद सिंह ने अमर उजाला को बताया कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए वे अपने से संबद्ध सभी वेंडरों को स्वास्थ्यप्रद खाना बनाने और संक्रमण से बचने की तकनीकी की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

लोगों को खाद्य सामग्री देने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल सिखाया जा रहा है। सरकार इसमें आवश्यक प्रावधान जोड़ सकती है और स्थानीय प्रशासन की मदद से अन्य कंपनियों की तरह उनके साथ भी नियमों का पालन अनिवार्य बना सकती है।
 
फूड प्रोग्राम हेड सुनीता सिंह के मुताबिक शनिवार को उन्होंने वेंडर्स के साथ जूम एप पर ऑनलाइन बैठक कर इससे संबंधित तरीकों का विश्लेषण किया। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से इस पर विचार करने के लिए कहा गया है। केंद्र से अनुमति मिलने के बाद इस पर काम पूरा कर लिया जाएगा।

इस तरह सुरक्षित होगी फूड डिलीवरी

बड़ी ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों से सुरक्षित भोजन सप्लाई किए जाने की योजना पर काम हो रहा है। दक्षिणी जिले के जिलाधिकारी बीएम मिश्रा ने कहा कि जहां तक ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनियों की बात है, सभी कंपनियों को प्रत्येक दिन अपने कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करनी होगी।

उनका बुखार, कफ या श्वास लेने की परेशानी को रोजाना कंपनी के स्तर पर ही चेक किया जाएगा जिससे कोरोना संक्रमण फैलने की कोई गुंजाइश न रहे।

कितनी है संख्या

अनुमान के मुताबिक देश में 2.5 करोड़ वेंडर हैं। इनमें लगभग एक तिहाई स्ट्रीट फूड से जुड़े हुए हैं। इनके माध्यम से लगभग दो करोड़ लोगों को रोजगार प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अगर इनको अनुमति मिलती है, तो इससे इनके रोजगार की समस्या का भी समाधान होगा। 

सार

  • 20 अप्रैल से कुछ ऑनलाइन फूड कंपनियों को मिल सकती है इजाजत
  • नासवी के एप से जुड़ेंगे गली के वेंडर, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए होगी सामान की डिलीवरी

विस्तार

केंद्र सरकार 20 अप्रैल से कुछ ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों को काम करने की इजाजत दे सकती है। इसके लिए ऐसी गाइडलाइन बनाने की कोशिश हो रही है जिससे फूड डिलीवरी के दौरान कोरोना संक्रमण का खतरा न हो।

ऐसे में स्ट्रीट फूड वैंडर्स की भी मांग है कि पर्याप्त सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी फूड डिलीवरी करने की अनुमति दी जाए। इसके लिए नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट फूड वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI) की तरफ से एक एप तैयार किया गया है जिस पर सभी स्ट्रीट फूड वेंडर्स को जोड़ा जाएगा।

कोई भी व्यक्ति इस पर अन्य फूड डिलीवरी कंपनियों की तरह नासवी के एप पर खाने के सामान का ऑर्डर कर स्थानीय चिंहिंत वेंडर से सुरक्षित खाद्य पदार्थ मंगवा सकेगा। एप का परीक्षण चल रहा है और सरकार से अनुमति के बाद लगभग एक हफ्ते में यह प्रयोग के दौर में आ जाएगा।

ये है बड़ी चुनौती

देश में भारी संख्या में स्ट्रीट फूड वेंडर्स हैं। इनसे संक्रमणमुक्त सुरक्षित भोजन बनाना और उसकी सुरक्षित सप्लाई करना बड़ी चुनौती होगी। सामान्य तौर पर आम लोगों की निगाह में स्ट्रीट फूड को स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अच्छा नहीं माना जाता है।

लेकिन यह भी सच है कि स्ट्रीट फूड खूब लोकप्रिय हैं और भारी संख्या में लोग इनसे खाने-पीने की जरूरतें पूरी करते हैं। स्वाद के साथ-साथ गरीब मजदूर और कामगार लोग ऐसे ही छोटे ठेलों पर लगने वाले वेंडरों से अपने भोजन की जरूरतें भी पूरी करते हैं।

लॉकडाउन में इन लोगों के भोजन की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। अगर वेंडर्स को भी भोजन सप्लाई करने की अनुमति मिल जाती है, तो इससे बड़ी संख्या में लोगों को खाना उपलब्ध कराया जा सकेगा।

वेंडर्स को कर रहे प्रशिक्षित

नासवी के अध्यक्ष अरबिंद सिंह ने अमर उजाला को बताया कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए वे अपने से संबद्ध सभी वेंडरों को स्वास्थ्यप्रद खाना बनाने और संक्रमण से बचने की तकनीकी की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

लोगों को खाद्य सामग्री देने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल सिखाया जा रहा है। सरकार इसमें आवश्यक प्रावधान जोड़ सकती है और स्थानीय प्रशासन की मदद से अन्य कंपनियों की तरह उनके साथ भी नियमों का पालन अनिवार्य बना सकती है।
 
फूड प्रोग्राम हेड सुनीता सिंह के मुताबिक शनिवार को उन्होंने वेंडर्स के साथ जूम एप पर ऑनलाइन बैठक कर इससे संबंधित तरीकों का विश्लेषण किया। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से इस पर विचार करने के लिए कहा गया है। केंद्र से अनुमति मिलने के बाद इस पर काम पूरा कर लिया जाएगा।

इस तरह सुरक्षित होगी फूड डिलीवरी

बड़ी ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों से सुरक्षित भोजन सप्लाई किए जाने की योजना पर काम हो रहा है। दक्षिणी जिले के जिलाधिकारी बीएम मिश्रा ने कहा कि जहां तक ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनियों की बात है, सभी कंपनियों को प्रत्येक दिन अपने कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करनी होगी।

उनका बुखार, कफ या श्वास लेने की परेशानी को रोजाना कंपनी के स्तर पर ही चेक किया जाएगा जिससे कोरोना संक्रमण फैलने की कोई गुंजाइश न रहे।

कितनी है संख्या

अनुमान के मुताबिक देश में 2.5 करोड़ वेंडर हैं। इनमें लगभग एक तिहाई स्ट्रीट फूड से जुड़े हुए हैं। इनके माध्यम से लगभग दो करोड़ लोगों को रोजगार प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अगर इनको अनुमति मिलती है, तो इससे इनके रोजगार की समस्या का भी समाधान होगा। 




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