न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Updated Tue, 21 Apr 2020 12:42 PM IST
ख़बर सुनें
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि किट के इस्तेमाल में हमारी तरफ से कोई प्रक्रियागत चूक नहीं हुई है। यह किट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा भेजी गई थी और हमने इसकी सूचना आईसीएमआर को दे दी है।
राजस्थान में रैपिड टेस्ट किट की विश्वसनीयता को लेकर उस समय बड़ा सवाल खड़ा हो गया था जब सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कोरोना के 100 मरीजों का इस किट के जरिए टेस्ट किया गया। टेस्ट में सिर्फ पांच कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए थे।
रैपिड टेस्ट किट की विफलता पर डॉक्टरों ने कहा था कि किट की दूसरी खेप की भी जांच की जा रही है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं सिर्फ पहली खेप में दिक्कत तो नहीं थी। अगर ऐसा हुआ तो सरकार रैपिड टेस्ट किट को वापस लौटाएगी। बता दें कि इस किट के जरिए कोरोना जांच पर सिर्फ 600 रुपये का खर्च आता है।
खराब टेस्टिंग किट की वजह से बार-बार करनी पड़ रही है जांच: बंगाल सरकार
इससे पहले पश्चिम बंगाल की सरकार ने आरोप लगाया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नोडल एजेंसी एनआईसीईडी ने राज्य में कोरोना वायरस संबंधी जांच के लिए जो किट दी हैं, वो खराब हैं। राज्य सरकार की तरफ से यह आरोप लगाया गया कि ये किट सही परिणाम नहीं बता रही हैं, जिसके कारण बार-बार जांच करनी पड़ती है। इसके चलते बीमारी का पता लगाने में देरी होती है। इस मामले पर आईसीएमआर-एनआईसीईडी के अधिकारियों का कहना है कि रीडिंग में आ परेशानियों का कारण यह हो सकता है कि इन किट का नॉर्मलाइजेशन नहीं किया गया हो।
आईसीएमआर का जवाब : 20 डिग्री से कम तापमान में रखनी होगी किट
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर आर गंगाखेड़कर ने सोमवार को इस बारे में सफाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसी सूचना मिली है कि पश्चिम बंगाल में कुछ टेस्ट किट ठीक से काम नहीं कर रही हैं। हमें यह ध्यान रखना है कि ये पीजीआई किट अमेरिकी लैब से मान्य हैं। मगर इन किट को 20 डिग्री से कम तापमान में रखना होगा। ऐसा नहीं करने से दिक्कत होगी।