इसके बाद प्रवीण परदेसी एक तरह से मुंबई के लिए परदेसी हो गए हैं। परदेसी पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी थे और राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद परदेसी ने ठाकरे परिवार से भी अपने तार जोड़ने की भरपूर कोशिश की थी। एक हद तक कामयाब भी हो गए थे लेकिन कोरोना संकट नें उन्हें सरकार की नजरों से उतार दिया। मुंबई मेट्रो रेल निगम के पूर्व महाप्रबंधक अश्विनी भिडे और संजीव जायसवाल को बीएमसी में अतिरिक्त आयुक्त बनाया गया है। दोनों नौकरशाह पदस्थापना की प्रतीक्षा में थे। पीडब्लूडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज सौनिक को अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) बनाया गया है।
प्रवीण परदेसी पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के अतिरिक्त सचिव थे। फडणवीस ने ही पिछले साल उन्हें बीएमसी के आयुक्त नियुक्त किया था। मगर परदेसी शिवसेना अध्यक्ष और वर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के भी उतने ही करीबी थे। ऐसे आईएएस अधिकारी हैं जिन्होंने ठाकरे के आवास मातोश्री में दिवंगत बाल ठाकरे के कक्ष में भी मत्था टेक कर बीएमसी आयुक्त बने रहने का आशीर्वाद लिया था। मगर कोरोना संक्रमण के रोकथाम में अक्षम रहने के कारण उनका तबादला शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव पद कर दिया गया है।
उनके स्थान पर जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव इकबाल सिंह चहल को बीएमसी की कमान सौंपी गई है। परदेसी के अलावा बीएमसी में दो अतिरक्त आयुक्त का भी तबादला किया गया है। ठाणे महानगरपालिका के पूर्व आयुक्त संजीव जायसवाल को बीएमसी में अतिरिक्त आयुक्त बनाया गया है। जायसवाल पहले भी बीएमसी में रह चुके हैं।
प्रमुख सचिव और परदेसी में था समन्वय का अभाव
बीएमसी आयुक्त के रूप में प्रवीण परदेसी की कार्यपद्धति को लेकर पहले से ही सवाल उठाए जा रहे थे। राज्य के मुख्य सचिव अजॉय मेहता और परदेसी के बीच समन्वय का घोर अभाव था। परदेसी ने प्रमुख सचिव के कई आदेश से इतर अपने अलग आदेश जारी किए, जिससेर भ्रम की स्थिति पैदा हुई। कहा जाता है कि मुंबई में लगातार कोरोना संक्रमण के बीच परदेसी अधिकतर समय तक वीडियो कांफ्रेंसिंग में ही व्यस्त रहते थे।
बीएमसी में 9 आईएएस अधिकारी कार्यरत हैं, लेकिन अधिकारियों में समन्वय का हमेशा अभाव रहा। बीएमसी में विपक्ष के नेता रविराजा ने खुलकर उनकी कार्यपद्धति पर सवाल उठाया था। कई वरिष्ठ अधिकारियों ने मुंबई में जोन स्तर पर अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपने की सलाह दी थी। खुद, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक महीने पहले इस संबंध में परदेसी को निर्देश दिया था। लेकिन, जिस दिन परदेसी का तबादला हुआ उस दिन अधिकारियों को जोन स्तर की जिम्मेदारी सौंपने का आदेश हुआ।
1993 में भूकंप के दौरान लातूर के जिलाधिकारी थे परदेसी
प्रवीण परदेसी 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। साल 1993 में महाराष्ट्र के लातूर में भयानक भूकंप आया था, जिसमें काफी बर्बादी हुई थी। उस समय प्रवीण परदेसी लातूर के जिलाधिकारी थे। वर्तमान में कोरोना से जंग के बीच उनके लातूर में किए गए कार्यों की भी चर्चा होती थी जिससे यह भरोसा था कि परदेसी मुंबई में कोरोना संक्रमण को काबू करने में सफल हो जाएंगे। मगर स्थिति उनके नियंत्रण में नहीं रह पाई।
धारावी की झुग्गी बस्ती से पूरी तरह परिचित हैं चहल
महाराष्ट्र के 1989 बैच के अधिकारी इकबाल सिंह चहल कर्मठ अधिकारी माने जाते हैं। चहल को कठोर निर्णय लेने वाले अधिकारी के रूप में भी जाना जाता है। मुंबई में एशिया की जिस सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती में कोरोना का तेजी से संक्रमण हुआ है उससे भी अच्छी तरह से परिचित है क्योंकि वे धारावी झोपड़पट्टी पुनर्विकास प्रकल्प के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) भी रह चुके हैं। इकबाल चहल साल 2004 में मुंबई मैराथन की रेस में भी हिस्सा ले चुके हैं।
बलि का बकरा बने परदेसी : सोमैया
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने आरोप लगाया है कि ठाकरे सरकार के चलते मुंबई कोरोना की राजधानी बन गई है। अब बीएमसी आयुक्त प्रवीण परदेसी को बलि का बकरा बनाया गया है। मुंबई में कोरोना संक्रमण नियंत्रण में फेल रहने के मुंबई उपनगर जिला के प्रभारी मंत्री आदित्य ठाकरे और मुंबई शहर जिला के प्रभारी मंत्री असलम शेख को इस्तीफा देना चाहिए।