Bharat Serums Secures Nod To Test Sepsis Drug On Coronavirus Patients – बीएसवीएल को कोरोना मरीजों पर सेप्सिस दवा के परीक्षण की मिली मंजूरी




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Updated Tue, 09 Jun 2020 12:24 PM IST

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कोविड-19 के लिए पुनरुद्देशित दवाओं की सूची में शामिल ‘भारत सीरम्स एंड वैक्सीन लिमिटेड’ (बीएसवीएल) की एक सेप्सिस दवा (यूलिनैस्टेटिन दवा) को तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की मंजूरी मिल गई है। वह जल्द ही इसका परीक्षण करने जा रही है।

इस दवा का परीक्षण कोरोना वायरस के संभावित इलाज के तौर पर किया जाएगा। यूलिनैस्टेटिन को अभी भारत में पुराने सड़े घावों और गंभीर आग्नायकोप के इलाज में उपयोग की मंजूरी है।

मुंबई स्थित बायोफर्मासिटिकल फर्म को ड्रग रेगुलेटर से ब्रांड यू-ट्रिप के तहत बिकने वाली इंजेक्टेबल ड्रग पर परीक्षण शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। बीएसवीएल अमेरिका के निजी इक्विटी कंपनी एडवेंट इंटरनेशनल के साथ मिलकर काम कर रही है। बीएसवीएल इसके अलावा किसी अन्य कोविड-19 वैक्सीन पर काम नहीं कर रही है और फिलहाल इस पर इसकी कोई योजना भी नहीं है। 

यह भी पढ़ें: भारत में बनेगी 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन, ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका और पुणे की एसआईआई करार के करीब

बीएसवीएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव नवांगुल ने कहा कि कंपनी ने यूलिनैस्टेटिन दवा के लिए दो महीने पहले ड्रग रेगुलेटर से संपर्क किया था।

उन्होंने बताया कि इसे उन मरीजों पर क्लिनिकल परीक्षण के लिए मंजूरी मिली, जिन्हें ‘तीव्र श्वसनतंत्र संबंधी कठिनाई रोग’ (एआरडीएस) है, ताकि यह देखा जा सके कि यह उनपर काम करती है या नहीं। 120 मरीजों पर क्लिनिकल परीक्षण जल्द शुरू किया जाएगा।

प्रबंध निदेशक ने कहा कि दवा की कीमत लगभग 1,500 रुपये प्रति शीशी है। एआईओसीडी फार्मासॉफ्टेक एडब्लूएसीएस के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल तक दवा की वार्षिक बिक्री में 36 फीसदी की वृद्धि हुई है।

नवांगुल ने कहा कि इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं। यह साइटोकिन को रोकता है, जो एक गंभीर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है। इसमें शरीर बहुत अधिक साइटोकिन्स को रक्त में बहुत जल्दी छोड़ देता है। इसे लेकर चारों ओर स्पष्ट परिकल्पना है। कोविड-19 वाले मरीजों में एआरडीएस की स्थिति उत्पन्न होती है और उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। इस परीक्षण में देखा जाएगा कि एआरडीएस के खिलाफ यह दवा कितनी प्रभावी है।

उन्होंने कहा कि किसी भी परीक्षण के लिए रोगी को भर्ती में तीन महीने लगते हैं और परीक्षण 28 दिनों के लिए हैं। उसके बाद, एक डाटा विश्लेषण किया जाता है। इसमें आसानी से पांच-छह महीने लग जाते हैं।

कोविड-19 के लिए पुनरुद्देशित दवाओं की सूची में शामिल ‘भारत सीरम्स एंड वैक्सीन लिमिटेड’ (बीएसवीएल) की एक सेप्सिस दवा (यूलिनैस्टेटिन दवा) को तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की मंजूरी मिल गई है। वह जल्द ही इसका परीक्षण करने जा रही है।

इस दवा का परीक्षण कोरोना वायरस के संभावित इलाज के तौर पर किया जाएगा। यूलिनैस्टेटिन को अभी भारत में पुराने सड़े घावों और गंभीर आग्नायकोप के इलाज में उपयोग की मंजूरी है।

मुंबई स्थित बायोफर्मासिटिकल फर्म को ड्रग रेगुलेटर से ब्रांड यू-ट्रिप के तहत बिकने वाली इंजेक्टेबल ड्रग पर परीक्षण शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। बीएसवीएल अमेरिका के निजी इक्विटी कंपनी एडवेंट इंटरनेशनल के साथ मिलकर काम कर रही है। बीएसवीएल इसके अलावा किसी अन्य कोविड-19 वैक्सीन पर काम नहीं कर रही है और फिलहाल इस पर इसकी कोई योजना भी नहीं है। 

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बीएसवीएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजीव नवांगुल ने कहा कि कंपनी ने यूलिनैस्टेटिन दवा के लिए दो महीने पहले ड्रग रेगुलेटर से संपर्क किया था।

उन्होंने बताया कि इसे उन मरीजों पर क्लिनिकल परीक्षण के लिए मंजूरी मिली, जिन्हें ‘तीव्र श्वसनतंत्र संबंधी कठिनाई रोग’ (एआरडीएस) है, ताकि यह देखा जा सके कि यह उनपर काम करती है या नहीं। 120 मरीजों पर क्लिनिकल परीक्षण जल्द शुरू किया जाएगा।

प्रबंध निदेशक ने कहा कि दवा की कीमत लगभग 1,500 रुपये प्रति शीशी है। एआईओसीडी फार्मासॉफ्टेक एडब्लूएसीएस के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल तक दवा की वार्षिक बिक्री में 36 फीसदी की वृद्धि हुई है।

नवांगुल ने कहा कि इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं। यह साइटोकिन को रोकता है, जो एक गंभीर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है। इसमें शरीर बहुत अधिक साइटोकिन्स को रक्त में बहुत जल्दी छोड़ देता है। इसे लेकर चारों ओर स्पष्ट परिकल्पना है। कोविड-19 वाले मरीजों में एआरडीएस की स्थिति उत्पन्न होती है और उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। इस परीक्षण में देखा जाएगा कि एआरडीएस के खिलाफ यह दवा कितनी प्रभावी है।

उन्होंने कहा कि किसी भी परीक्षण के लिए रोगी को भर्ती में तीन महीने लगते हैं और परीक्षण 28 दिनों के लिए हैं। उसके बाद, एक डाटा विश्लेषण किया जाता है। इसमें आसानी से पांच-छह महीने लग जाते हैं।




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