Andhra Pradesh Gas Leak Case: Ngt Send Notice To Central Government And Lg Polymers India, 5 Member Team Formed – गैस लीक मामला: एनजीटी का केंद्र और एलजी पॉलिमर्स को नोटिस, 5 सदस्यीय टीम का गठन




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 08 May 2020 12:43 PM IST

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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आंध्र प्रदेश में हुए गैस लीक मामले की जांच के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति गठित की है। इसके अलावा एनजीटी ने केंद्र सरकार, एलजी पॉलिमर्स इंडिया, सीपीसीबी और अन्य को नोटिस जारी किया है।

साथ में  एनजीटी ने एलजी पॉलिमर्स को 50 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि विशाखापत्तनम के जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने गैस लीक मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित की और उसे 18 मई से पहले रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा।

पीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया सामने आई जानकारी के अनुसार इस घटना में लोगों की जान गई, जन स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान हुआ है, हम एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को विशाखापत्तनम के जिलाधिकारी को 50 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि जमा कराने के निर्देश देते हैं। यह राशि कंपनी के वित्तीय मूल्य और उससे हुई क्षति की सीमा के संबंध में तय की जा रही है।’

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आंध्र प्रदेश में हुए गैस लीक मामले की जांच के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति गठित की है। इसके अलावा एनजीटी ने केंद्र सरकार, एलजी पॉलिमर्स इंडिया, सीपीसीबी और अन्य को नोटिस जारी किया है।

साथ में  एनजीटी ने एलजी पॉलिमर्स को 50 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि विशाखापत्तनम के जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने गैस लीक मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित की और उसे 18 मई से पहले रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा।

पीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया सामने आई जानकारी के अनुसार इस घटना में लोगों की जान गई, जन स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान हुआ है, हम एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को विशाखापत्तनम के जिलाधिकारी को 50 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि जमा कराने के निर्देश देते हैं। यह राशि कंपनी के वित्तीय मूल्य और उससे हुई क्षति की सीमा के संबंध में तय की जा रही है।’




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