Cic Orders Cbi To Disclose Preliminary Enquiries Into Corruption Complaints Closed Without Firs – सूचना आयोग ने कहा, बिना एफआईआर बंद हुई भ्रष्टाचार की प्रारंभिक जांचों का खुलासा करे सीबीआई




न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 07 Jun 2020 06:12 PM IST

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केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने नया फैसला लिया है। इसके तहत आदेश में सीबीआई से साल 2014 से 2018 के बीच हुई भ्रष्टाचार की सभी ऐसी प्रारंभिक जांचों के बारे में बताने के लिए कहा है जिन्हें बिना एफआईआर दर्ज किए बंद कर दिया गया था।

केंद्रीय सूचना आयोग ने यह आदेश सुनाते हुए हुए एक आरटीआई आवेदक से सहमति जताई, जिसके अनुसार आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून के दायरे से छूट पाने वाली सीबीआई के पास भ्रष्टाचार के आरोपों व इससे होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित रिकॉर्ड का खुलासा करने से इनकार नहीं कर सकती। 

भ्रष्टाचार के कई मामले सामने लाने वाले नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी की ओर से दायर एक मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने कहा कि मांगी गई सूचना की प्रकृति का आकलन किए बगैर बिना किसी उचित तरीके के आरटीआई की धारा 24 की आड़ लेकर सीबीआई ने सरासर गलती की है।

संजीव चतुर्वेदी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भ्रष्टाचार की शिकायतों के आधार पर सीबीआई की ओर से की गई जांच पड़ताल को लेकर सभी फाइल नोटिंग, दस्तावेज, पत्राचार की सत्यापित प्रतियों को मुहैया कराने की मांग की थी।

सिन्हा ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि आयोग भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में सहमत है और सीबीआई सूचना देने से इनकार करने के लिए आरटीआई की धारा 24 का सहारा नहीं ले सकती है। आयोग सीपीआईओ को इस आदेश के मिलने की तारीख से 15 दिन के भीतर मांगी गई सूचना मुहैया कराने का निर्देश देता है।

बता दें कि सूचना के अधिकार की धारा 24 के तहत भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के आरोपों से जुड़ी सूचना के अपवाद को छोड़कर कुछ खुफिया और सुरक्षा संगठनों को आरटीआई के दायरे से बाहर रखा गया है, सीबीआई उन संगठनों में से एक है। 

केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने नया फैसला लिया है। इसके तहत आदेश में सीबीआई से साल 2014 से 2018 के बीच हुई भ्रष्टाचार की सभी ऐसी प्रारंभिक जांचों के बारे में बताने के लिए कहा है जिन्हें बिना एफआईआर दर्ज किए बंद कर दिया गया था।

केंद्रीय सूचना आयोग ने यह आदेश सुनाते हुए हुए एक आरटीआई आवेदक से सहमति जताई, जिसके अनुसार आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून के दायरे से छूट पाने वाली सीबीआई के पास भ्रष्टाचार के आरोपों व इससे होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित रिकॉर्ड का खुलासा करने से इनकार नहीं कर सकती। 

भ्रष्टाचार के कई मामले सामने लाने वाले नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी की ओर से दायर एक मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने कहा कि मांगी गई सूचना की प्रकृति का आकलन किए बगैर बिना किसी उचित तरीके के आरटीआई की धारा 24 की आड़ लेकर सीबीआई ने सरासर गलती की है।

संजीव चतुर्वेदी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भ्रष्टाचार की शिकायतों के आधार पर सीबीआई की ओर से की गई जांच पड़ताल को लेकर सभी फाइल नोटिंग, दस्तावेज, पत्राचार की सत्यापित प्रतियों को मुहैया कराने की मांग की थी।

सिन्हा ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि आयोग भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में सहमत है और सीबीआई सूचना देने से इनकार करने के लिए आरटीआई की धारा 24 का सहारा नहीं ले सकती है। आयोग सीपीआईओ को इस आदेश के मिलने की तारीख से 15 दिन के भीतर मांगी गई सूचना मुहैया कराने का निर्देश देता है।

बता दें कि सूचना के अधिकार की धारा 24 के तहत भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के आरोपों से जुड़ी सूचना के अपवाद को छोड़कर कुछ खुफिया और सुरक्षा संगठनों को आरटीआई के दायरे से बाहर रखा गया है, सीबीआई उन संगठनों में से एक है। 




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