Group Making Fake Documents Of Migrant Labours Exposed In Delhi Amidst Corona Pandemic – गोलमालः दिल्ली में बनाए गए हरियाणा के मजदूरों के फर्जी स्क्रीनिंग दस्तावेज




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दिल्ली की मुंडका थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो चंद रुपयों के लिए मजदूरों के फर्जी स्क्रीनिंग दस्तावेज बनवाता था। इन्हीं दस्तावेजों के बूते प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल ले जाया जा रहा था। 

सभी मजदूरों की स्क्रीनिंग करवाने के फर्जी कागजात एनपी बंगाली स्कूल, गोल मार्केट, मंदिर मार्ग के बने हैं। खास बात ये है कि मजदूर हरियाणा में रह रहे थे, फिर उनकी स्क्रीनिंग दिल्ली में कैसे हो गई? साथ ही दो ड्राइवरों ने नई दिल्ली डीएम कार्यालय और एक ने गुजरात से पास बनवाया हुआ था, जबकि ये ड्राइवर दूसरे राज्यों के रहने वाले हैं। 

जानकारों का कहना है कि इससे कोरोना बड़े स्तर पर फैल सकता है। मजदूरों से उनके गांव पहुंचाने के लिए पांच से छह हजार रुपये लिए गए थे। बाहरी जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास रात 11.30 बजे राजस्थान के नंबर की एक बस रोकी गई, जिसमें 46 प्रवासी मजदूर थे। 

ड्राइवर जीवनलाल ने बताया कि वह उन्हें टिकरी गांव बहादुरगढ़ व निजामपुर, हरियाणा से लेकर आया है और पश्चिमी बंगाल जा रहा है। उसने नई दिल्ली डीएम कार्यालय का पास व एनपी बंगाली स्कूल, गोल मार्केट से मजदूरों की स्क्रीनिंग होने के कागजात दिखाए। 

वह अजमेर का रहने वाला है और पास में उसने पता वसंत कुंज, दिल्ली का दिया हुआ था। जांच में ये पता फर्जी निकला। रात दो बजे यूपी नंबर की दो बसों को रोका गया। एक बस बुलंदशहर से आई थी और हरदोई जा रही थी। इस बस के ड्राइवर विजेंद्र सिंह ने भी नई दिल्ली डीएम का पास व बंगाली स्कूल से मजदूरों के स्क्रीनिंग के कागजात दिखाए। 

इस बस का रजिस्ट्रेशन नंबर भी बदला हुआ था। अलीगढ़ के रहने वाले विजेंद्र सिंह ने नारायणा, दिल्ली का पता लिखवा रखा था। दूसरी बस के ड्राइवर हरबिलास ने गांधीनगर, गुजरात के डीएम का पास बनवा रखा था। ये मजदूरों को हरियाणा से बिहार लेकर जा रहा था।
 
तीनों बस ड्राइवरों को गिरफ्तार कर बसों को जब्त कर लिया गया है। बाहरी जिला पुलिस अधिकारियों ने नई दिल्ली जिला डीएम कार्यालय व गुजरात पुलिस को सूचना दे दी है।

दिल्ली की मुंडका थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो चंद रुपयों के लिए मजदूरों के फर्जी स्क्रीनिंग दस्तावेज बनवाता था। इन्हीं दस्तावेजों के बूते प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल ले जाया जा रहा था। 

सभी मजदूरों की स्क्रीनिंग करवाने के फर्जी कागजात एनपी बंगाली स्कूल, गोल मार्केट, मंदिर मार्ग के बने हैं। खास बात ये है कि मजदूर हरियाणा में रह रहे थे, फिर उनकी स्क्रीनिंग दिल्ली में कैसे हो गई? साथ ही दो ड्राइवरों ने नई दिल्ली डीएम कार्यालय और एक ने गुजरात से पास बनवाया हुआ था, जबकि ये ड्राइवर दूसरे राज्यों के रहने वाले हैं। 

जानकारों का कहना है कि इससे कोरोना बड़े स्तर पर फैल सकता है। मजदूरों से उनके गांव पहुंचाने के लिए पांच से छह हजार रुपये लिए गए थे। बाहरी जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास रात 11.30 बजे राजस्थान के नंबर की एक बस रोकी गई, जिसमें 46 प्रवासी मजदूर थे। 

ड्राइवर जीवनलाल ने बताया कि वह उन्हें टिकरी गांव बहादुरगढ़ व निजामपुर, हरियाणा से लेकर आया है और पश्चिमी बंगाल जा रहा है। उसने नई दिल्ली डीएम कार्यालय का पास व एनपी बंगाली स्कूल, गोल मार्केट से मजदूरों की स्क्रीनिंग होने के कागजात दिखाए। 

वह अजमेर का रहने वाला है और पास में उसने पता वसंत कुंज, दिल्ली का दिया हुआ था। जांच में ये पता फर्जी निकला। रात दो बजे यूपी नंबर की दो बसों को रोका गया। एक बस बुलंदशहर से आई थी और हरदोई जा रही थी। इस बस के ड्राइवर विजेंद्र सिंह ने भी नई दिल्ली डीएम का पास व बंगाली स्कूल से मजदूरों के स्क्रीनिंग के कागजात दिखाए। 




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