सूत्रों ने बताया कि इन दोनों स्थानों पर दोनों ही देशों ने पिछले दो सप्ताह में सैन्य तैनाती बढ़ाई है। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच तनाव कम होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि दोनों ही देशों की सेनाओं मे आक्रामक रुख अपना रखा है।
बता दें कि भारत की ओर से गलवां घाटी में सड़क निर्माण पर चीन द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच बढ़े तनाव को कम करने के लिए राजनयिक चैनल भी लगातार काम कर रहे हैं।
पांच मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद यहां सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई थी, जिसके बाद उत्तरी सिक्किम में भी ऐसी ही घटना हुई थी। सूत्रों ने कहा कि स्थानीय कमांडर हल न निकलने तक वार्ता करना जारी रखेंगे।
चीन के आरोपों को नकार चुका है भारत
भारत ने गुरुवार को ही चीन के उन आरोपों को सिरे से नकार दिया था जिनमें चीन ने कहा था कि भारतीय सैनिक लद्दाख और सिक्किम में सीमा पार करते हुए चीन की ओर आ गए थे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सीमा प्रबंधन के प्रति जिम्मेदार रुख अपना रहा है।
सैनिकों के बीच झड़प को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था कि भारतीय सैनिक भारत की सीमा के भीतर ही गतिविधियां कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सैनिक सीमा सुरक्षा के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करते हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि चीन ने ही सीमा पर भारत की सामान्य गश्त में बाधा डालने की गतिविधियां शुरू की थीं। भारतीय सैनिक सीमा क्षेत्र से भली-भांति परिचित हैं, चीनी सैनिकों ने भारतीय बलों द्वारा की जा रही गश्त में बाधा डाली।
चीन को है सड़क निर्माण पर आपत्ति
दरअसल, चीन ने लद्दाख में गलवां नदी के आसपास भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। सूत्रों के मुताबिक सड़क का निर्माण फिलहाल रोक दिया गया है। पांच मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुई थी। इसमें दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे।
सार
लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील और गलवां घाटी में भारत और चीन के बीच बना सैन्य तनाव दोनों देशों के बीच वार्ताओं के पांच दौर के बाद भी कम नहीं हो पाया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों ने विवादित सीमा क्षेत्रों में आक्रामक मुद्रा अपना रखी है।
विस्तार
सूत्रों ने बताया कि इन दोनों स्थानों पर दोनों ही देशों ने पिछले दो सप्ताह में सैन्य तैनाती बढ़ाई है। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच तनाव कम होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि दोनों ही देशों की सेनाओं मे आक्रामक रुख अपना रखा है।
बता दें कि भारत की ओर से गलवां घाटी में सड़क निर्माण पर चीन द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच बढ़े तनाव को कम करने के लिए राजनयिक चैनल भी लगातार काम कर रहे हैं।
पांच मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद यहां सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी गई थी, जिसके बाद उत्तरी सिक्किम में भी ऐसी ही घटना हुई थी। सूत्रों ने कहा कि स्थानीय कमांडर हल न निकलने तक वार्ता करना जारी रखेंगे।
चीन के आरोपों को नकार चुका है भारत
भारत ने गुरुवार को ही चीन के उन आरोपों को सिरे से नकार दिया था जिनमें चीन ने कहा था कि भारतीय सैनिक लद्दाख और सिक्किम में सीमा पार करते हुए चीन की ओर आ गए थे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सीमा प्रबंधन के प्रति जिम्मेदार रुख अपना रहा है।
सैनिकों के बीच झड़प को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा था कि भारतीय सैनिक भारत की सीमा के भीतर ही गतिविधियां कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सैनिक सीमा सुरक्षा के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करते हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि चीन ने ही सीमा पर भारत की सामान्य गश्त में बाधा डालने की गतिविधियां शुरू की थीं। भारतीय सैनिक सीमा क्षेत्र से भली-भांति परिचित हैं, चीनी सैनिकों ने भारतीय बलों द्वारा की जा रही गश्त में बाधा डाली।
चीन को है सड़क निर्माण पर आपत्ति
दरअसल, चीन ने लद्दाख में गलवां नदी के आसपास भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। सूत्रों के मुताबिक सड़क का निर्माण फिलहाल रोक दिया गया है। पांच मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुई थी। इसमें दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे।
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