कोरोना लॉकडाउन में सुरक्षा बलों ने कई बड़े आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया है। 6 मई को पुलवामा में हिजबुल का कश्मीर कमांडर रियाज नायकू मारा गया था और अब जुनैद भी खत्म कर दिया गया।
जुनैद, अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत के प्रमुख मोहम्मद अशरफ सहराई का बेटा था। इस मुश्किल ऑपरेशन में एनटीआरओ की मदद ली गई। पिछले साल से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगारों को ढूंढ रही एनआईए और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को अब एक ग्रीन सिग्नल मिल गया है।
वे हुर्रियl और दूसरे ऐसे संगठन, जिनके बारे में आतंकियों की मदद करने के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रमाण मिलते रहे हैं, उन पर अब पूरी तेजी के साथ हाथ डाल सकेंगे। हुर्रियत पर जब शिकंजा कसेगा तो बात पाकिस्तान तक जाएगी।
वजह, इन संगठनों को मिल रही आर्थिक मदद में केवल सीमा पार के आतंकी संगठन ही नहीं, बल्कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास का भी सीधा हाथ रहा है।
नायकू के मारे जाने के बाद जब डॉक्टर सैफुल्लाह ने संगठन की कमान संभाली तो उन्होंने जुनैद सहराई को अपना डिप्टी चीफ बनाया था। सुरक्षा बलों के नवाकदल इलाके में शुरू किए गए एक विशेष ऑपरेशन में हिजबुल मुजाहिदीन के 2 आतंकी मारे गए थे। इनमें में एक जुनैद सहराई भी था।
बता दें कि मार्च 2018 में आतंकी जुनैद के पिता मोहम्मद अशरफ ने हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी की जगह ली थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस में आईजी रैंक के एक अधिकारी जो कि पहले जांच एजेंसी में भी रहे हैं, बताते हैं कि यही वो समय था, जब जुनैद ने आतंकियों के समूह में कदम रखा।
सच्चाई यह भी थी कि हिजबुल मुजाहिद्दीन में जुनैद को जो दर्जा मिला, उसके पीछे पिता मोहम्मद अशरफ और उनका अलगाववादी संगठन रहा है।
अब नहीं बचेंगे आतंकियों के मददगार
गत वर्ष घाटी के कई इलाकों से पाकिस्तान में शिक्षा ग्रहण करने गए कुछ छात्र जांच एजेंसियों के रडार पर आ गए थे। जांच में सामने आया कि हुर्रियत नेताओं, अलगाववादियों और कश्मीर में कथित तौर से सामाजिक संगठनों की भूमिका में काम कर रहे लोग आतंकियों की मदद करते हैं।
इन्हीं संगठनों की बदौलत घाटी के युवकों को छात्र बनाकर पाकिस्तान भेजा गया। सूत्रों का कहना है कि वहां जाकर ये युवक पाकिस्तान के आतंकी संगठनों और कश्मीर में बतौर स्लीपर सेल काम कर रहे लोगों के बीच कड़ी का काम करते हैं।
इन सभी युवाओं की जानकारी आईएसआई को भी होती है। पाकिस्तानी एजेंसी की मदद से वे युवक हवाला के जरिए कश्मीर में बैठे आतंकियों के मददगारों के खातों में पैसा ट्रांसफर करते हैं। जिन संगठनों के नाम से यह पैसा ट्रांसफर होता है, उनके आगे सामाजिक या शिक्षा जैसे शब्द जोड़ दिए जाते हैं।
इन लोगों ने कश्मीर और पाकिस्तान में मुखौटा कंपनियां भी पंजीकृत कराई हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, इन संगठनों को हुर्रियत और पाकिस्तानी दूतावास का पूरा सहयोग मिलता है। एनआईए और ईडी ने इसके लिए घाटी में बड़े सबूत जुटा लिए हैं। लॉकडाउन के बाद ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
नए एंटी टेरर कानून की मदद से कस रहा है शिकंजा…
नए एंटी टेरर कानून के तहत एनआईए ने अब ऐसे लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी ने ऐसे कई लोगों की संपत्तियां जब्त की हैं, जिन पर आतंकियों को मदद देने का आरोप है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और एनआईए प्रमुख वाईसी मोदी पहले ही कह चुके हैं कि आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करना है तो उसके लिए जरुरी है कि पहले उनकी सप्लाई चेन को तोड़ा जाए।
आतंकियों के मददगार, जो पर्दे के पीछे रह कर उन्हें हथियार और रुपया पैसा देते हैं, अब उनकी कमर तोड़ने का वक्त आ गया है।
गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट के नए प्रावधानों के जरिए आतंकवादी गतिविधियों में अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल लोगों को सबक सिखाया जा सकेगा।
नए कानून के तहत आतंकी संगठनों की संपत्तियां आसानी से जब्त की जा सकेंगी। ऐसे मामलों में एनआईए को संबंधित राज्य के डीजीपी की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए केवल एनआईए के महानिदेशक की मंजूरी ही काफी रहेगी।
सार
गत वर्ष घाटी के कई इलाकों से पाकिस्तान में शिक्षा ग्रहण करने गए कुछ छात्र जांच एजेंसियों के रडार पर आ गए थे। जांच में सामने आया कि हुर्रियत नेताओं, अलगाववादियों और कश्मीर में कथित तौर से सामाजिक संगठनों की भूमिका में काम कर रहे लोग आतंकियों की मदद करते हैं…
विस्तार
कोरोना लॉकडाउन में सुरक्षा बलों ने कई बड़े आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया है। 6 मई को पुलवामा में हिजबुल का कश्मीर कमांडर रियाज नायकू मारा गया था और अब जुनैद भी खत्म कर दिया गया।
जुनैद, अलगाववादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत के प्रमुख मोहम्मद अशरफ सहराई का बेटा था। इस मुश्किल ऑपरेशन में एनटीआरओ की मदद ली गई। पिछले साल से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगारों को ढूंढ रही एनआईए और ईडी जैसी जांच एजेंसियों को अब एक ग्रीन सिग्नल मिल गया है।
वे हुर्रियl और दूसरे ऐसे संगठन, जिनके बारे में आतंकियों की मदद करने के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रमाण मिलते रहे हैं, उन पर अब पूरी तेजी के साथ हाथ डाल सकेंगे। हुर्रियत पर जब शिकंजा कसेगा तो बात पाकिस्तान तक जाएगी।
वजह, इन संगठनों को मिल रही आर्थिक मदद में केवल सीमा पार के आतंकी संगठन ही नहीं, बल्कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास का भी सीधा हाथ रहा है।
नायकू के मारे जाने के बाद जब डॉक्टर सैफुल्लाह ने संगठन की कमान संभाली तो उन्होंने जुनैद सहराई को अपना डिप्टी चीफ बनाया था। सुरक्षा बलों के नवाकदल इलाके में शुरू किए गए एक विशेष ऑपरेशन में हिजबुल मुजाहिदीन के 2 आतंकी मारे गए थे। इनमें में एक जुनैद सहराई भी था।
बता दें कि मार्च 2018 में आतंकी जुनैद के पिता मोहम्मद अशरफ ने हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी की जगह ली थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस में आईजी रैंक के एक अधिकारी जो कि पहले जांच एजेंसी में भी रहे हैं, बताते हैं कि यही वो समय था, जब जुनैद ने आतंकियों के समूह में कदम रखा।
सच्चाई यह भी थी कि हिजबुल मुजाहिद्दीन में जुनैद को जो दर्जा मिला, उसके पीछे पिता मोहम्मद अशरफ और उनका अलगाववादी संगठन रहा है।
अब नहीं बचेंगे आतंकियों के मददगार
गत वर्ष घाटी के कई इलाकों से पाकिस्तान में शिक्षा ग्रहण करने गए कुछ छात्र जांच एजेंसियों के रडार पर आ गए थे। जांच में सामने आया कि हुर्रियत नेताओं, अलगाववादियों और कश्मीर में कथित तौर से सामाजिक संगठनों की भूमिका में काम कर रहे लोग आतंकियों की मदद करते हैं।
इन्हीं संगठनों की बदौलत घाटी के युवकों को छात्र बनाकर पाकिस्तान भेजा गया। सूत्रों का कहना है कि वहां जाकर ये युवक पाकिस्तान के आतंकी संगठनों और कश्मीर में बतौर स्लीपर सेल काम कर रहे लोगों के बीच कड़ी का काम करते हैं।
इन सभी युवाओं की जानकारी आईएसआई को भी होती है। पाकिस्तानी एजेंसी की मदद से वे युवक हवाला के जरिए कश्मीर में बैठे आतंकियों के मददगारों के खातों में पैसा ट्रांसफर करते हैं। जिन संगठनों के नाम से यह पैसा ट्रांसफर होता है, उनके आगे सामाजिक या शिक्षा जैसे शब्द जोड़ दिए जाते हैं।
इन लोगों ने कश्मीर और पाकिस्तान में मुखौटा कंपनियां भी पंजीकृत कराई हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, इन संगठनों को हुर्रियत और पाकिस्तानी दूतावास का पूरा सहयोग मिलता है। एनआईए और ईडी ने इसके लिए घाटी में बड़े सबूत जुटा लिए हैं। लॉकडाउन के बाद ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
नए एंटी टेरर कानून की मदद से कस रहा है शिकंजा…
नए एंटी टेरर कानून के तहत एनआईए ने अब ऐसे लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ईडी ने ऐसे कई लोगों की संपत्तियां जब्त की हैं, जिन पर आतंकियों को मदद देने का आरोप है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और एनआईए प्रमुख वाईसी मोदी पहले ही कह चुके हैं कि आतंकवाद को पूरी तरह खत्म करना है तो उसके लिए जरुरी है कि पहले उनकी सप्लाई चेन को तोड़ा जाए।
आतंकियों के मददगार, जो पर्दे के पीछे रह कर उन्हें हथियार और रुपया पैसा देते हैं, अब उनकी कमर तोड़ने का वक्त आ गया है।
गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट के नए प्रावधानों के जरिए आतंकवादी गतिविधियों में अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल लोगों को सबक सिखाया जा सकेगा।
नए कानून के तहत आतंकी संगठनों की संपत्तियां आसानी से जब्त की जा सकेंगी। ऐसे मामलों में एनआईए को संबंधित राज्य के डीजीपी की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए केवल एनआईए के महानिदेशक की मंजूरी ही काफी रहेगी।