अपने कर्मचारियों को लिखे ईमेल में ओला के सीईओ भावेश अग्रवाल ने कहा है कि महामारी ने ओला की कमाई को जबरदस्त तरीके से नुकसान पहुंचाया है। पिछले दो महीने में उनकी कंपनी के रेवेन्यू में 95 फीसदी की गिरावट आई है, जिसके चलते कंपनी बुरी तरह से घाटे में है।
अपने ईमेल में वे लिखते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस संकट ने देशभर में हमारे लाखों ड्राइवरों और उनके परिवारों की आजीविका के साथ हमारी अंतरराष्ट्रीय भौगोलिक स्थिति को प्रभावित किया है।
भावेश अग्रवाल का कहना है कि महामारी के कारण पिछले दो महीनों में सवारी, वित्तीय सेवाओं और खाद्य कारोबार से उसकी आमदनी घटी है और इसके चलते कंपनी को कर्मचारियों को निकालने का फैसला लेना पड़ रहा है।
अग्रवाल ने यह साफ किया कि व्यापार का भविष्य ‘बेहद अस्पष्ट और अनिश्चित’ है और ‘निश्चित रूप से इस संकट का असर हम पर लंबे समय तक रहेगा।’
उन्होंने लिखा है कि प्रत्येक प्रभावित कर्मचारी को नोटिस अवधि के बावजूद उन्हें तीन महीने की निर्धारित सैलरी दी जाएगी। अग्रवाल ने कहा कि इस दौरान वे अनुसंधान और विकास में निवेश करेंगे।
अपने ईमेल में वे आगे लिखते हैं कि जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधि लौटती हैं, वैसे-वैसे मोबिलिटी की आवश्यकता होगी, लेकिन मानक बदल जाएंगे। इस संकट में डिजिटल कॉमर्स और क्लीन मोबिलिटी की मांग बढ़ेगी और हमारा व्यवसाय इन रुझानों का लाभ उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
ओला की तरफ से यह एलान ऐसे समय में आया है कि जब इंटरनेशनल ऑनलाइन कंपनी कैब सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी ऊबर ने 6 हजार से ज्यादा कर्मचारी निकालने का फैसला किया है, जबकि एप बेस्ड फूड डिलीवरी सेवा देने वाली कंपनियां स्विगी और जोमेटो भी कर्मचारियों की छंटनी का फैसला कर चुकी हैं।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कैब सर्विस देने वाली कंपननियों का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, क्योंकि संक्रमण फैसले के डर के चलते दो महीने से कैब सेवाएं बंद पड़ी हैं। लॉकडाउन 4.0 में मिली छूट के बाद ओला ने 19 मई को 160 से अधिक शहरों में सेवाएं फिर से शुरू की थीं।