न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 27 Apr 2020 09:44 PM IST
प्लाज्मा थैरेपी के लिए जमाती ने किया रक्तदान
– फोटो : amar ujala
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को गंभीर स्थिति से बाहर निकालने के लिए प्लाज्मा तकनीक पर जोरों से काम चल रहा है। इसके लिए सोमवार को आठ तब्लीगी जमातियों ने रक्तदान किया। रमजान के पाक महीने में इन लोगों ने दूसरे मरीजों की जान बचाने के लिए रक्तदान किया है।
सोमवार को तब्लीगी जमातियों ने आईएलबीएस अस्पताल में प्लाज्मा दान की है। कोरोना संक्रमित होने के बाद इन्होंने पहले उसकी जंग को जीता। इसके बाद दो बार निगेटिव रिपोर्ट मिलने पर इन्हें छुट्टी दे दी गई। अब इन लोगों ने बाकी मरीजों की सेवा के लिए रक्त दान करने का फैसला लिया।
सोमवार को करीब 8 लोगों ने प्लाज्मा दान किया है। दिल्ली के तीन अस्पतालों में प्लाज्मा तकनीक पर काम चल रहा है। एम्स, मैक्स अस्पताल के अलावा लोकनायक अस्पताल में भर्ती 10 से ज्यादा मरीजों पर प्लाज्मा तकनीक से उपचार दिया जा रहा है।
दरअसल प्लाज्मा तकनीक के लिए सबसे पहले एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जिसे संक्रमण हो चुका होता है। संक्रमण से ठीक होने के बाद यह व्यक्ति दूसरे संक्रमित मरीज के लिए रक्तदान दे सकता है। रक्तदान करते वक्त प्लाज्मा निकालने वाली मशीन की मदद ली जाती है जिसके जरिए व्यक्ति के रक्त से प्लाज्मा निकलता है और रक्त वापस शरीर में जा सकता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि दाता के पास दो कोरोना निगेटिव रिपोर्ट हों, साथ ही वह हार्ट या अन्य किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त न हो।
प्लाज्मा तकनीक के प्रयोग से अब तक काफी सफल परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इसी ट्रायल की वजह से देश का पहला मरीज ठीक होकर अपने घर भी जा चुके है। लोकनायक अस्पताल में भर्ती पांच मरीजों पर ट्रायल चल रहा है जिनकी स्थिति काफी नियंत्रण में हैं। इनमें से दो मरीज अब वेंटिलेटर से बाहर आ चुके हैं।
शादी की सालगिरह पर दिया प्लाज्मा
दिल्ली के अनुज शर्मा ने अस्पताल से वापस घर आने के बाद अपनी सालगिरह पर प्लाज्मा दान किया। उन्होंने बताया कि 45 मिनट के भीतर प्लाज्मा दान किया था। अगर प्लाज्मा दान से किसी की जान बचाई जा सकती है तो हमें यह करना चाहिए। उन्होंने औरों से भी अपील की है कि वह भी संक्रमण को हराने के बाद दूसरे मरीजों की सहायता के लिए आगे आएं और प्लाज्मा दान करें।
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को गंभीर स्थिति से बाहर निकालने के लिए प्लाज्मा तकनीक पर जोरों से काम चल रहा है। इसके लिए सोमवार को आठ तब्लीगी जमातियों ने रक्तदान किया। रमजान के पाक महीने में इन लोगों ने दूसरे मरीजों की जान बचाने के लिए रक्तदान किया है।
सोमवार को तब्लीगी जमातियों ने आईएलबीएस अस्पताल में प्लाज्मा दान की है। कोरोना संक्रमित होने के बाद इन्होंने पहले उसकी जंग को जीता। इसके बाद दो बार निगेटिव रिपोर्ट मिलने पर इन्हें छुट्टी दे दी गई। अब इन लोगों ने बाकी मरीजों की सेवा के लिए रक्त दान करने का फैसला लिया।
सोमवार को करीब 8 लोगों ने प्लाज्मा दान किया है। दिल्ली के तीन अस्पतालों में प्लाज्मा तकनीक पर काम चल रहा है। एम्स, मैक्स अस्पताल के अलावा लोकनायक अस्पताल में भर्ती 10 से ज्यादा मरीजों पर प्लाज्मा तकनीक से उपचार दिया जा रहा है।
दरअसल प्लाज्मा तकनीक के लिए सबसे पहले एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जिसे संक्रमण हो चुका होता है। संक्रमण से ठीक होने के बाद यह व्यक्ति दूसरे संक्रमित मरीज के लिए रक्तदान दे सकता है। रक्तदान करते वक्त प्लाज्मा निकालने वाली मशीन की मदद ली जाती है जिसके जरिए व्यक्ति के रक्त से प्लाज्मा निकलता है और रक्त वापस शरीर में जा सकता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि दाता के पास दो कोरोना निगेटिव रिपोर्ट हों, साथ ही वह हार्ट या अन्य किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त न हो।
प्लाज्मा तकनीक के प्रयोग से अब तक काफी सफल परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इसी ट्रायल की वजह से देश का पहला मरीज ठीक होकर अपने घर भी जा चुके है। लोकनायक अस्पताल में भर्ती पांच मरीजों पर ट्रायल चल रहा है जिनकी स्थिति काफी नियंत्रण में हैं। इनमें से दो मरीज अब वेंटिलेटर से बाहर आ चुके हैं।
शादी की सालगिरह पर दिया प्लाज्मा
दिल्ली के अनुज शर्मा ने अस्पताल से वापस घर आने के बाद अपनी सालगिरह पर प्लाज्मा दान किया। उन्होंने बताया कि 45 मिनट के भीतर प्लाज्मा दान किया था। अगर प्लाज्मा दान से किसी की जान बचाई जा सकती है तो हमें यह करना चाहिए। उन्होंने औरों से भी अपील की है कि वह भी संक्रमण को हराने के बाद दूसरे मरीजों की सहायता के लिए आगे आएं और प्लाज्मा दान करें।
Source link