कराची की एक मस्जिद में नमाज पढ़ते लोग
– फोटो : Twitter
ख़बर सुनें
राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी ने धार्मिक नेताओं और सभी प्रांतों के राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के बाद यह घोषणा की। अल्वी ने कहा कि 20 सूत्री योजना पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण समझौता है और सभी धर्मगुरुओं के बीच सहमति के बाद इस पर पहुंचा गया है। मौलवी मस्जिदों में नमाज अदा करते समय सामाजिक दूरी को लेकर सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए सहमत हुए हैं।
समझौते के अनुसार, 50 वर्ष से ऊपर के लोग, नाबालिग और फ्लू से पीड़ित लोगों को मस्जिदों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। तरावीह (विशेष प्रार्थना) मस्जिदों के अलावा सड़कों, फुटपाथों और अन्य जगहों पर आयोजित नहीं की जानी चाहिए।
इसके अनुसार, मस्जिदों में सभी कालीनों को हटा दिया जाएगा और फर्श नियमित रूप से कीटाणुनाशक से साफ किया जाएगा। नमाज पढ़ते समय नमाज पढ़ने वालों को छह फीट की दूरी बनाए रखनी होगी और लोगों को चेहरे पर मास्क पहनना होगा और हाथ मिलाने या दूसरों को गले लगाने से बचना होगा।
अल्वी ने कहा कि अगर सरकार किसी भी बिंदु पर महसूस करती है कि दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है या बीमारी फैल रही है, तो वह मस्जिदों में नमाज पढ़ने के बारे में अपने फैसले पर फिर से विचार कर सकती है।
धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूरुल हक कादरी ने भी मौलवियों से कोरोना वायरस के खतरे को गंभीरता से लेने की अपील की, उन्हें चेतावनी दी कि यदि रोगियों और मरने वालों की संख्या बढ़ती है तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति हाथ से निकल जाती है, तो लोग धार्मिक विद्वानों की आलोचना करेंगे।
गौरतलब को ही कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के चलते पाकिस्तान सरकार ने मस्जिदों में सामूहिक नमाज पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इस निर्णय का केवल आंशिक रूप से पालन किया गया।
पाकिस्तान के कोरोना वायरस के मामले शनिवार को बढ़कर 7,500 हो गए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार को आठ लोगों की मौत हुई। उन्होंने बताया कि अब तक देश में कोरोना से 143 लोगों की मौत हो चुकी है।