वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, जेनेवा
Updated Tue, 02 Jun 2020 09:24 PM IST
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह पाया गया है कि अफगानिस्तान में मौजूद विदेशी आतंकियों में से 6500 पाकिस्तानी हैं और युद्ध ग्रसित क्षेत्र में विदेशी आतंकियों को लाने में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) बड़ी भूमिका निभाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विश्लेषणात्मक समर्थन और प्रतिबंधों की निगरानी वाली टीम द्वारा पिछले महीने के अंत में जारी किए गए रिपोर्ट ने संकेत दिया कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने विदेशी लड़ाकों को महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है जो देश में स्थायी उपस्थिति के कारण अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
पिछले साल भारत में हुए हाई-प्रोफाइल हमलों के बाद जेएम और लश्कर को दोषी ठहराया गया था, इसके बाद पाकिस्तान पर विश्व समुदाय के बढ़ते दबाव के बाद इनके सैकड़ों लड़ाकों को अफगानिस्तान भेज दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त अफगानिस्तान के कुछ इलाकों में तहरीक-ए-तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकी मौजूद हैं जो अफगान तालिबान के अंतर्गत काम करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह पाया गया है कि अफगानिस्तान में मौजूद विदेशी आतंकियों में से 6500 पाकिस्तानी हैं और युद्ध ग्रसित क्षेत्र में विदेशी आतंकियों को लाने में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) बड़ी भूमिका निभाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विश्लेषणात्मक समर्थन और प्रतिबंधों की निगरानी वाली टीम द्वारा पिछले महीने के अंत में जारी किए गए रिपोर्ट ने संकेत दिया कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने विदेशी लड़ाकों को महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया है जो देश में स्थायी उपस्थिति के कारण अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
पिछले साल भारत में हुए हाई-प्रोफाइल हमलों के बाद जेएम और लश्कर को दोषी ठहराया गया था, इसके बाद पाकिस्तान पर विश्व समुदाय के बढ़ते दबाव के बाद इनके सैकड़ों लड़ाकों को अफगानिस्तान भेज दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त अफगानिस्तान के कुछ इलाकों में तहरीक-ए-तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकी मौजूद हैं जो अफगान तालिबान के अंतर्गत काम करते हैं।
Source link